Rahul Gandhi Defamation case : संसद की सदस्यता बचाने के लिए राहुल गांधी के पास अभी यह हैं विकल्प, कांग्रेस की हाईलेवल मीटिंग में लिए गए बड़े फैसले, राहुल की सांसदी रद करने में भाजपा विधायक की रही अहम भूमिका, पार्टी में बढ़ गया कद, देखें वीडियो - Daily Lok Manch PM Modi USA Visit New York Yoga Day
March 11, 2025
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Rahul Gandhi Defamation case : संसद की सदस्यता बचाने के लिए राहुल गांधी के पास अभी यह हैं विकल्प, कांग्रेस की हाईलेवल मीटिंग में लिए गए बड़े फैसले, राहुल की सांसदी रद करने में भाजपा विधायक की रही अहम भूमिका, पार्टी में बढ़ गया कद, देखें वीडियो

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राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म होने के बाद कांग्रेस खेमे में बेहद मायूसी छाई हुई है। ‌वहीं भाजपा खेमा इसे अपनी जीत बता रहा है और पार्टी के नेता प्रतिक्रिया भी कर रहे हैं। राहुल गांधी की सदस्यता रद होने पर बीजेपी ने प्रेस कांफ्रेंस की। संसदीय कार्य मंत्री और बीजेपी नेता प्रह्लाद जोशी ने शुक्रवार को कुछ प्रमुख ओबीसी नेताओं के साथ बैठक कर मामले को जोरशोर से उठाने का निर्देश दिया। बैठक में करीब 15 सांसद शामिल हुए. संसदीय कार्य मंत्री की ओर से उन सांसदों को निर्देश दिया गया कि ओबीसी समुदाय के अपमान के मुद्दे को मीडिया के माध्यम से जोरशोर से उठाया जाए। इसके बाद, शुक्रवार को ही बीजेपी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी इस मसले पर बात की गई। बीजेपी नेता धर्मेंद्र प्रधान ने भी ओबीसी वाले मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सूरत कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है। कोर्ट ने साबित किया है कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई भी ऊपर नहीं है। राहुल पर आज आए इस फैसले की वजह राहुल खुद ही हैं। 10 साल पहले 2013 में मनमोहन सिंह की सरकार में राहुल गांधी का ऑर्डिनेंस को फाड़ना भी ट्रेंडिंग हो गई है। वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी को 4 से 2 साल की सजा और लोकसभा सदस्यता रद होने में गुजरात के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी का पार्टी में कद बढ़ गया है। बता दें, राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान 13 अप्रैल को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली को संबोधित किया था।

सूरत पश्चिम से भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी
दिल्ली में कांग्रेस की मीटिंग

इस दौरान कहा था, ”नीरव मोदी, ललित मोदी और नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों होता है? राहुल के खिलाफ भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने धारा 499 और 500 के तहत मानहानि का केस दर्ज कराया था। सूरत पश्चिम सीट से पूर्णेश मोदी तीन बार जीतकर भाजपा विधायक बने हैं। ‌2013 में विधानसभा उपचुनाव जीतकर वह पहली बार विधायक बने थे। पूर्णेश गुजरात सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने पर कांग्रेस आक्रामक मूड में है। कांग्रेस ने इसे राहुल को संसद से बाहर रखने की कोशिश करार देते हुए सत्‍तारूढ़ बीजेपी पर बदले की राजनीति करने का आरोप लगाया है। राजधानी दिल्ली में विपक्ष ने राष्‍ट्रपति भवन तक केंद्र सरकार के खिलाफ मार्च निकाला। इस मार्च में कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों के नेता शामिल हुए हैं। वहीं संसद सदस्यता रद किए जाने के बाद लोकसभा की वेबसाइट से कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम हटा दिया गया है । सदस्यता जाने के बाद दिल्ली स्थित राहुल गांधी का बंगला भी छिन सकता है। जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक, अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होने पर उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद हो जाती है। राहुल गांधी की सांसदी रद होने के बाद कांग्रेस की इमरजेंसी बैठक हुई । इस बैठक में सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी मौजूद रहे। हालांकि, राहुल गांधी इस बैठक में शामिल होने नहीं पहुंचे । इस बैठक के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी देश भर में यह मुद्दा लेकर जाएगी कि राहुल गांधी जी की संसद सदस्यता जानबूझकर खत्म की गई है।



इसके तीन प्रमुख कारण हैं–

1. राहुल जी ने मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई
2. भारत जोड़ो यात्रा की सफलता से बीजेपी घबराई हुई है।
3. राहुल जी अडानी घोटाले पर बोल रहे हैं।

हालांकि अभी राहुल गांधी के पास विकल्प मौजूद है। राहुल को अपनी सदस्यता को बचाए रखने के सारे रास्ते बंद नहीं हुए हैं। राहुल को सजा की चुनौती देने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है। इन दिनों के भीतर वो सजा में राहत के लिए हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं, जहां अगर सूरत सेशन कोर्ट के फैसले पर स्टे लग जाता है तो सदस्यता बच सकती है। हाईकोर्ट अगर स्टे नहीं देता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से अगर स्टे मिल जाता है तो भी उनकी सदस्यता बच सकती है। हालांकि, जानकार इसकी उम्मीद कम ही बता रहे हैं. क्योंकि राहुल के मामले में दोषसिद्ध हो गया है। अगर ऊपरी अदालत से उन्हें राहत नहीं मिलती तो राहुल गांधी 8 साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। राहुल के पास संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का विकल्प भी है। अनुच्छेद 136 के तहत, सुप्रीम कोर्ट का भारत में सभी कोर्ट्स और ट्रिब्यूनल्स पर व्यापक अपीलीय क्षेत्राधिकार भी है।‌ सुप्रीम कोर्ट अपने विवेक से संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत भारत के क्षेत्र में किसी भी कोर्ट या ट्रिब्यूनल द्वारा पारित या दिए गए किसी भी कारण या मामले में किसी भी निर्णय, डिक्री, निर्धारण, वाक्य या आदेश से अपील करने के लिए विशेष अनुमति दे सकता है।‌ हालांकि, ऐसे मामलों में जहां अपील अदालतों के समक्ष होती है और सजा के निलंबन का प्रावधान है, सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप की संभावना कम ही रहती है। वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा कहते हैं कि राहुल गांधी को अपनी अपील के साथ सीआरपीसी की धारा 389 के तहत एक आवेदन भी दाखिल करना होगा, जिसमें सजा और दोषसिद्धि को निलंबित करने की मांग की गई हो। बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय ने संसद सदस्यता रद कर दी है।

लोकसभा सचिवालय के अयोग्य ठहराया जाने के 3 घंटे के बाद राहुल ने ट्वीट कर लिखा, ‘मैं भारत की आवाज के लिए लड़ रहा हूं, मैं हर कीमत चुकाने को तैयार हूं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा भाजपा ने राहुल को अयोग्य घोषित करने के लिए सभी तरीके आजमाए। जो सच बोल रहे हैं उन्हें वो पसंद नहीं करते, लेकिन हम सच बोलते रहेंगे। हम जेपीसी की मांग जारी रखेंगे, जरूरत पड़ी तो लोकतंत्र बचाने के लिए जेल भी जाएंगे। प्रियंका गांधी ने कहा कि डरी हुई सत्ता की पूरी मशीनरी साम, दाम, दंड, भेद लगाकर राहुल गांधी की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। मेरे भाई न कभी डरे हैं, न कभी डरेंगे। सच बोलते हुए जिये हैं, सच बोलते रहेंगे। देश के लोगों की आवाज उठाते रहेंगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा हम राजनीतिक और कानूनी तौर पर यह लड़ाई लड़ेंगे।


