चिकित्सा, फिजिक्स, रसायन और साहित्य के बाद शुक्रवार, 6 अक्टूबर को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार की घोषणा की गई । साल 2023 का नोबेल शांति पुरस्कार महिलाओं की आजादी और हक की लड़ाई लड़ने वाली ईरानी ह्यूमन राइट्स कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को दिया गया है। नरगिस मोहम्मदी ने ईरान में कट्टरपंथियों के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई। इसके लिए उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया और जेल में भी डाला गया। इसके बावजूद मोहम्मदी ने कभी इसकी परवाह नहीं की और महिलाओं के अधिकारों और हक की आवाज को बुलंद रखा। नरगिस मोहम्मदी को ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ उनकी लड़ाई, मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए दिया गया है । नरगिस मोहम्मदी को शांति के क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा प्राइज नोबेल मिलना ईरान समेत तमाम देशों में फैले कट्टरपंथियों के मुंह पर बड़ा तमाचा भी है। नरगिस को यह पुरस्कार मिलने के बाद ईरानी सरकार और वहां की कट्टरपंथी जमात में जरूर हलचल मच गई है। नोबेल समिति के अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडरसन ने कहा, यह पुरस्कार सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण ईरान में अपने निर्विवाद नेता नरगिस मोहम्मदी के साथ पूरे आंदोलन के बहुत महत्वपूर्ण काम को मान्यता देता है। पुरस्कार के प्रभाव पर निर्णय करना नोबेल समिति का काम नहीं है। हमें उम्मीद है कि यह आंदोलन जिस भी रूप में ठीक लगे, काम जारी रखने के लिए एक प्रोत्साहन है।
मोहम्मदी इस समय ईरान की जेल में बंद हैं। कुछ समय पहले ईरान में मोहम्मदी 22 वर्षीय महसा अमिनी की मौत के बाद हुए देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन के लिए जेल गईं। महसा अमिनी पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद मौत हो गई थी। इस आंदोलन ने ईरान में साल 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से देश के कट्टरपंथियों के लिए अब तक की सबसे तीव्र चुनौतियों में से एक को जन्म दिया। ईरान में साल 2019 में हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शन की एक पीड़िता के स्मारक में शामिल होने के बाद अधिकारियों ने नवंबर में मोहम्मदी को गिरफ्तार कर लिया था। मोहम्मदी को 13 बार कैद किया गया और पांच बार दोषी ठहराया जा चुका है। नरगिस को कुल 31 साल जेल की सजा सुनाई गई है। बता दें कि साल 2003 में मानवाधिकार कार्यकर्ता शिरीन एबादी के पुरस्कार जीतने के बाद वह नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाली 19वीं महिला और दूसरी ईरानी महिला हैं। अभी भी वह जेल में बंद हैं।
बता दें कि नरगिस मोहम्मदी का पालन-पोषण एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ है। उनके पिता एक किसान थे। उनकी मां एक राजनीतिक परिवार से थीं। साल 1979 में ईरान में इस्लामी क्रांति हुई थी, जिसमें राजशाही को उखाड़ फेंका गया था। जिसमें उनके एक चाचा और दो चचेरे भाइयों को गिरफ्तार कर लिया गया था। जब नरगिस एक छोटी बच्ची थी तो उनकी मां ने कहा था कि कभी भी राजनीति में मत पड़ना। ईरान जैसे देश में सिस्टम से लड़ने की कीमत बहुत अधिक होगी। नरगिस ने फिजिक्स की पढ़ाई की। इंजीनियर के तौर पर काम किया। कॉलमनिस्ट भी रहीं। कई अखबारों के लिए लेख लिखे। साल 2003 में तेहरान में डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट सेंटर में काम शुरू किया। नोबेल प्राइज के वेबसाइट के मुताबिक, नरगिस मोहम्मदी को जेल में बंद कार्यकर्ताओं और उनके परिवारों की सहायता की कोशिश करने के आरोप में पहली बार 2011 में जेल हुई थी। नरगिस मोहम्मदी ने वाइट टॉर्चर नाम से एक किताब भी लिखी है। इस किताब में उन्होंने साथी कैदियों पर हुए टॉर्चर यानी उनकी तकलीफों को दर्ज किया गया है। ईरानी हुकूमत ने बहुत कोशिशें कीं, मगर नरगिस की आवाज़ को दबा नहीं सके। और कैदियों से बातचीत पर बेस्ड एक किताब वाइट टॉर्चर नाम से दुनिया के सामने आई।
बता दें कि इस साल मेडिकल क्षेत्र में कैटालिन कारिको और ड्रू वीसमैन को नोबेल दिया गया। न्यूक्लियोसाइड बेस संशोधनों से संबंधित उनकी खोजों के लिए यह सम्मान दिया गया। इसी खोज की वजह से कोविड-19 के खिलाफ प्रभावी mRNA टीके का विकास संभव हो सका। फिजिक्स का नोबेल पियरे एगोस्टिनी, फेरेंक क्रूज और ऐनी एल’हुइलियर को दिया गया है। वहीं केमिस्ट्री का नोबेल संयुक्त रूप से मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मौंगी जी बावेंडी, कोलंबिया विश्वविद्यालय से लुईस ई. ब्रूस और नैनोक्रिस्टल टेक्नोलॉजी में काम करने वाले एलेक्सी आई एकिमोव को दिया गया है। उन्हें ‘क्वांटम डॉट्स की खोज और संश्लेषण के लिए के लिए ये सम्मान दिया गया। बता दें कि नोबल पुरस्कार दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है।नोबेल पुरस्कार में 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का नकद पुरस्कार दिया जाता है। दिसंबर में पुरस्कार समारोह में विजेताओं को 18 कैरेट का स्वर्ण पदक और डिप्लोमा भी मिलता है।