इसी महीने रविवार 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद की नई बिल्डिंग का उद्घाटन करने जा रहे हैं। लेकिन विपक्ष इस उद्घाटन समारोह से सहमत नहीं है। विपक्षी नेताओं की मांग है कि संसद की नई बिल्डिंग का उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराया जाए। इसी बात को लेकर विपक्ष कई दिनों से पीएम मोदी के नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करता हुआ चला आ रहा है। बुधवार, 24 मई को इसका विरोध और भी तेज नजर आया। 19 विपक्षी दलों ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है। उन्होंने इसको लेकर एक संयुक्त बयान भी जारी किया है। उनका कहना है कि बीजेपी संविधान का उल्लंघन कर रही है। उसने राष्ट्रपति पद का अपमान किया है। बयान में कहा गया है कि लोकतंत्र की आत्मा को संसद से निष्कासित कर दिया गया है। हमें इस इमारत में कोई मूल्य नहीं दिखता है। इसलिए हम नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है। हम इस निरंकुश प्रधानंमत्री और उनकी सरकार के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे।
इसमें संसद भवन के उद्घाटन को महत्वपूर्ण अवसर बताते हुए कहा गया है कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है और निरंकुश तरीके से नई संसद का निर्माण किया गया। बावजूद इसके, हम इस महत्वपूर्ण अवसर पर अपने मतभेदों को दूर करने को तैयार थे। लेकिन जिस तरह से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए जिस तरह से नई संसद बिल्डिंग का उद्घाटन प्रधानमंत्री से कराने का निर्णय लिया गया, वह राष्ट्रपति पद का न केवल अपमान है, बल्कि लोकतंत्र पर सीधा हमला है। विपक्षी दलों ने अपने लेटर में कहा- संसद को लगातार खोखला करने वाले प्रधानमंत्री के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य कोई नई बात नहीं है। संसद के विपक्षी सदस्यों को अयोग्य, निलंबित और मौन कर दिया गया है, जब उन्होंने भारत के लोगों के मुद्दों को उठाया। सत्ता पक्ष के सासंदों ने संसद को बाधित किया है। तीन कृषि कानूनों को व्यावहारिक रूप से निष्क्रिय कर दिया गया है। नया संसद भवन सदी में एक बार आने वाली महामारी के दौरान बड़े खर्च पर बनाया गया है, जिसमें भारत के लोगों या सांसदों से कोई परामर्श नहीं किया गया है, जिनके लिए यह स्पष्ट रूप से बनाया जा रहा है। एक बार फिर आज राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा कि राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना-यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है। संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है।
संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राहुल गांधी, खड़गे समेत यह नेता राष्ट्रपति को बुलाने पर अड़े—
कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों के नेता ने संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को बुलाने पर अड़े हुए हैं।
हालांकि गृहमंत्री अमित शाह ने कार्यक्रम के बहिष्कार पर बुधवार को कहा कि भारत सरकार ने सभी दलों से कार्यक्रम में शामिल होने की विनती की थी, सब लोग आएं यही हमारी भावना है। बता दें कि तीन दिन पहले नए संसद भवन के उद्घाटन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को न बुलाने पर सबसे पहले राहुल गांधी ने मुद्दा उठाया। राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा- संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ही करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं। कांग्रेस ने कहा- 28 मई को हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर की जयंती है। इसी दिन नए संसद भवन का उद्घाटन करना राष्ट्र निर्माताओं का अपमान है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ना बुलाए जाने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा- ऐसा लगता है कि मोदी सरकार सिर्फ चुनावी फायदा उठाने के लिए दलित और आदिवासी समुदाय से राष्ट्रपति बनाती है। वे देश की पहली नागरिक हैं। टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी संसद की नई बिल्डिंग का राष्ट्रपति द्वारा उद्घाटन नहीं करने पर उनका अपमान बताया। ब्रायन ने कहा, यह भारत के दलित आदिवासी और वंचित समाज का अपमान है। उन्होंने आगे कहा, संसद सिर्फ एक नई इमारत नहीं है, यह पुरानी परंपराओं, मूल्यों, मिसालों और नियमों और भारतीय लोकतंत्र की नींव है। पीएम मोदी के लिए बिल्डिंग का इनॉगरेशन सिर्फ उनके लिए है, हमारे लिए नहीं। आप नेता संजय सिंह ने कहा, आप भी इनॉग्रेशन का बॉयकाट करेगी। क्योंकि पीएम ने राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किया। सीपीआई नेता डी राजा ने भी कहा कि उनकी पार्टी उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होगी। सीपीआईएम ने भी इस समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा की है। शिवसेना के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने बुधवार को कहा- हमारी संसद ऐतिहासिक है। यह अभी सौ साल चल सकती है। इसे बनाने में संघ और भाजपा का कोई हाथ नहीं है। अब नई इमारत बनाकर उसमें शिला लगाई जाएगी कि इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने किया है। इसी के लिए इतना खर्चा हो रहा है। चलो ये भी ठीक है। लेकिन राष्ट्रपति जो इस देश की प्रमुख हैं। आदिवासी महिला हैं। पार्लियामेंट की कस्टोडियन हैं। आप उनको नहीं बुला रहे। उनके हाथों से नए संसद भवन का उद्धाटन कराना तो प्रोटोकॉल है। लेकिन आप नहीं कर रहे हैं। क्योंकि आप प्रधानमंत्री के हाथों उद्घाटन करवाकर एक पॉलिटिकल इवेंट कर रहे हैं। इसलिए सभी विपक्षी पार्टियों ने तय किया है कि हम इसमें नहीं जाएंगे।

नए संसद भवन की बिल्डिंग के उद्घाटन समारोह में इन 19 विपक्षी पार्टियों ने किया बहिष्कार–
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके)
आम आदमी पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)
समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई)
झारखंड मुक्ति मोर्चा, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी)
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), जनता दल (यूनाइटेड) (जेडीयू) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी)
भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीआईएम)
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कांफ्रेंस रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी
मारुमलार्थी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके) हैं। बता दें कि 862 करोड़ रुपए में बने नए संसद भवन का काम पूरा हो गया है। प्रधानमंत्री ने 10 दिसंबर 2020 को इसकी आधारशिला रखी थी। नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था। इस बिल्डिंग को पिछले साल नवंबर में पूरा हो जाना था। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बनी ये बिल्डिंग प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसे 28 महीने में बनाया गया।अभी लोकसभा में 590 लोगों की सीटिंग कैपेसिटी है। नई लोकसभा में 888 सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोगों के बैठने का इंतजाम है। अभी राज्यसभा में 280 की सीटिंग कैपेसिटी है। नई राज्यसभा में 384 सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोग बैठ सकेंगे। लोकसभा में इतनी जगह होगी कि दोनों सदनों के जॉइंट सेशन के वक्त लोकसभा में ही 1272 से ज्यादा सांसद साथ बैठ सकेंगे।