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कुछ दिनों पहले तक किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि उत्तराखंड का ऐतिहासिक और धार्मिक शहर जोशीमठ इस हाल में पहुंच जाएगा। इन दिनों जोशीमठ में डर और दहशत का जबरदस्त माहौल बना हुआ है। लोगों की नींद उड़ गई है। राजधानी देहरादून से लेकर दिल्ली तक जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव को लेकर निगाहें तो बनाए हुए हैं लेकिन कोई भी यहां के लोगों का आंसू पोछने वाला नहीं है। अंधाधुंध शहरीकरण और अनियोजित विकास ने इस शहर वजूद ही खत्म कर दिया है। कई दिनों से जोशीमठ में तमाम राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय मीडिया कर्मियों की आवाजाही लगी हुई है। यहां पर सैकड़ों लोगों के घरों में दरारें को देखकर दहशत का माहौल है। जमीन, घरों में मीडियाकर्मियों के कैमरे की निगाहें जाती है तब यह लोग उम्मीद भरी निगाहों से देखने लग जाते हैं। कई बड़े अखबार और चैनलों में काम करने वाले कर्मचारियों का जमावड़ा लगा हुआ है। यह सब मीडियाकर्मी अपने अपने चैनलों की रिपोर्टिंग करने के लिए यहां आए हुए हैं। जबकि यहां पर डरे हुए लोग इन्हीं से उम्मीद बांधे हुए हैं। सबसे बड़ा सवाल है इन लोगों के सामने फिलहाल तेज ठंड में रहने और रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है। जैसे ही कैमरे की निगाह पड़ती है इनके आंख से आंसू छलक उठते हैं।

3 दिन पहले शनिवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जब जोशीमठ पहुंचे थे तो कई महिलाएं और पुरुष इन से लिपट कर रोने लगे थे। हालांकि इन लोगों के आंसू दे सीएम धामी ने सभी को ढांढस बंधाया और आश्वासन दिया। बता दें कि जोशीमठ को लेकर वैज्ञानिक और भूवैज्ञानिक वर्षों पहले चेतावनी जारी कर रहे थे। उसके बावजूद किसी ने उनकी रिपोर्ट पर ध्यान नहीं दिया। जोशीमठ धंस रहा है। यहां पर रहने वाले हजारों लोग अपने मकानों और अपने व्यवसायों को डूबते हुए देखकर सहमें और डरे हुए हैं। एसडीआरएफ समेत तमाम पुलिस प्रशासन के आला अफसरों की जोशीमठ में आवाजाही बढ़ गई है।

धामी सरकार के 2 आलीशान होटलों को गिराए जाने के फैसले के बाद एसडीआरएफ की टीम मौके पर मौजूद है। आसपास रहने वाले लोगों को वहां से सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया है। उत्तराखंड के जोशीमठ में हालात बिगड़ते चले जा रहे हैं। भू-धंसाव के चलते तमाम घरों और होटलों में दरारें पड़ गई हैं। प्रशासन ने असुरक्षित जोन घोषित किए हैं। ऐसे में जो घर और इमारतें सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, उन्हें जमींदोज करने का काम शुरू हो रहा है।

बताया जा रहा है कि सबसे पहले होटल मलारी इन और माउंट व्यू को ढहाया जा सकता है। इन होटलों को खाली करा दिया गया है। बताया जा रहा है कि दरार पड़ने के चलते होटल लगातार पीछे की ओर झुकते जा रहे हैं। जोशीमठ में सोमवार शाम तक नौ वार्ड के 678 मकानों की पहचान हुई है, जिनमें दरारें हैं। सुरक्षा की नजर से दो होटल को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत बंद किए गए हैं। होटल मलारी इन के मालिक ठाकुर सिंह राणा ने बताया कि इसे 2011 में बनाया गया था। राणा ने बताया कि हमें न तो सूचना दी गई और न ही हमें कोई नोटिस दिया गया कि हमारे होटल को गिराया जा रहा है। मैं जनहित में अपने होटल को गिराए जाने के सरकार के फैसले के साथ हूं।

रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट जोशीमठ पहुंचे। उन्होंने आर्मी कैंप का निरीक्षण करने के बाद सुनील वार्ड में प्रभावित लोगों से मुलाकात की और भरोसा दिलाया कि केन्द्र और राज्य सरकार इस प्राकृतिक आपदा से लोगों को निकालने का काम कर रही है। फिलहाल पूरे जोशीमठ और आसपास क्षेत्र में जबरदस्त खौफनाक मंजर है। लोगों की आंखों में आंसू है। जोशीमठ के आंसू पोंछने वाला कोई नहीं, न दिल्ली न देहरादून। फिर भी जोशीमठ के हजारों लोग एक उम्मीद लगाए हुए हैं शायद नया सवेरा राहत भरी उम्मीद लेकर आए…