पिछले काफी दिनों से उत्तराखंड चारधाम परियोजना को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिलने का इंतजार किया जा रहा था आखिरकार मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय ने सेनाओं के लिए इसके रणनीतिक महत्व को देखते हुए डबल लेन का रोड बनाने को स्वीकृति दी है। बता दें कि उत्तराखंड के विकास में यह मार्ग बेहद ही सहायक होगा । इसके साथ चीन के साथ हाल के दिनों में बने तनाव के मद्देनजर इस सड़क के जरिए सेनाओं को चीन की सीमा तक पहुंचने में आसानी होगी। बता दें कि कोर्ट ने अपने 8 सिंतबर 2020 के आदेश को संशोधित करते हुए प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। ऋषिकेश से गंगोत्री और ऋषिकेश से पिथौरागढ़ तक डबल लेन के रोड बनेंगे। सेनाओं के लिए ये तीनों ही रोड बेहद अहम हैं, क्योंकि इन तीनों सड़कों से उसे चीन की सीमा तक पहुंचने के लिए सीधी कनेक्टिविटी मिल जाएगी। इन सड़कों से भारी सैन्य साजो-सामान को भी आसानी से बॉर्डर तक ले जाया जा सकेगा। हालांकि यह पिछले दिनों से उत्तराखंड के कई पर्यावरणविद इसका विरोध कर रहे थे। सिटिजन फॉर ग्रीन दून नीम के एनजीओ ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के 26 सितंबर 2018 के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। एनजीओ का दावा था कि इस परियोजना से पहाड़ी क्षेत्र में होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकेगी।
मोदी सरकार की महत्वकांक्षी और उत्तराखंड के विकास से जुड़ी है चारधाम प्रोजेक्ट–
बता दें कि चारधाम प्रोजेक्ट का उद्देश्य सभी मौसम में पहाड़ी राज्य के चार पवित्र स्थलों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ना है। इस प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने के बाद हर मौसम में चारधाम की यात्रा की जा सकेगी। इस प्रोजेक्ट के तहत 900 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण हो रहा है। अभी तक 400 किमी सड़क का चौड़ीकरण किया जा चुका है। पिछले दिनों देहरादून आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चार धाम प्रोजेक्ट परियोजना को लेकर उत्तराखंड के विकास में सहायक बताया था। मुख्यमंत्री धामी भी इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में लगे हुए हैं। अब सुप्रीम कोर्ट से चार धाम प्रोजेक्ट पर डबल लेन की सड़क बनाने की हरी झंडी मिलने के बाद काम में तेजी आएगी। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2016 को इस प्रोजेक्ट की नींव रखी थी। पहले इस परियोजना का नाम ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट था लेकिन अब चारधाम प्रोजेक्ट कर दिया गया है।