आज पूरे देश भर में हिंदुओं का पवित्र त्योहार मौनी अमावस्या धूमधाम के साथ मनाई जा रही है। यह पर्व स्नान, दान-पुण्य का प्रतीक माना जाता है। आज सुबह से ही प्रयागराज के संगम, हरिद्वार हरकी पैड़ी वाराणसी, उज्जैन और ऋषिकेश समेत तमाम पवित्र नदियों में लाखों श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं। अमावस्या को प्रयागराज के संगम में सबसे अधिक श्रद्धालुओं के स्नान करने के लिए भीड़ उमड़ती है। माघ मास में पड़ने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। शनिवार के दिन अमावस्या पड़ने कारण इसे शनैश्चरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन दान धर्म कार्यों से यज्ञ और कठोर तपस्या जितने फल की प्राप्ति होती है। अमावस्या के दिन स्नान और दान का भी काफी महत्व होता है।

क्योंकि इसे शनैश्चरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है ऐसे में इस दिन दान करने से शनि के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या पर मनु ऋषि का जन्म हुआ था और मनु शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई। आज साल की पहली शनैश्चरी अमावस्या है। ऐसा बहुत कम बार होता है जब अमावस्या, शनिवार के दिन पड़ती है। 20 साल पहले 1 फरवरी 2003 को शनिवार के दिन माघ अमावस्या पड़ी थी। बता दें कि ऐसा दुर्लभ संयोग अब से 6 साल बाद 2027 में देखने को मिलेगा। हिंदू पंचांग के मुताबिक, मौनी अमावस्या 21 जनवरी 2023 को सुबह 6 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी और 22 जनवरी को रात 02 बजकर 22 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। उदया तिथि के मुताबिक, मौनी अमावस्या आज ही मनाई जा रही है। स्नान और दान के लिए मौनी अमावस्या को काफी शुभ माना जाता है। इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदि में स्नान करना चाहिए। इस दिन स्नान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। अगर आप किसी पवित्र नदि में स्नान नहीं कर सकते तो कोशिश करें कि घर में ही पानी में कुछ बूंदे गंगाजल की मिलकार स्नान करें।