उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शानदार जुगलबंदी की वजह से एक बार फिर से प्रदेश में भगवा लहरा गया है। वहीं दूसरी ओर अब भाजपा की प्रचंड जीत पर भी राजनीति पंडित आकलन करने में लगे हुए हैं। यूपी विधानसभा चुनाव में सबसे जबरदस्त नुकसान बहुजन समाजवादी पार्टी रही। बीएसपी एक सीट पर ही सिमट गई, लेकिन भाजपा को मंजिल तक पहुंचा गई। हालांकि पार्टी सुप्रीमो मायावती इस पूरे चुनाव में खामोश नजर आई। बसपा सुप्रीमो की खामोशी का पूरा फायदा भाजपा को मिला । बसपा का दलित वोट भाजपा में शिफ्ट हो गया उससे आने वाले समय में भाजपा का बेस वोट बैंक इतना मजबूत हो सकता है कि उसे भविष्य में किसी दल से गठबंधन या सहयोग की जरूरत ही न पड़े। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शानदार 5 साल के कार्यकाल को भी जनता ने जनादेश दिया है। भाजपा की बड़ी जीत में बसपा का अघोषित साथ भी रहा। मायावती ने विधानसभा चुनाव के दौरान गिनी चुनी रैली की। इस दौरान उन्होंने भाजपा पर आक्रामक तेवर भी नहीं अपनाए, उनका निशाना सपा पर रहा। बसपा ने 122 सीटों पर ऐसे उम्मीदवार खड़े किए, जो सपा के उम्मीदवार की ही जाति के थे। इनमें 91 मुस्लिम बहुल, 15 यादव बहुत सीटें थीं। ये ऐसी सीटें थीं, जिसमें सपा की जीत की प्रबल संभावना थी। इन 122 में 68 सीटें भाजपा गठबंधन ने जीती। मायावती ने बसपा के जीतने से ज्यादा जोर भाजपा को जिताने में लगाया, तभी तो कभी यूपी में सरकार बनाने वाली बसपा सिर्फ एक सीट तक सिमट गई।
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं। चार राज्यों की सत्ता में भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड जीत के साथ वापसी की है। यूपी में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 403 में से 261 सीटें जीत ली हैं जबकि 13 सीटों पर गठबंधन के उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। सपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को 111 सीटों पर जीत मिली है जबकि 13 सीटों पर गठबंधन के उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। बसपा एक सीट जीती है। कांग्रेस के उम्मीदवार दो सीटों पर आगे चल रहे हैं जबकि अन्य भी दो सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं।