प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीन देशों के दौरे के पहले चरण में साइप्रस पहुंचे। हवाई अड्डे पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। यहां पर साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस ने एयरपोर्ट पर रेड कार्पेट बिछाकर उनका स्वागत किया।राष्ट्रपति निकोस पीएम मोदी का हाथ पकड़कर साथ चले।
पीएम मोदी रविवार को 3 देशों की 4 दिन की यात्रा पर रवाना हुए। वे 15-16 जून को साइप्रस में रहेंगे। 16 और 17 जून को कनाडा में G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इसके बाद मोदी 18 जून को क्रोएशिया जाएंगे। 19 जून को भारत लौट आएंगे। पीएम मोदी भारतीय समुदाय से मिले, भारत माता की जय के नारे लगाए।
यह दौरा कूटनीतिक नजरिये से बेहद अहम माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब भारत वैश्विक मंच पर अपनी रणनीतिक भूमिका को मजबूत कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक रणनीतिक सोच का हिस्सा है। साइप्रस जैसे छोटे लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देशों के साथ संबंधों को मजबूत करना भारत की विदेश नीति में ‘मल्टी एलायंस डिप्लोमेसी’ की दिशा में एक अहम कदम है। प्रधानमंत्री मोदी साइप्रस जाने वाले तीसरे भारतीय प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले 1983 में इंदिरा गांधी और 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी ने इस देश का दौरा किया था। भारत और साइप्रस के कूटनीतिक रिश्ते हमेशा मजबूत रहे हैं, लेकिन इतने उच्चस्तरीय दौरे बहुत कम हुए हैं।
साइप्रस, पूर्वी भूमध्य सागर (मेडिटेरेनियन सी) पर ग्रीस के पूर्व, लेबनान, सीरिया और इसराइल के पश्चिम, मिस्र के उत्तर और तुर्की के दक्षिण में स्थित एक यूरेशियन द्वीप देश है। इसकी राजधानी निकोसिया है। मिस्र से इसकी दूरी 300 किमी है।
पहले यहां ब्रिटेन का शासन था। 16 अगस्त, 1960 को स्वतंत्र हुआ। साइप्रस 1974 में दो हिस्सों से बट गया। ग्रीस समर्थित तख्तापलट के बाद तुर्किये ने साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर हमला कर कब्जा कर लिया था। ईसाई बहुल दक्षिणी हिस्से पर ग्रीस का प्रभाव है। हालांकि उत्तरी हिस्से में मौजूद सरकार को सिर्फ तुर्किये मान्यता देता है