आज केदारनाथ धाम में आई आपदा की दसवीं बरसी है। 10 साल पहले 16-17 जून की रात 2013 में त्रासदी ने केदारनाथ धाम में ऐसी तबाही मचाई कि आज भी लोग याद करते हुए डर जाते हैं। 16 जून की रात पानी का ऐसा सैलाब आया कि सैकड़ों जिंदगी अपने साथ बहा ले गया। इसके साथ भारी नुकसान भी हुआ था। 17 जून की सुबह बाबा केदारनाथ धाम में चारों ओर भीषण तबाही का मंजर फैला हुआ था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी केदारनाथ आपदा के 10 वर्ष पूरे होने पर शुक्रवार को केदारनाथ धाम पहुंचे। मुख्यमंत्री धामी ने सुबह केदारनाथ धाम पहुंचकर बाबा केदार के दर्शन के बाद पूजा-अर्चना की। साथ ही आपदा के शिकार लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने धाम में चल रहे पुर्ननिर्माण कार्यों का भी जायजा लिया। धाम में केदारनाथ आपदा के दौरान मारे गए लोगों की याद में श्रद्धांजलि सभा का भी आयोजन किया गया। जिसमें शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री के साथ ही श्री बद्री-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय भी केदारनाथ पहुंचे। धामी ने केदारनाथ आपदा का भयावह मंजर याद करते हुए कहा कि दस वर्ष पहले केदारनाथ में आई त्रासदी ने सब कुछ बर्बाद कर दिया था। हालांकि, उन्होंने कहा कि बाबा केदार की कृपा तथा उनके अनन्य और सच्चे भक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छाशक्ति से केदारनाथ के पुनर्निर्माण से समस्त केदार पुरी क्षेत्र दिव्य और भव्य रूप ले चुका है और अन्य निर्माण चल रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री का धन्यवाद करते हुए बाबा केदार से उनके स्वस्थ और दीर्घायु होने की कामना की। मुख्यमंत्री ने इस दौरान नवनिर्मित भगवान ईशानेश्वर के दर्शन कर पूजा अर्चना भी की। मुख्यमंत्री धामी ने इस दौरान हैलीपेड से लेकर मंदिर परिसर तक केदारनाथ धाम में जारी पुनर्निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया तथा उनकी प्रगति का जायजा लिया।
उन्होंने अधिकारियों से पुनर्निर्माण के दूसरे चरण के कार्यों को इस साल के अंत तक पूरा करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने श्रमिकों से बातचीत कर उनका हालचाल जाना। उन्होंने इस संबंध में अधिकारियों को विषम परिस्थितियों में कार्य कर रहे इन श्रमिकों का विशेष ख्याल रखने के निर्देश देते हुए कहा कि श्रमिकों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। इससे पहले धाम में पहुंचने पर मुख्यमंत्री का सभी तीर्थ पुरोहितों ने स्वागत किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के साथ ही श्रीबदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, रुद्रप्रयाग की पुलिस अधीक्षक विशाखा अशोक भदाणे तथा कई अन्य अधिकारी मौजूद रहे। वर्ष 2013 में जल प्रलय के रूप में आई आपदा ने केदारनाथ धाम समेत विभिन्न क्षेत्रों में भारी तबाही मचाई थी। आपदा के बाद धाम में पुनर्निर्माण कार्यों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी शीर्ष प्राथमिकता में रखा। अब तक केदारनाथ धाम में बड़े स्तर पर पुनर्निर्माण कार्य हो चुके हैं। यह ये कार्य जारी हैं।
साल 2013 में सैलाब केदारनाथ धाम में मंदिर को छोड़कर सब कुछ उजाड़ गया—
आज भले ही केदारनाथ धाम में सबकुछ सामान्य हो चला है। इन दिनों हजारों की संख्या में हर रोज मंदिर में दर्शन करने श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई है। लेकिन 10 साल पहले केदारनाथ धाम में खौफनाक मंजर देखकर पूरा देश सहम गया था। केदारनाथ आपदा को आज 10 साल पूरे हो गए। 16-17 जून को बारिश, बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं ने रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ जिलों में भारी तबाही मचाई। आपदा से उत्तराखंड को जान-माल की भारी क्षति हुई। पर्यटन कारोबार की कमर टूट गई। 16 जून 2013 कि आपदा के बारे में बताया जाता है कि लगातार हो रही बरसात की वजह से सभी नदी नाले उफान पर थे।

उत्तराखंड के लिए ये सामान्य सी बात थी। लेकिन 15 जून की रात से लगातार हो रही बारिश के चलते केदारनाथ धाम के दोनों तरफ बहने वाली मंदाकिनी और सरस्वती नदी में पानी पहले से ही बढ़ा हुआ था। लेकिन 16 जून 2013 की सुबह 4:00 बजे अचानक इन दोनों नदियों में बहुत ज्यादा पानी बढ़ गया और कुछ ही सेकंड बाद केदारनाथ धाम के पीछे से पूरा मलबा केदारनाथ धाम को चपेट में लेते हुए आगे बढ़ा। आपदा बेहद भीषण थी। आपदा में 4,400 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए। 4,200 से ज्यादा गांवों का संपर्क टूट गया। इनमें 991 स्थानीय लोग अलग-अलग जगह पर मारे गए। 11,091 से ज्यादा मवेशी बाढ़ में बह गए या मलबे में दबकर मर गए। ग्रामीणों की 1,309 हेक्टेयर भूमि बाढ़ में बह गई। 2,141 भवनों का नामों-निशान मिट गया। 100 से ज्यादा बड़े व छोटे होटल ध्वस्त हो गए। यात्रा मार्ग में फंसे 90 हजार यात्रियों को सेना ने और 30 हजार लोगों को पुलिस ने बाहर निकाला। आपदा में नौ नेशनल हाई-वे, 35 स्टेट हाई-वे और 2385 सड़कें 86 मोटर पुल, 172 बड़े और छोटे पुल बह गए या क्षतिग्रस्त हो गए। केदारनाथ आपदा का मंजर बेहद भयावह था। आपदा का स्वरूप इतना वृहद था कि इस आपदा के सामने शासन प्रशासन ने घुटने टेक दिए। आपदा में राहत और बचाव कार्यों के लिए सेना को आगे आना पड़ा। सेना ने देश में पहली दफा इतना बड़ा राहत अभियान चलाया। आपदा के दौरान कई सवाल सरकार पर खड़े किए गए। आधिकारिक आंकड़े चाहे कुछ भी कहें, लेकिन प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि उस दिन केदारनाथ धाम में 10,000 से ज्यादा लोग मौजूद थे। इनमें से कई हजार लोगों का आज तक अता पता नहीं है। न ही उनके कहीं रिकॉर्ड हैं। 2013 की आपदा के बाद कई सालों तक उस 16 जून को केदारनाथ यात्रा पर आए यात्रियों के परिजनों द्वारा अपने परिजनों को ढूंढने के लिए उत्तराखंड के अलग-अलग इलाकों में देखा गया जो कि बताता है कि वह दिन किस तरह से हजारों जिंदगियों को अपने साथ काल के गाल में ले गया।