चीन में करीब 1 महीने से राजनीतिक उथल-पुथल का दौर मचा हुआ था। बीच-बीच में कई खबरें ऐसी आई जिसमें राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कुर्सी भी खतरे में थी। शी जिनपिंग के खिलाफ कई नेताओं ने विद्रोह की आवाज भी बुलंद कर रखी है। नेताओं के विद्रोह के बीच राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने आप को और ताकतवर बना लिया है। शी जिनपिंग को लगातार तीसरी बार चीन का राष्ट्रपति बना दिया गया है। शी जिनपिंग ने अपनी नियुक्ति से पहले ही सीपीसी की बैठक से अपने पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ समेत कई प्रतिद्वंदियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। अब वह एक बार फिर चीन की सत्ता पर काबिज हो गए हैं। एक हफ्ते तक चलने वाली 20वीं सीपीसी राष्ट्रीय कांग्रेस शनिवार को संपन्न हुई थी, जिसमें 2,296 प्रतिनिधियों ने 205 सदस्यीय केंद्रीय समिति (Central Committee) का चुनाव किया था। चीन में सत्ता का असली चेहरा पोलित-ब्यूरो और इसकी स्टैंडिंग कमेटी को माना जाता है। स्टैंडिंग कमेटी का मुखिया जनरल सेक्रेटरी होता है और यही जनरल सेक्रेटरी सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का चेयरमैन और चीन का राष्ट्रपति होता है। सीपीसी की नई टीम में जिनपिंग ने सारे विरोधियों को हटा दिया है और अपने भरोसेमंद लोगों को एंट्री दी है। इस फैसले के बाद से जिनपिंग अब आजीवन राष्ट्रपति के पद पर रह सकते हैं। अब ऐसे में अंतरराष्ट्रीय राजनीति के तेजी से बदलने के आसार हैं। वहीं अब जिनपिंग के खिलाफ चीन में विद्रोह भी तेज हो सकता है। बताया जा रहा है कि सीपीसी और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में ऐसे कई ताकतवर लोग अभी भी हैं, जो आने वाले समय में जिनपिंग का तख्तापलट कर सकते हैं।