तीन दिनों से चल रही मौद्रिक समीक्षा नीति की बैठक आज संपन्न हो गई। बैठक के आखिरी दिन आज रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक बार फिर आम आदमी को झटका दिया है। आरबीआई ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है। इसके बाद सभी तरह के लोन महंगे हो जाएंगे। बुधवार को आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि रेपो रेट में 0.25 फीसदी का इजाफा किया गया है। रेपो रेट बढ़ने के बाद बैंक अपने रेपो रेट लिंक्ड लोन और फ्लोटिंग रेट लोन के ब्याज दरों में इजाफा करेंगे जिससे आपके फ्लोटिंग रेट वाले होम लोन की ईएमआई या उसकी अवधि में बढ़ोतरी होगी। रेपो रेट वह दर होती है जिसके तहत रिजर्व बैंक अन्य कॉमर्शियल बैंकों को कर्ज देता है। इसे 6.25 फीसदी से बढ़ाकर 6.50 कर दिया गया है। अगर आप भविष्य में किसी तरह का लोन लेने की सोच रहे हैं तो आपको महंगी दरों पर बैंक कर्ज देंगे। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज एलान किया है कि एमपीसी ने रेपो रेट को 0.25 फीसदी बढ़ाया है। इसके बाद देश में रेपो रेट बढ़कर 6.50 फीसदी पर आ गया है जो कि पहले 6.25 फीसदी पर था। एमपीसी के 6 सदस्यों में से 4 सदस्यों ने इसके पक्ष में वोट किया। रेपो रेट में ये बढ़ोतरी लगातार छठी बार है जब क्रेडिट पॉलिसी में आरबीआई ने इजाफा किया है। इस तरह लगातार 6 बार दरें बढ़ाकर आरबीआई ने कुल 2.50 फीसदी का इजाफा रेपो रेट में कर दिया है और ये 6.50 फीसदी पर आ गया है। रेपो रेट बढ़ने के साथ अब पर्सनल लोन, कार लोन और होम लोन वगैरह महंगे हो जाएंगे। हालांकि लोगों को फिक्स्ड डिपॉजिट में ज्यादा ब्याज दरों का फायदा मिलेगा ।

बता देगी रेपो रेट महंगाई से लड़ने का शक्तिशाली टूल है, जिसका समय समय पर आरबीआई स्थिति के हिसाब से इस्तेमाल करता है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो आरबीआई इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है और रेपो रेट को बढ़ा देता है। लेकिन जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है और ऐसे में आरबीआई रेपो रेट कम कर देता है। आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने से बैंकों को मिलने वाला कर्ज भी महंगा हो जाता है, इसके कारण बैंक भी अपने ग्राहकों को कर्ज महंगी ब्याज दरों पर देते हैं। यही कारण है कि रेपो रेट बढ़ने के साथ ही लोन भी महंगा हो जाता है। वहीं अगर आरबीआई रेपो रेट को कम कर देता है, तो बैंकों को कर्ज सस्ती दरों पर मिलता है और वो अपने ग्राहकों को भी सस्ती ब्याज दरों पर लोन उपलब्ध करवाती हैं। लोन महंगे होने से इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होगा तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है। इसके बढ़ने के साथ ही सभी तरह के होम, ऑटो, पर्सनल सभी तरह के लोन महंगे हुए हैं और लोगों को ज्यादा ईएमआई भरनी पड़ रही हैं। रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते हैं जिस दर पर बैंकों को आरबीआई पैसा रखने पर ब्याज देती है। रेपो रेट के कम होने से लोन की ईएमआई घट जाती है, जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से ईएमआई में भी इजाफा देखने को मिलता है। आरबीआई ने इस बार लगातार छठी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है। इसके पहले आरबीआई ने 5 बार रेपो रेट में इजाफा किया है। एक साल में आरबीआई ने कुल 225 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी। आरबीआई ने आखिरी बार दिसंबर 2022 में इसमें 0.35 फीसदी का इजाफा किया गया था।