भाई-बहन का पवित्र पर्व रक्षाबंधन सोमवार 19 अगस्त को धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। रक्षाबंधन को लेकर आज देश के सभी छोटे बड़े शहरों में जमकर खरीदारी हुई। बाजारों में खूब रौनक है, दुकानदारों ने सड़कों पर राखी की दुकान लगाकर खूब बिक्री की। मिठाइयों की दुकान पर भी लोगों की भारी भीड़ रही। सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हर साल रक्षा बंधन का पवित्र पर्व मनाया जाता है, इस बार यह शुभ तिथि 19 अगस्त दिन सोमवार को है। रक्षा बंधन का पर्व भाई-बहन के रिश्तों की अटूट डोर का प्रतीक है। इस दिन बहनें पूजा अर्चना करके भाइयों की कलाइयों पर राखी बांधती हैं और उनके स्वस्थ व सफल जीवन की कामना करती हैं। वहीं भाई बहनों की रक्षा और हर परिस्थिति में मदद के लिए तैयार रहने का वचन देते हैं। लेकिन इस बार रक्षा बंधन पर भद्रा का साया भी रहने वाला है और भद्रा के समय राखी बांधना बहुत अशुभ माना जाता है। लेकिन भद्रा इस बार पाताल लोक में रहने वाली है इसलिए आप 19 अगस्त को आराम से राखी बांध सकते हैं। सोमवार को रक्षाबंधन पर दोपहर 1.30 बजे तक भद्रा रहेगी। इस कारण राखी बांधने का मुहूर्त 1.30 बजे के बाद ही शुरू होगा। रक्षाबंधन पर भद्रा के अलावा मुहूर्त के लिए चौघड़िया, लग्न या किसी भी तरह का विशेष काल नहीं देखा जाता है। भद्रा खत्म होने के बाद से सूर्यास्त तक बहनें कभी भी अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं। वैसे तो रात में रक्षाबंधन करने का विधान किसी ग्रंथ में नहीं है, लेकिन किसी वजह से दिन में रक्षाबंधन नहीं मना पा रहे तो सूर्यास्त के बाद भी राखी बांधने की परंपरा है।इस साल रक्षाबंधन पर 90 साल बाद 5 शुभ योग बन रहे हैं। जिसमें रवि, सौभाग्य, सर्वार्थ सिद्धि, शौभन श्रवण नक्षत्र बनने जा रहा है। वहीं इस दिन त्रिग्रही योग, बुधादित्य योग, शश राजयोग और शुक्रादित्य राजयोग बन रहे हैं। जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। वहीं इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा। भद्रा 19 अगस्त की रात 2 बजकर 21 मिनट पर लग जाएगी। साथ ही भद्रा का समापन दोपहर 1 बजकर 30 पर होगा।
रक्षाबंधन 2024 राखी बांधने का मुहूर्त–
- इस साल राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 19 अगस्त दोपहर 01:32 से लेकर रात 09:07 तक रहने वाला है। इस अवधि में आप अपने भाई की कलाई में राखी बांध सकती है।
दोपहर के समय राखी बांधने का समय– दोपहर 1 बजकर 46 मिनट से 4 बजकर 19 मिनट तक
अवधि – 02 घण्टे 37 मिनट
रक्षाबंधन में प्रदोष काल का मुहूर्त – शाम 06 बजकर 56 मिनट से रात 09 बजकर 07 मिनट तक
अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट
पौराणिक कथा के अनुसार जब एक बार देवता और दानवों में भयंकर युद्ध छिड़ गया था तो युद्ध में जाते हुए देवराज इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने उन्हें रक्षा सूत्र बांध कर युद्ध में भेजा था। इससे इंद्र को कोई नुकसान नहीं हुआ था और विजयी होकर लौटे थे। तब से ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाने लगा।महाभारत के अनुसार बताया जाता है कि एक बार भगवान कृष्ण के हाथ में चोट लग गई थी। तब द्रोपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर (रक्षा सूत्र) उनके हाथ में बांधा था। भगवान ने उसी समय द्रौपदी को उनकी रक्षा का वचन दिया था और भगवान ने कौरवों की सभा में द्रोपदी की रक्षा की थी।