31 जुलाई , सोमवार का पंचांग और राशिफल - Daily Lok Manch horoscope punchang 31 July
February 4, 2025
Daily Lok Manch
धर्म/अध्यात्म

31 जुलाई , सोमवार का पंचांग और राशिफल

दिनांक:- 31 जुलाई 2023

🌺 आज का पंचांग 🌺

दिन:- सोमवार

युगाब्दः- 5125

विक्रम संवत- 2080

शक संवत -1945

अयन – दक्षिणायण (याम्यायण)

गोल – सौम्यायण (उत्तर गोल)

ऋतु – वर्षा

काल (राहु)- पश्चिम दिशा

मास – अधिक श्रावण

पक्ष – शुक्ल पक्ष

तिथि- चतुर्दशी

नक्षत्र – पू.षा.

योग – विष्कुम्भ

करण- गर

दिशा शूल- पूर्व दिशा में

🌞सूर्योदय:- 5:24

🌞पाक्षिक सूर्य— पुष्य नक्षत्र में 

🌺आज का व्रत व विशेष:- श्रावण सोमवार व्रत ।

🌹आने वाला व्रत:- पूर्णिमा व्रत- मंगलवार ।

 🌻🌸 सांस्कृतिक कोश🌸🌻

   द्रोणाचार्य के पिता भारद्वाज थे ।

🌚 राहु काल*:- प्रातः के 7:04 से 8:45 बजे तक ।

      🌺🌼आज का सुविचार🌼🌺 

अच्छे लोगों की अच्छाई यह होती है कि वह बुरे समय में भी अच्छे ही रहते हैं ।

31 जुलाई का राशिफल—–

मेष 

आज आपका दिन अच्छा रहने वाला है। व्यापार-व्यवसाय में आपको लाभ प्राप्त होगा। परिवार में मांगलिक कार्यक्रम होंगे। किसी धार्मिक यात्रा पर जा सकते हैं। विरोधी वर्ग से सावधान रहें। अपनो का पूर्ण सहयोग मिलेगा। कोई बड़ा कार्य आज आपका पूर्ण हो सकता है।

वृषभ 

आज आपका मन प्रसन्नता से भरा रहेगा। आप कोई नया कार्य शुरू कर सकते हैं। आपको अपने किसी परिचित से कार्यक्षेत्र में सहयोग मिलेगा। व्यापार क्षेत्र में नए अवसर बनेंगे। परिवार में नया मेहमान आ सकता है। मान-सम्मान में बढ़ोतरी होगी। धार्मिक यात्रा पर जाने का योग बनेगा।

मिथुन 

आज के दिन आप लम्बी यात्रा आदि पर जा सकते हैं। वाहन आदि चलाने में सावधानी बरतें। व्यापार-व्यवसाय में आप आज कोई नया काम शुरू न करें, नही तो बड़ी हानि उठानी पड़ सकती है। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

कर्क 

आज का दिन आप व्यर्थ के वाद-विवाद में उलझ सकते हैं। आप कोई नया काम करने का विचार बना रहे हैं तो अभी के लिए उसे रोक दें। व्यापार-व्यवसाय में अभी जोखिम न उठाएं। किसी लम्बी यात्रा पर न जाएं। वाहन आदि का उपयोग संभालकर करें।

सिंह 

आज का दिन आपका शानदार रहेगा। व्यापार-व्यवसाय में आपको लाभ प्राप्त होगा। कोई रुका हुआ काम पूर्ण होगा। विरोधी परास्त होंगे। न्यायालय पक्ष में विजय मिलेगी। स्वास्थ्य ठीक रहेगा। परिवार में मान-सम्मान की बढ़ोतरी होगी।

कन्या 

आज का दिन आपके लिए महत्वपूर्ण होगा। आप आज व्यापार-व्यवसाय में कोई बड़ी पार्टनरशिप कर सकते हैं। आपका मन सकारात्मक ऊर्जा से भरा रहेगा। आपको परिवार और व्यवसाय के क्षेत्र में मान-सम्मान प्राप्त होगा। वाणी पर संयम रखें।

तुला 

आज का दिन आप प्रशासनिक कार्य में उलझ सकते हैं। कोई पुराना विवाद सामने आ सकता है। परिवार में पैतृक संपत्ति को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित हो सकती है। व्यापार-व्यवसाय में हानि उठानी पड़ सकती है। वाहन आदि के उपयोग में सावधानी बरतें।

वृश्चिक 

आज आपका दिन व्यर्थ की भागदौड़ में निकलेगा। आप जिस कार्य के लिए कुछ दिनों से परेशान हैं। आज आपका वो काम होता हुआ दिखाई देगा। आपको अपने मित्रों से धोखा मिल सकता है। व्यापार में बड़ा लेन-देन सोच-विचार कर करें। यात्रा आदि में सावधानी बरतें।

धनु 

आज का दिन बहुत अच्छा रहने वाला है। आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। मान-सम्मान में बढ़ोतरी होगी। न्यायालय पक्ष में आज आपकी विजय होगी। नौकरी वर्ग वालों को पदोन्नति मिल सकती है। परिवार में शादी या विवाह के योग बनेंगे। पत्नी से संबंध मधुर होंगे।

