चंबा जिले के भरमौर में स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मणिमहेश यात्रा (Manimahesh journey) को लेकर इस बार श्रद्धालुओं में उल्लास छाया हुआ है। कोरोना महामारी की वजह से 2 साल बाद शुरू हो रही इस यात्रा में श्रद्धालुओं की भीड़ बढने की उम्मीद जताई जा रही है। इस बार श्रद्धालुओं को मणिमहेश यात्रा पर जाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। इसके लिए पिछले दिनों से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया भी हिमाचल सरकार ने शुरू कर दी है। यात्रा 19 अगस्त से लेकर 2 सितंबर तक चलेगी। अभी तक लगभग 1100 श्रद्धालुओं ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। आफलाइन रजिस्ट्रेशन के बारे में भरमौर प्रशासन की ओर से उपायुक्त चंबा के साथ सोमवार को बैठक होने वाली है। इस संबंध में उपायुक्त के साथ होने वाली बैठक में ही फैसला लिया जाएगा। हालांकि अभी भी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया जारी है। 12 अगस्त से ही हेली टैक्सी सेवा भी शुरू हो जाएगी। ऐसे में श्रद्धालु हेली टैक्सी के माध्यम से भी गौरीकुंड तक का सफर कर सकेंगे। प्रसिद्ध मणिमहेश तीर्थ। मणिमहेश शिखर पर भोर में एक प्रकाश उभरता है जो तेजी से पर्वत की गोद में बनी झील में प्रवेश कर जाता है। यह इस बात का प्रतीक माना जाता है कि भगवान शंकर कैलाश पर्वत पर बने आसन पर विराजमान होने आ गए हैं तथा यह प्रकाश उनके गले में पहने शेषनाग की मणि का है। मणिमहेश यात्रा चम्बा से शुरू होकर राख, खड़ा मुख इत्यादि स्थानों से होती हुई भरमौर पहुंचती है। यात्रा की खोज का श्रेय सिद्ध योगी चरपट नाथ जी को है। यात्रा शुरू करने से पहले भरमौर से 6 किलोमीटर पहाड़ी के शिखर पर ब्रह्मा जी की पुत्री भ्रमाणी देवी का मंदिर स्थित है। मणिमहेश की यात्रा से पूर्व यहां पर आने से ही यात्रा पूर्ण मानी जाती है। चम्बा से 65 किलोमीटर दूर भरमौर चौरासी में रुक कर यात्री आगे बढ़ते हैं। चौरासी एक धार्मिक स्थल है जो चौरासी सिद्धों की तपस्थली है जहां विश्व का एकमात्र धर्मराज मंदिर स्थित है।
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