हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र आज से शुरू हो रहा है। यह मानसून सत्र 2 सितंबर तक प्रस्तावित है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार इस सत्र में एक बड़ा अध्यादेश पेश करने जा रही है, जिसके तहत नगरपालिका अधिनियम में संशोधन प्रस्तावित है। इस संशोधन के चलते हाल ही में गठित नगर निकायों के चुनाव टल सकते हैं। सरकार का तर्क है कि नए संशोधन से शहरी निकायों की कार्यप्रणाली अधिक पारदर्शी और सशक्त होगी। हालांकि विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। भाजपा नेताओं का कहना है कि नगर निकायों के चुनाव टालना लोकतांत्रिक प्रक्रिया से छेड़छाड़ होगी। विपक्ष का आरोप है कि सुक्खू सरकार जनता से डरकर चुनाव आगे खिसकाना चाहती है। भाजपा ने संकेत दिया है कि वह सदन में इस विषय पर सरकार से तीखी बहस करेगी। सत्र के पहले ही दिन इस अध्यादेश के पेश होने से सदन में सियासी तपिश बढ़ने के आसार हैं। विपक्षी दल इसे जनता के अधिकारों से जुड़ा मामला बता रहे हैं, वहीं सरकार इसे प्रशासनिक मजबूरी और सुधार की दिशा में उठाया गया कदम बता रही है। सत्र के दौरान बारिश से हुई प्राकृतिक आपदाओं, राहत और पुनर्वास पैकेज, कर्मचारियों के मुद्दे और बिजली परियोजनाओं पर भी सदन में जोरदार चर्चा होने की संभावना है। लेकिन फिलहाल सबकी निगाहें नगर निकाय चुनाव पर मंडराते संशोधन के साए पर टिकी हैं।
यह सत्र कुल 12 बैठकों का होगा, जो इसे 14वीं विधानसभा का अब तक का सबसे लंबा मानसून सत्र बनाता है (महज 21वीं और 11वीं सदन के बाद यह तीसरी बार हो रहा है) । विधानसभा अध्यक्ष कुंद्रीप सिंह पठानिया ने कहा कि यह लंबा सत्र राज्यों में 35 बैठकों के वार्षिक मानक को पूरा करने की दिशा में भी मदद करेगा ।
अध्यादेश पर बहस : मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार नगर निकायों के चुनाव टालने वाला नगरपालिका संशोधन अध्यादेश सदन में पेश करेगी। सरकार का कहना है कि यह शहरी प्रशासन को अधिक पारदर्शी और सक्षम बनाएगा।
विपक्षी प्रतिक्रिया : भाजपा समेत विपक्ष ने पहले ही तैयारी कर ली है और कह रहा है कि निकाय चुनावों का टालना लोकतंत्र का उल्लंघन है। सत्र की शुरुआत से ही सियासी टकराव की संभावना रेखांकित हो रही है।
आपदाओं से जुड़ी चर्चाएँ : राज्य में हाल ही में आई भारी बारिश, भूस्खलन, बाढ़ और बादलों के फटने (क्लाउडबर्स्ट) के संदर्भ में सरकारी राहत-पुनर्वास काम, बंद पड़े बुनियादी ढांचे, स्कूल–सड़क–पुलों की स्थिति पर भी कड़ा ध्यान जाएगा।