इस साल 3 जुलाई से शुरू हुई अमरनाथ यात्रा में अब तक 3.77 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं को बाबा बर्फानी के दर्शन कर चुके हैं। वहीं आज सोमवार को 1,635 श्रद्धालुओं का एक और जत्था जम्मू से कश्मीर घाटी की ओर रवाना हुआ। अधिकारियों के मुताबिक 374 श्रद्धालुओं को लेकर 17 वाहनों का पहला काफिला सुबह 3:25 बजे बालटाल बेस कैंप के लिए निकला, जबकि 1,261 यात्रियों को लेकर 42 वाहनों का दूसरा काफिला सुबह 4 बजे पहलगाम बेस कैंप की ओर रवाना हुआ।
श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (SASB) ने बताया कि रविवार को श्रीनगर स्थित दशनामी अखाड़ा भवन के श्री अमरेश्वर मंदिर में ‘छड़ी स्थापना’ समारोह संपन्न हुआ। 29 अगस्त को नाग पंचमी के अवसर पर इसी मंदिर में छड़ी पूजन किया जाएगा और 4 अगस्त को छड़ी मुबारक की अंतिम यात्रा पवित्र गुफा की ओर रवाना होगी।
इस बार अमरनाथ यात्रा के लिए प्रशासन ने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए हैं। सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और स्थानीय पुलिस के साथ-साथ 180 अतिरिक्त सीएपीएफ कंपनियों को तैनात किया गया है। भगवती नगर यात्री निवास से लेकर गुफा मंदिर तक के पूरे मार्ग और सभी पारगमन शिविरों को सुरक्षा बलों ने सुरक्षित कर लिया है।
पहलगाम मार्ग से यात्रा करने वाले श्रद्धालु 46 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं, जिसमें चंदनवाड़ी, शेषनाग और पंचतरणी शामिल हैं। यह यात्रा आमतौर पर चार दिन में पूरी होती है। दूसरी ओर, बालटाल मार्ग से श्रद्धालुओं को 14 किलोमीटर पैदल चलकर गुफा तक पहुंचना होता है और वे उसी दिन वापस लौट सकते हैं।
सुरक्षा कारणों से इस साल तीर्थयात्रियों के लिए हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध नहीं कराई गई है। अमरनाथ यात्रा 38 दिनों तक चलेगी और 9 अगस्त को समाप्त होगी, जो श्रावण पूर्णिमा और रक्षाबंधन का दिन है। अमरनाथ गुफा हिंदू धर्म की सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में मानी जाती है, क्योंकि मान्यता है कि यहीं भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरता और शाश्वत जीवन का रहस्य बताया था।