मकर 

आज का दिन शानदार रहेगा। व्यापार-व्यवसाय में लाभ प्राप्त होगा। आर्थिक स्थिति मजबूत बनेगी। आप किसी नए कार्य की शुरुआत करने की योजना पर काम कर सकते हैं। व्यवसाय में सहयोगियों का साथ मिलेगा। कोई नया वाहन या मकान खरीद सकते हैं।

कुंभ 

आज आपका स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। खान-पान पर नियंत्रण रखें। परिवार में आपका सम्मान बना रहेगा। पडोसी से मतभेद बढ़ सकता है। व्यापार-व्यवसाय में आज आपको हानि हो सकती है। नौकरी वर्ग वालों का अपने अधिकारी वर्ग से वाद-विवाद हो सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें।

मीन 

आज के दिन आपके किसी करीबी व्यक्ति का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। आप आज अपने क्रोध पर नियंत्रण रखें नहीं तो आपका बड़ा नुकसान हो सकता है। किसी बड़े काम से आप हाथ धो बैठेंगे। परिवार में कलह हो सकती है, जिस कारण मन अशांत रहेगा।

सावन महीने में करें शिव तांडव स्तोत्र का पाठ, हर मनोकामना होगी पूर्ण

शिव तांडव स्तोत्र की रचाना के पीछे भी एक कहानी है और ये कहानी शिव के परम भक्त रावण से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि शिव तांडव स्तोत्र को रावण ने ही रचा था।

रावण भगवान शिव का परम भक्त था। उसने भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कैलाश पर्वत को अपने हाथों में उठा लिया था। रावण शिव शंकर की अपार शक्ति में लीन तो रहता है, लेकिन वह अहंकारी भी था। रावण का अहंकार कम करमे के लिए भगवान भोलेनाथ ने कैलाश पर्वत पर अपना पैर रक दिया। जिससे पर्वत का भार इतना बढ़ गया कि रावण से सहा नहीं गया और वो कैलाश पर्वत के नीचे दब गया। रावण की पीड़ा असहनीय होती जा रही थी। इसी मुसीबत को दूर करने के लिए रावण ने उसी वक्त शिवतांड़व स्तोत्र की रचना कर डाली और इसे भगवान शिव को सुनाया।

भगवान शिव रावण की इस स्तुति से प्रसन्न हुए और वरदान देने के साथ ही उसके सभी कष्टों को दूर किया । रावण ने जिस जगह कैलास पर्वत पर जिस पहाड़ के नीचे दबे हुए शिव तांडव स्तोत्र गाया था। आज भी वह स्थान कैलास पर्वत पर स्थित है और इस स्थान को राक्षस काल के नाम से जाना जाता है। रावण रचित इस स्तोत्र के बारे में मान्यता है, के भगवान भोलेनाथ सभी कष्टों को हर लेते हैं।

मुश्किल है शिव तांडव स्तोत्र को पढ़ना, मिलेंगे बहुत लाभ
शिव तांडव स्तोत्र में संस्कृत के बहुत ही कठिन शब्दों का प्रयोग है यही कारण है इसे पढ़ना और सही उच्चारण करना बेहद कठिन है। शिव तांडव स्तोत्र अमोघ औषधि माना गया है। ये हर तरह के कष्टों से मुक्ति का रास्ता है। पितृ दोष निवारण और काल सर्प दोष में ये मंत्र बहुत प्रभावी है।
शिव तांडव स्तोत्र को पढ़ें
जटाटवीग लज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌।
डमड्डमड्डमड्डम न्निनादवड्डमर्वयं
चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ॥1॥
जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी ।
विलोलवी चिवल्लरी विराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके
किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥2॥
धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधुवंधुर-
स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे ।
कृपाकटा क्षधारणी निरुद्धदुर्धरापदि
कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥
जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा-
कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे ।
मदांध सिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि ॥4॥
सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर-
प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः ।
भुजंगराज मालया निबद्धजाटजूटकः
श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः ॥5॥
ललाट चत्वरज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा-
निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम्‌ ।
सुधा मयुख लेखया विराजमानशेखरं
महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः ॥6॥
कराल भाल पट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके ।
धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम ॥7॥
नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर-
त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबंधबंधुकंधरः ।
निलिम्पनिर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः
कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥8॥
प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंचकालिमच्छटा-
विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥9॥
अगर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी-
रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌ ।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं
गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥10॥
जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुर-
द्धगद्धगद्वि निर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्-
धिमिद्धिमिद्धिमि नन्मृदंगतुंगमंगल-
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥11॥
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंग मौक्तिकमस्रजो-
र्गरिष्ठरत्नलोष्टयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥12॥
कदा निलिंपनिर्झरी निकुजकोटरे वसन्‌
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌ ।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌ कदा सुखी भवाम्यहम्‌ ॥13॥
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥14॥
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ ॥15॥
इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं
पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌ ।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं
विमोहनं हि देहना तु शंकरस्य चिंतनम ॥16॥
पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं
यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां
लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥17॥
इति रावण कृतम् शिव – ताण्दव स्तोत्रम्

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