आज 2 जुलाई दिन रविवार है। दोपहर 12 बजे तक सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। लेकिन महाराष्ट्र की सियासत में आज दोपहर एक बार फिर से बड़ा सियासी उलटफेर हो गया है। आज हम बात कर रहे हैं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार के भतीजे अजीत पवार की। अजीत पवार पिछले काफी समय से अपनी पार्टी एनसीपी में तालमेल नहीं बिठा पा रहे थे।
आखिरकार आज अजित पवार ने खुलकर बड़ी बगावत कर दी है। एनसीपी में आज बड़ी टूट गई है। इसके बाद महाराष्ट्र से लेकर राजधानी दिल्ली तक सियासी हलचल तेज हो गई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी विधायक और महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता अजित पवार ने रविवार को मुंबई में अपने आधिकारिक आवास पर पार्टी के कुछ नेताओं और विधायकों से मुलाकात की। इस मीटिंग के बाद वे सीधा राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंचे। उनके साथ 30 विधायक भी मौजूद थे। अजीत पवार भाजपा में शामिल हो गए हैं। राजभवन में राज्यपाल ने अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई।
अब महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस, अजीत पवार दो डिप्टी सीएम हो गए हैं। अजित पवार के साथ 9 विधायक भी शिंदे सरकार में शामिल हो गए हैं। उनके साथ पार्टी के 18 विधायक हैं। भाजपा-शिवसेना गठबंधन को समर्थन देने और सरकार में शामिल होने का अजित पवार का फैसला 2024 से पहले विपक्षी एकता के लिए एक झटका है। एनसीपी के 9 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। इनमें धर्मराव अत्राम, सुनील वलसाड, अदिति तटकरे, हसन मुश्रीफ, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, अनिल पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल और शामिल हैं।
बताया जाता है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख के रूप में काम करने का अवसर नहीं दिए जाने के बाद अजित असंतुष्ट थे। बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले भी शामिल हुईं। हालांकि, सुले बैठक छोड़कर चली गईं। रविवार सुबह एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने पुणे में मौजूद शरद पवार से फोन पर बातचीत की।
राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रखते हुए, शरद पवार ने पुणे में रहने का फैसला किया है और कथित तौर पर अपने सभी निर्धारित कार्यक्रम रद कर दिए हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में, राकांपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने उनके इस्तीफे के मामले पर चर्चा की और पार्टी नेताओं ने कहा कि अंतिम निर्णय दो महीने में लिए जाने की संभावना है। इससे पहले 25 जून को उनके चाचा और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा था कि पार्टी अजित पवार की मांग पर फैसला लेगी। इससे पहले अप्रैल 2023 में अजित पवार ने साफ शब्दों में मुख्यमंत्री बनने की चाहत दिखाई थी।
उन्होंने कहा था कि वह मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और 2024 में क्यों, अभी भी सीएम पद के दावेदार हैं। उसके साथ-साथ उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाए थे कि 2004 में जब एनसीपी की कांग्रेस से ज्यादा सीटें आई थीं, तब पार्टी ने उन्हें सीएम पद देने का मौका गंवा दिया था। हालांकि, सीएम पद को लेकर उनका अभी भी दावा कायम है।
अजित पवार के डिप्टी सीएम बनने के बाद एनसीपी आधी हो गई है। सबसे बड़ा नुकसान अजित पवार के चाचा शरद पवार को हुआ है। बता दें कि अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए शरद पवार विपक्षी पार्टियों को एक करने में लगे हुए थे। लेकिन शरद पवार अपने ही भतीजे को संभाल नहीं पाए। अजित के इस दांवपेच के बाद इसका फायदा सीधा ही भाजपा को होगा।
बता दें कि अजित पवार ने पहली बार बगावत नहीं की है। बल्कि जब से महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी का गठबंधन हुआ था। उसके बाद से ही खुश नहीं थे। 2019 में उन्होंने अचानक से बीजेपी को समर्थन दे दिया था। तब देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। लेकिन तब शरद पवार ने इस बगावत को रोक लिया था।
उन्होंने 48 घंटे में ही सब विधायकों को एकजुट कर लिया था। जिसके बाद देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। आज हुए महाराष्ट्र में सियासी ड्रामे के बाद उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने कहा है कि कुछ लोगों ने महाराष्ट्र की राजनीति को साफ करने का बीड़ा उठाया है। उन्हें अपने तरीके से चलने दो। मेरी अभी शरद पवार जी से बात हुई है. उन्होंने कहा, ‘मैं मजबूत हूं। हमें लोगों का समर्थन प्राप्त है। हम उद्धव ठाकरे के साथ फिर से सब कुछ पुनर्निर्माण करेंगे। जी हां, लोग इस गेम को ज्यादा दिनों तक बर्दाश्त नहीं करेंगे।