हमें चुप नहीं कराया जा सकता है, दबाया नहीं जा सकता। पीएम से जुड़े अडाणी के महाघोटाले पर जेपीसी बनाने की बजाय राहुल गांधी की सदस्यता रद की जा रही है। भारतीय लोकतंत्र का ओम शांति हो गया है। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म करना तानाशाही का एक और उदाहरण है। सीएम गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी देश की आवाज हैं जो इस तानाशाही के खिलाफ अब और मजबूत होगी। सीएम गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म करना तानाशाही का एक और उदाहरण है। बीजेपी ये ना भूले कि यही तरीका उन्होंने इंदिरा गांधी के खिलाफ भी अपनाया था और मुंह की खानी पड़ी। राहुल गांधी देश की आवाज हैं जो इस तानाशाही के खिलाफ अब और मजबूत होगी। कांग्रेस पार्टी की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए अभिषेक सिंघवी ने कहा, सरकारी संस्थाओं का दमन हो रहा है। राहुल को सच बोलने की सजा मिली है. लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने ट्वीट कर कहा, ए तलवार तुझे झुकना होगा गर्दन ने बगावत कर दी है। राहुल गांधी को डराना आपके बस की बात नहीं है पीएम मोदी, अडानी को बचाने की सारी कोशिशें नाकाम होंगी। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा, जिस दिन राहुल गांधी ने अडानी, पीएम के खिलाफ सवाल उठाए, राहुल गांधी को चुप कराने के लिए इस प्रकार की साजिश शुरू की गई। यह भाजपा सरकार के लोकतंत्र विरोधी, तानाशाही रवैये का स्पष्ट मामला है। फिलहाल राजधानी दिल्ली में सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, समेत तमाम विपक्षी नेता मंथन करने में लगे हुए हैं। ‌वहीं दूसरी और केरल के वायनाड में भी लोकसभा के उपचुनाव कराने को लेकर चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं। राहुल गांधी साल 2019 में वायनाड से ही कांग्रेस की टिकट पर जीत कर सांसद बने थे।


राहुल को एक दिन पहले ही मोदी सरनेम मामले में सूरत की सेशन कोर्ट ने दोषी पाए जाने पर सजा सुनाई थी। अप्रैल 2019 में बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ धारा 499 और 500 के तहत केस दर्ज कराया था। हालांकि, राहुल के पास अन्य कानूनी विकल्प के रास्ते खुले हैं। दरअसल, राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि के मामले में गुजरात की एक अदालत ने दो साल के कारावास की सजा सुनाई है, जिसके बाद से उनकी लोकसभा सदस्यता पर खतरा मंडराने लगा था। वैसे तो अदालत ने सजा सुनाने के बाद ही उनकी सजा निलंबित कर दी थी और उन्हें जमानत देते हुए अपील के लिए 30 दिन का समय भी दिया है, लेकिन इससे उन्हें बहुत राहत मिलती नहीं दिख रही है। राहुल को अब अपनी संसद सदस्यता बचाने के लिए अपनी अपील में पूरे केस को गलत साबित कर स्वयं को निर्दोष साबित करना होगा या फिर शिकायतकर्ता से समझौता करना होगा।


साल 2013 में मनमोहन सिंह की सरकार में राहुल गांधी ने ऑर्डिनेंस फाड़ दिया था–


लोकसभा सचिवालय की ओर से आज राहुल गांधी को अयोग्य ठहराए जाने के बाद मनमोहन की सरकार में 10 साल पहले की घटना भी खूब ट्रेंड हो रही है। आज मीडिया और सोशल मीडिया पर राहुल गांधी के ऑर्डिनेंस फाड़ने की खबरें भी सुर्खियों में है। ‌ बता दें कि 2019 मानहानि मामले में दोषी पाया जाना तो राहुल की सांसदी रद होने की वजह बनी। पर यह बच भी सकती थी अगर राहुल ने 10 साल पहले इस मामले से जुड़ा ऑर्डिनेंस फाड़ा नहीं होता। दरअसल 2013 में मनमोहन सिंह के देश के प्रधानमंत्री रहते यूपीए सरकार ने एक ऑर्डिनेंस पेश किया गया था। इस ऑर्डिनेंस के अनुसार दागी नेता यानी कि ऐसे नेता जिन्हें कोर्ट से दो साल या उससे ज्यादा की सजा मिली हो, उनकी विधायकी या सांसदी रद नहीं की जानी चाहिए। पर राहुल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस ऑर्डिनेंस को बकवास बताते हुए इसकी एक कॉपी को फाड़ दिया था। इतना ही नहीं, राहुल ने मनमोहन को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने तक की बात कर दी थी। मनमोहन उस समय अमरीका दौरे ओर थे। सितंबर, 2013 में राहुल ने इस ऑर्डिनेंस की कॉपी को फाड़ा था। इसके बाद अक्टूबर, 2013 में यूपीए सरकार ने इस ऑर्डिनेंस को वापस ले लिया था। ऐसे में आज राहुल की सांसदी रद होने पर करीब 10 साल पहले उनका इस विषय में फाड़े गए ऑर्डिनेंस मामला फिर से ताज़ा हो गया। क्योंकि अगर राहुल ने 10 साल पहले यूपीए सरकार के ऑर्डिनेंस को नहीं फाड़ा होता, तो आज उनकी लोकसभा सांसद के तौर पर सदस्यता बरकरार रहती।

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