यूपी के बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी का मंगलवार शाम को 90 साल की आयु में निधन हो गया है। गोरखपुर की सियासत पर पकड़ रखने वाले हरिशंकर तिवारी ने कई सालों तक राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई। उनके निधन से समर्थकों में शोक की लहर है। हरिशंकर तिवारी की गिनती पूर्वांचल के बड़े बाहुबलियों में की जाती थी। बीते कुछ वर्षों से वह सियासत से दूर थे। इतना ही नहीं कभी अपराध की दुनिया में उनका बहुत बड़ा नाम था। लेकिन बाद में राजनीति में आए और बाहुबली से नेता बन गए। हरिशंकर तिवारी पूर्वांचल के बड़े ब्राह्मण नेता के रूप में जाने जाते थे। वे लोकतांत्रिक कांग्रेस के संस्थापक भी थे। गोरखपुर के धर्मशाला बाजार के तिवारी हाता में उन्होंने अंतिम सांस ली। बड़हलगंज के टांड़ा गांव में जन्मे हरिशंकर तिवारी चिल्लूपार से छह बार विधायक रहे और कल्याण सिंह से लेकर मुलायम सिंंह यादव की सरकार में अलग-अलग विभागों के मंत्री रहे। उनके निधन के समय उनके बड़े बेटे पूर्व सांसद भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी और पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी घर पर ही मौजूद थे। उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों के नेता के तौर पर अपनी पहचान रखने वाले हरिशंकर तिवारी राज्य में कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, मायावती और मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सरकारों में वर्ष 1997 से 2007 तक लगातार कैबिनेट मंत्री भी रहे। वह 6 बार विधायक रहे और यूपी सरकार में 5 बार कैबिनेट मंत्री। यहां तक कि एक दिन के सीएम जगदंबिका पाल की कैबिनेट में भी हरिशंकर तिवारी का नाम शामिल था। कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने तो यहां भी ‘पंडित जी’ को कैबिनेट में जगह दी गई, यही नहीं राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह की सरकार के बाद मायावती और मुलायम सरकार में भी हरिशंकर तिवारी मंत्री रहे। वीरेंद्र शाही से अदावत के चलते हरिशंकर तिवारी की कभी भी गोरक्षपीठ से संबंध कभी अच्छे नहीं रहे। 2007 में चुनाव हारने के बाद हरिशंकर तिवारी राजनीति से दूर हो गए।
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