(Maharashtra political crisis live update) महाराष्ट्र में जारी सियासी संग्राम के बीच भारतीय जनता पार्टी ने आज बड़ा बयान दिया है। सोमवार को मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बनाने के संकेत भी दे दिए हैं। औरंगाबाद एक कार्यक्रम में पहुंचे दानवे ने महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री की मौजूदगी में कहा कि हम सिर्फ 2-3 दिन विपक्ष में हैं जो काम निपटाना है निपटा लें। वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र की सियासी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। दरअसल, शिदें गुट ने डिप्टी स्पीकर के नोटिस को चुनौती दी है। दूसरी तरफ नेताओं का वार-पलटवार जारी है। संजय राउत का एक बयान चर्चा में है। दूसरी तरफ शिंदे गुट ने भी पलटवार किया। संजय राउत ने कहा कि गुवाहाटी से 40 लाशें लौटेंगी, जिनका विधानसभा में पोस्टमार्टम होगा। दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे ने बिना नाम लिए उद्धव पर पलटवार किया। शिवसेना में आए सियासी तूफान के बीच महाराष्ट्र में बीजेपी भी एक्शन में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जर्मनी से मंगलवार को वापस लौट रहे हैं। पीएम मोदी के दिल्ली पहुंचने पर ही महाराष्ट्र में सियासी संकट क्या रूप लेगा, तय हो जाएगा। महाराष्ट्र में जारी सियासी जंग पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। यहां बागी विधायकों ने डिप्टी स्पीकर की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। कहा है कि डिप्टी स्पीकर को हटाने की एप्लिकेशन अभी लंबित है, इसलिए उस पर फैसला होने से पहले वे विधायकों को अयोग्य नहीं ठहरा सकते। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल को हलफनामा दायर करने को कह दिया है।
दूसरी तरफ महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बागी विधायकों को पहले हाईकोर्ट का रुख करना चाहिए था। सिंघवी की दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या जिस स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया हो वो किसी सदस्य की अयोग्यता की कार्रवाई शुरू कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि अपने खिलाफ आए प्रस्ताव में डिप्टी स्पीकर खुद कैसे जज बन गए? कोर्ट ने पूछा कि शिंदे गुट ने मेल के जरिये डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था, जिस पर विधायकों के साइन थे। इस पर डिप्टी स्पीकर के वकील ने कहा कि हां नोटिस आया था। लेकिन उसे खारिज कर दिया गया था। डिप्टी स्पीकर के वकील राजीन धवन ने कहा कि ई-मेल वैरिफाइड नहीं था, इसलिए उसे खारिज कर दिया गया था। महाराष्ट्र संकट पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है।