दुनिया में भारत सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश माना जाता है। देश के चार स्तंभों में एक “प्रेस” को भी स्थान मिला हुआ है। हर साल भारत में 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है। भारत में आजादी से पहले पत्रकारिता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आज भारत में 56वां नेशनल प्रेस डे मनाया जा रहा है। यह दिन भारत में स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की उपस्थिति को चिह्नित करने के लिए है। प्रेस का लक्ष्य लोगों द्वारा सामना किए गए किसी भी अन्याय को प्रकाश में लाना और व्यवस्था की अस्वस्थता को उजागर करना है। इसका उद्देश्य शासन की लोकतांत्रिक प्रणाली के मूल्यों को मजबूत करते हुए सरकार को इन समस्याओं का समाधान खोजने में मदद करना है। इसके साथ पत्रकारिता किसी भी देश के विकास और समृद्धि में भी अहम भूमिका निभाता है। आज भी कई दुनिया में देश ऐसे हैं जहां पत्रकारिता स्वतंत्र नहीं है। मौजूदा समय में पत्रकारिता मीडिया के रूप में देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में ताकतवर हथियार के रूप में माना जाता है। मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से देश-दुनिया में घटित कोई भी घटना (समाचार) तत्काल आप तक पहुंच जाती है। मीडिया जगत निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता से लोकतंत्र को एक नई दिशा प्रदान करता है। मीडिया नागरिकों को उनके अधिकार और दायित्व के प्रति सचेत कर देशहित व लोकहित में सक्षम बनाता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारे लोकतंत्र की विशेषता और आधारशिला है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस, प्रेस की स्वतंत्रता और जिम्मेदारियों की ओर ध्यान आकर्षित करता है। प्रेस की आजादी के महत्व के लिए दुनिया को आगाह करने वाला ये दिन बताता है कि लोकतंत्र के मूल्यों की सुरक्षा और उसे बहाल करने में मीडिया अहम भूमिका निभाता है। भारत एक लोकतंत्र देश है। भारत में प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 में भारतीयों को दिए गए अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार से सुनिश्चित होती है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य प्रेस की आजादी के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना है। साथ ही ये दिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने और उसका सम्मान करने की प्रतिबद्धता की बात करता है। प्रेस की आजादी के महत्व के लिए दुनिया को आगाह करने वाला ये दिन बताता है कि लोकतंत्र के मूल्यों की सुरक्षा और उसे बहाल करने में मीडिया अहम भूमिका निभाता है।
भारत में 16 नवंबर 1966 से नेशनल प्रेस डे की हुई शुरुआत–
बता दें कि प्रथम प्रेस आयोग ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा और पत्रकारिता में उच्च आदर्श से एक ‘प्रेस परिषद’ की कल्पना की थी। जिसके बाद 4 जुलाई 1966 को भारत में प्रेस परिषद की स्थापना की गई जिसने 16 नवंबर 1966 से अपना कार्य शुरू किया। जिसके बाद तब से लेकर आज तक हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रेस परिषद की स्थापना के बाद से ही समाज के हर वर्ग के लोगों को अपनी बात रखने का मौका मिला। मीडिया ही देश के हर कौने से सच्चाई को सामने लाने का काम करती हैं। इस बीच दुनिया भर में सोशल मीडिया के चलन के बाद से लोग अपनी बात आसानी से सत्तासिन सरकार तक पहुंचा पा रहे हैं। ऐसे में अब हर आदमी एक पत्रकार है, जो सरकार की नीतियों का विरोध और समर्थन करने के लिए स्वतंत्र है। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, परिषद की अध्यक्षता पारंपरिक रूप से सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश और 28 अतिरिक्त सदस्य करते हैं, जिनमें से 20 भारत में संचालित मीडिया आउटलेट्स के सदस्य हैं। पांच सदस्यों को संसद के सदनों से नामित किया जाता है और शेष तीन सांस्कृतिक, कानूनी और साहित्यिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। किसी भी देश में अगर प्रेस स्वतंत्र नहीं है तो वह सही मायने में अपने कर्तव्य परायण के साथ प्रगति और समृद्धि भी नहीं कर सकता है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस उन कलमकारों को समर्पित है जिन्होंने आजादी से पहले और बाद में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह उन लोगों के लिए धन्यवाद देने का दिन है जिन्होंने हमारे लिए पूरा जीवन खबर लाने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। इसके साथ प्रेस हमें देश और दुनिया से भी जोड़ता है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस का उत्सव प्रेस की स्वतंत्रता का उत्सव मनाए बिना अधूरा है।