देश में नेताओं के विवादित बयान उनके लिए कभी-कभी फायदे में भी हो जाते हैं। बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की। पिछले दिनों स्वामी प्रसाद मौर्य ने श्रीरमचरितमानस पर विवादित बयान दिया था। सपा नेता मौर्य के इस बयान पर भाजपा ने कड़ी आपत्ति भी जताई थी। उम्मीद थी कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर निंदा करेंगे या सफाई देंगे। लेकिन अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य का पार्टी में कद बढ़ा दिया। स्वामी प्रसाद मौर्य को समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है।
समाजवादी पार्टी ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की घोषणा कर दी है। जिसमें कुल 62 लोगों को शामिल किया गया है।
बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य को सपा की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शिवपाल यादव और आज़म खान के बराबर का ओहदा दिया गया है। स्वामी प्रसाद मौर्य को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह मिलने के बाद चर्चाओं का बाजार भी गर्म हो गया है। कहा जा रहा है कि रामचरितमानस विवाद के बाद बैक डोर से ही सही अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य को अपनी मौन सहमति दे दी है। गौरतलब है कि रामचरितमानस विवाद के बीच शनिवार को ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। जिसके बाद आज उनका पार्टी में कद बढ़ा दिया गया। वैसे ही अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव को भी राष्ट्रीय महासचिव बनाया है। किरणमय नंदा को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और रामगोपाल यादव को राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव बनाया गया है। साफ है कि रामगोपाल यादव पर अखिलेश यादव का भरोसा कायम है। मुश्किलों में घिरे मोहम्मद आजम खान को भी राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है। आपको बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य मौजूदा समय में समाजवादी पार्टी के टिकट पर एमएलसी हैं। उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने स्वामी प्रसाद मौर्य के महासचिव बनाए जाने पर कहा कि स्वामी प्रसाद को रामचरितमानस के अपमान का पुरस्कार मिला है। समाजवादी पार्टी चाहती है कि उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़े। सपा यूपी में जातीय संघर्ष उत्पन्न करना चाहती है। सपा अपने मंसूबों में कामयाब नहीं होगी। अखिलेश यादव का हिंदू विरोधी और जातिवादी चेहरा सामने आया है।