केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने मंगलवार को राजस्थान के उदयपुर में दो दिवसीय राज्य पर्यटन मंत्रियों की बैठक आयोजित की। इसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पर्यटन मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। इस सम्मेलन के माध्यम से मंत्रालय का लक्ष्य पर्यटन परिवर्तन एजेंडा के कार्यान्वयन में अधिक नीतिगत अभिसरण को बढ़ावा देना है। साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक क्षेत्र विकसित भारत के लिए वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी और टिकाऊ पर्यटन इको-सिस्टम के निर्माण में योगदान दे।
बैठक में स्टेकहोल्डर्स के साथ चल रहे परामर्श को जारी रखने पर ध्यान केंद्रित किया गया। यहां राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के पर्यटन मंत्रियों ने ’50 गंतव्यों के विकास’ और ‘प्रदर्शन से जुड़े प्रोत्साहन प्रदान करने ‘ के लिए मसौदा रूपरेखा पर अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत किया-जो भारत के पर्यटन परिवर्तन एजेंडे के दो प्रमुख स्तंभ हैं। इसमें पीएलआई-आधारित गंतव्य परिपक्वता मॉडल के माध्यम से निजी क्षेत्र के नेतृत्व वाले पर्यटन केंद्र विकास और गंतव्य प्रबंधन पर जोर दिया गया।
पर्यटन सचिव वी. विद्यावती के उद्घाटन भाषण से बैठक की शुरुआत हुई। इसके बाद केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दो दिवसीय चर्चा का संदर्भ प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम में वैश्विक मानकों के पर्यटन स्थलों के विकास के लक्ष्य को साकार करने के लिए केंद्र, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और उद्योग हितधारकों के बीच सहयोगात्मक कार्रवाई के महत्व पर ज़ोर दिया गया।
दो दिनों (14 -15 अक्टूबर 2025) के बैठक के दौरान विभिन्न राज्यों के पर्यटन मंत्री और अधिकारी बजट पहलों से जुड़ी गंतव्य अवधारणाएं प्रस्तुत करेंगे। इसके साथ ही सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश वैश्विक गंतव्य के रूप में विकास के लिए एक संभावित गंतव्य का प्रदर्शन करेगा और अपना दृष्टिकोण साझा करेगा।
दूसरे दिन बुधवार को एकीकृत पर्यटन संवर्धन योजना दिशानिर्देशों के मसौदे पर केंद्रित परामर्श होगा। इसका उद्देश्य भारत को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में एक समग्र पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करना है
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