अडानी मामले में गुरुवार 19 मई को सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई है। उस रिपोर्ट में बताया गया है कि पहली नजर में नियमों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को 14 अगस्त तक हिंडनबर्ग द्वारा अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ शेयर की कीमतों में हेराफेरी के लगाए गए आरोपों की जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है। इसके लिए सेबी ने कोर्ट से 6 महीने का समय मांगा था। गठित एक्सपर्ट कमिटी ने सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। 173 पन्नों की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सेबी की तरफ से अब तक की गई जांच में अडानी ग्रुप की कोई कमी नहीं पाई गई है
इसके विपरीत यह देखा गया है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पहले कुछ संस्थाओं ने शॉर्ट पोजिशन ली और अडानी के शेयर गिरने से मुनाफा कमाया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व जज जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता में गठित कमिटी को हिंडनबर्ग रिपोर्ट से शेयर बाजार पर पड़े असर की समीक्षा के लिए कहा था। साथ ही शेयर बाजार के कामकाज को बेहतर बनाने पर सुझाव देने को भी कहा था। कमिटी ने बताया है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट से शेयर बाजार पर विशेष असर नहीं पड़ा। विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक ऐसा कुछ नहीं मिला है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि अदाणी ग्रुप ने शेयरों के मूल्यों में कोई गड़बड़ी नहीं की थी। ना ही आर्टिफिशियल ट्रेडिंग या एक ही पार्टी द्वारा बार-बार ट्रेडिंग के भी सबूत नहीं मिले हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक की जांच में मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग का उल्लंघन भी नहीं मिला है। विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सेबी ने 13 विशिष्ट लेनदेन की पहचान की है, जिसकी उसके द्वारा जांच की जा रही है कि क्या वह कानूनी तौर पर मान्य लेनदेन थे या फिर उनमें कोई गड़बड़ी थी। ऐसे में समिति इन लेनदेन पर अभी कोई टिप्पणी नहीं कर सकती। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी समूह ने सभी लाभकारी मालिकों का खुलासा किया है।
साथ ही ये भी कहा गया है कि सेबी ने ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया गया कि वे अडानी के लाभकारी मालिकों की घोषणा को खारिज कर रहे हैं। हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद अडानी की रिटेल हिस्सेदारी में इजाफा हुआ है। रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि मौजूदा नियमों या कानूनों का प्रथम दृष्टया के स्तर पर किसी भी तरह का उल्लंघन नहीं पाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी के पास अभी भी 13 विदेशी संस्थाओं और प्रबंधन के तहत संपत्ति के लिए 42 योगदानकर्ताओं के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है। रिपोर्ट सेबी को यह तय करने के लिए छोड़ती है कि क्या 13 संस्थाओं, जिनकी जांच लंबित है उसमें क्या कोई और मामला बनाया जाना है। रिपोर्ट में ईडी के मामले का उल्लेख करते समय सेबी ने प्रथम दृष्टया कोई आरोप नहीं लगाया है। रिपोर्ट में पाया गया कि भारतीय बाजारों को अस्थिर किए बिना नई कीमत पर अडानी के शेयर स्थिर हो गए। इसके अलवा रिपोर्ट में स्टॉक को स्थिर करने के लिए अडानी के प्रयासों को स्वीकार किया गया।