अध्यात्म का नया अध्याय प्रारंभ : उज्जैन में बिखरी आलौकिक छटा, "माथे पर त्रिपुड लगाए पीएम मोदी ने महाकाल का किया लोकार्पण", 40 देशों में हुआ लाइव प्रसारण, देखें अद्भुत वीडियो-तस्वीरें - Daily Lok Manch PM Modi USA Visit New York Yoga Day
July 3, 2025
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अध्यात्म का नया अध्याय प्रारंभ : उज्जैन में बिखरी आलौकिक छटा, “माथे पर त्रिपुड लगाए पीएम मोदी ने महाकाल का किया लोकार्पण”, 40 देशों में हुआ लाइव प्रसारण, देखें अद्भुत वीडियो-तस्वीरें

आखिरकार वह शुभ घड़ी आ गई जब मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन (महाकाल नगरी) में अध्यात्म का नया अध्याय शुरू हुआ। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के नए दर्शन परिसर ‘महाकाल लोक’ श्रद्धालुओं के लिए खुल गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय गुजरात दौरे के बाद आज दोपहर बाद करीब 4:00 बजे सीधे इंदौर पहुंचे। ‌ इंदौर से चॉपर से उज्जैन पहुंचे। पीएम मोदी के पहुंचने से पहले उज्जैन को अद्भुत रोशनी से सजाया गया। यह धार्मिक शहर किसी “स्वर्ग लोक” से कम नहीं लग रहा है। ‌ अलौकिक रोशनी की छटा, अद्भुत नजारे हजारों की संख्या में महाकाल के भक्त इस घड़ी को देखने के लिए काफी समय से इंतजार कर रहे थे। ‌बॉलीवुड गायक कैलाश खेर ने कैलाश खेर ने महाकाल स्तुतिगान ‘भारत मध्ये स्वयंभू ज्योतिर्लिंग, यजामहे’ की प्रस्तुति दी। पीएम मोदी ने सबसे पहले महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में षोपडषोपचार पूजन किया, जिसके बाद उन्होंने गर्भगृह में बैठकर ही जाप किया। प्रधानमंत्री बाहर आए और फिर नंदी जी के पास बैठकर प्रार्थना की। मंदिर में पुजारी ने प्रधानमंत्री को रुद्राक्ष की माला पहनाई, मंत्रोच्चार के साथ त्रिपुड लगाया। महाकाल मंदिर और पूरे महाकाल लोक को फूलों से सजाया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने उज्जैन में 856 करोड़ रुपये की लागत से तैयार महाकालेश्वर मंदिर कारिडोर विकास परियोजना के पहले चरण का बटन दबाकर लोकार्पण किया। महाकाल लोक के लोकार्पण के दौरान भारत ही नहीं बल्कि 40 देशों में सीधा प्रसारण किया गया। लाखों लोगों ने इस अलौकिक नजारे को देखा। महाकाल लोक काशी कॉरिडोर से भी 4 गुना बड़ा है। ‌उद्घाटन के बाद पीएम मोदी ने कॉरिडोर भ्रमण किया। पीएम के साथ सीएम शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद हैं। इसके बाद वे कार्तिक मेला मैदान में सभा को संबोधित किया। इस दौरान हजारों की संख्या में प्रधानमंत्री को सुनने के लिए लोग मौजूद रहे। जानकारी के मुताबिक महाकाल लोक में 108 विशाल स्तंभ बनाए गए हैं। इन पर महादेव, पार्वती समेत उनके पूरे परिवार के चित्र उकेरे गए हैं। ये चित्र देखने में बिलकुल मूर्तियों की तरह ही हैं जिनमें शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की लीलाओं का वर्णन है‌ महाकाल की ये नगरी अध्यात्म और आधुनिकता का मिश्रण होगी। बता दें कि दूसरे चरण पर काम पहले से ही चल रहा है। जून 2023 तक पूरी परियोजना को पूरा किया जाना है। महाकाल लोक के निर्माण से मंदिर का कुल क्षेत्रफल वर्तमान में 2.82 हेक्टेयर से बढ़कर 20 हेक्टेयर से भी अधिक हो गया है।





महाकाल कॉरिडोर का आकार काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का चार गुना है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन पिछले साल के अंत में किया गया था। इसमें 946 मीटर लंबा कॉरिडोर है, जिस पर चलकर भक्त गर्भगृह तक पहुंचेंगे। उज्जैन में महाकाल लोक के लोकार्पण से पहले गायक कैलाश खेर महाकाल स्तुति करेंगे। महाकाल लोक गलियारा पुरानी रुद्र सागर झील के चारों और फैला हुआ है। उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के आसपास के क्षेत्र को पुनर्विकास करने की परियोजना के तहत रुद्र सागर झील को पुनर्जीवित किया गया है। देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक यहां महाकालेश्वर मंदिर में स्थापित है और यहां देश विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। गलियारे के लिए दो भव्य प्रवेश द्वार-नंदी द्वार और पिनाकी द्वार बनाए गए हैं। यह गलियारा मंदिर के प्रवेश द्वार तक जाता है तथा मार्ग में मनोरम दृश्य पेश करता है। उन्होंने बताया कि महाकाल मंदिर के नवनिर्मित गलियारे में 108 स्तंभ बनाए गए हैं, ये पूरा महाकाल मंदिर इन स्तंभों पर टिका होगा। महाकवि कालिदास के महाकाव्य मेघदूत में महाकाल वन की परिकल्पना को जिस सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है, सैकड़ों वर्षों के बाद उसे साकार रूप दे दिया गया है।



भारत में 12 ज्योतिर्लिंग स्थल हैं, जिन्हें शिव का एक रूप माना जाता है। पुराणों में कहा गया है कि जब तक महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन नहीं कर लेते, तब तक आध्यात्मिक जीवन पूर्ण नहीं हो सकता है। महाकाल दक्षिण की ओर मुख वाला एकमात्र ज्योतिर्लिंग है, जबकि अन्य सभी ज्योतिर्लिंगों का मुख पूर्व की तरफ है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मृत्यु की दिशा दक्षिण मानी जाती है। अकाल मृत्यु से बचने के लिए लोग महाकालेश्वर की पूजा करते हैं। महाकाल से जुड़ी एक कहानी है, जिसमें कहा गया कि एक बार चंद्रसेन नामक एक राजा था जिसने उज्जैन पर शासन किया था और वह शिव भक्त था। भगवान अपने महाकाल रूप में प्रकट हुए और राजा के शत्रुओं का नाश किया। अपने भक्तों के अनुरोध पर शिव उज्जैन में निवास करने लगे और यहां के प्रमुख देवता बनने के लिए सहमत हुए। महाकाल मंदिर का उल्लेख कई प्राचीन भारतीय काव्य ग्रंथों में मिलता है। चौथी शताब्दी में रचित मेघदूतम के प्रारंभिक भाग में कालिदास ने महाकाल मंदिर का विवरण देते हुए कहा है कि यह एक पत्थर की नींव के साथ लकड़ी के खंभों पर छत के साथ वर्णित है। गुप्त काल से पहले मंदिरों पर कोई शिखर नहीं होता था। महाकाल के अलावा, गुजरात में सोमनाथ और नागेश्वर, आंध्र प्रदेश में मल्लिकार्जुन, मध्य प्रदेश में ओंकारेश्वर, उत्तराखंड में केदारनाथ, महाराष्ट्र में भीमाशंकर, त्र्यंबकेश्वर और घृष्णेश्वर, वाराणसी में विश्वनाथ, झारखंड में बैद्यनाथ और तमिलनाडु में रामेश्वर ज्योतिर्लिंग हैं।

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