उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री और वर्तमान में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य अपने विवादित बयानों से सुर्खियों में रहते हैं। कुछ समय पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया था। उनके इस बयान पर भाजपा समेत तमाम हिंदू संगठनों ने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की कड़ी आलोचना की थी। अब एक फिर सपा के राष्ट्रीय महासचिव मौर्य ने उत्तराखंड में स्थित बाबा बद्रीनाथ धाम पर विवादित टिप्पणी की है । सपा नेता के की गई इस विवादित टिप्पणी पर वाराणसी में तमाम हिंदू संगठनों के साथ वकीलों ने मोर्चा खोल दिया है। वाराणसी के वकीलों ने स्वामी प्रसाद मौर्य को मानसिक विक्षिप्त बताते हुए दीवारों पर पोस्टर भी नहीं लगा दिए हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य के बाबा बद्रीनाथ धाम पर विवादित बयान को लेकर उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड समेत देश के कई राज्यों में भारी रोष देखा जा रहा है। इसके साथ सोशल मीडिया पर भी मौर्य के बयान पर हिंदू संगठन से जुड़े लोग कड़ी आलोचना कर रहे हैं।
सपा नेता के बयान पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी में कड़ी आपत्ति जताई है। बता दें कि गुरुवार 27 जुलाई को एक चैनल में दिए गए इंटरव्यू के दौरान सपा नेता ने बदरीनाथ धाम का भी नाम लिया और दावा किया कि बदरीनाथ धाम भी आठवीं शताब्दी तक बौद्ध मठ था। स्वामी प्रसाद के इस बयान पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार 28 जुलाई को पलटवार किया और कहा कि ‘महाठगबंधन’ में शामिल समाजवादी पार्टी के एक नेता का बयान कांग्रेस और सहयोगियों की देश और धर्म विरोधी सोच को दर्शाता है। पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट करते हुए कहा- करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र भू बैकुंठ श्री बदरीनाथ धाम पर समाजवादी पार्टी के नेता द्वारा की गई टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण है। “महाठगबंधन” के एक सदस्य के रूप में समाजवादी पार्टी के एक नेता द्वारा दिया गया यह बयान कांग्रेस और उसके सहयोगियों की देश व धर्म विरोधी सोच को दर्शाता है। यह विचार इन दलों के अंदर सिमी और पीएफआई (PFI) की विचारधारा के वर्चस्व को भी प्रकट करता है।
सीएम धामी के अलावा चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने भी सपा नेता के बयान पर आपत्ति जताई है। महापंयात ने कहा कि वे पहले अध्ययन करें। उसके बाद ही अपना ज्ञान बांटे। महापंचायत के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल, महासचिव डा. बृजेश सती ने कहा कि मौर्य धर्म की आड़ में अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश कर रहे हैं। बदरीनाथ चार धामों में प्रमुख धाम है। जिसे मोक्ष का धाम भी कहा जाता है। महापंचायत ने कहा कि यह धाम बौद्ध धर्म के अस्तित्व में आने के पहले से विख्यात है। बकौल महापंचायत- आदि गुरु शंकराचार्य का प्रादुर्भाव पांचवीं सदी में हुआ था। उनके द्वारा ही बदरीनाथ मंदिर(badrinath mandir)का जीर्णोद्धार किया गया था।
बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने भी विरोध जताया है। उनका कहना है कि बद्रीनाथ धाम करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है। समाजवादी पार्टी का चरित्र हमेशा से ही हिंदू विरोधी रहा है। वे हिंदुओं के धर्मस्थलों को विवादित बनाने की कोशिश करते हैं और अब सपा नेता का यह बयान भी निंदनीय है।
इसके साथी बद्रीनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य बयान की निंदा की है। जिस मंदिर से करोड़ों हिंदुओं की आस्था और विश्वास जुड़ा है और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी भारी तादाद में देश- विदेश के कोने कोने से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान बद्री विशाल के दर्शन के लिए आते हैं। ऐसे में स्वामी प्रसाद मौर्य का यह बयान ना केवल बचकाना है बल्कि देश के अन्य हिस्सों में स्थित हिंदुओं की आस्था के प्रतीक मंदिरों पर दिए गए उनके इस बयान पर तमाम सवाल भी उठने लाजमी है।
दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे पर प्रतिक्रिया देते हुए सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने गुरुवार 27 जुलाई को कहा था कि अगर एएसआई सर्वे हो ही रहा है तो सिर्फ ज्ञानवापी का नहीं बल्कि सभी हिंदू मंदिरों का होना चाहिए। अधिकांश मंदिर बौद्ध मठों तो तोड़कर बनाए गए हैं। गड़े मुर्दे उखाड़ने की कोशिश की जाएगी तो बात बहुत दूर तक जाएगी। हम ऐसा नहीं चाहते। हम चाहते हैं कि भाई-चारा बना रहे। वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य ने अब कहा, “आखिर मिर्ची लगी न, अब आस्था याद आ रही है। क्या औरों की आस्था, आस्था नहीं है? इसलिए तो हमने कहा था किसी की आस्था पर चोट न पहुंचे इसलिए 15 अगस्त 1947 के दिन जिस भी धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, उसे यथास्थिति मानकर किसी भी विवाद से बचा जा सकता है। अन्यथा ऐतिहासिक सच स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए। 8वीं शताब्दी तक बद्रीनाथ बौद्ध मठ था उसके बाद यह बद्रीनाथ धाम हिन्दू तीर्थ स्थल बनाया गया, यही सच है। स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर सोशल मीडिया पर भी तमाम यूजर्स प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयान पर जहां एक ओर बद्रीनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित और भाजपा सरकार ने हमला बोला है। स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर उत्तराखंड के धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने भी मोर्चा संभाला. सतपाल महाराज ने कहा बदरीनाथ मंदिर सनातन संस्कृति का प्राचीन मंदिर है। उन्होंने कहा बदरीनाथ मंदिर उस समय का है जब बौद्ध धर्म था ही नहीं। उन्होंने कहा तब महात्मा बुद्ध पैदा नहीं हुए थे। बदरी विशाल मंदिर सतयुग काल का माना जाता है। ऐसे में ये बौद्ध मठ हो ही नहीं सकता। सतपाल महाराज ने कहा इतना जरूर है कि यहां आक्रमण होते रहे हैं। तमाम मंदिरो में बुद्ध की मूर्ति रखी गई। महाराज ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर निशाना साधते हुए कहा कि वे सिर्फ पब्लिसिटी के लिए ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं।
वहीं, कांग्रेस भी मौर्य के बयान को अस्वीकार्य बता रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा स्वामी प्रसाद मौर्य को हिंदू धर्म ग्रंथों के अध्ययन करना चाहिए। उन्होंने कहा है स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है।
बता दें कि उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है. स्कंद पुराण और विष्णु पुराण में बदरीनाथ का वर्णन मिलता है। बदरीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि 8वीं शताब्दी में आदिगुरु शंकराचार्य ने बदरीनाथ मंदिर बनवाया था। वैदिक काल में भी बदरीनाथ मंदिर के मौजूद होने का जिक्र पुराणों में मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भू-बैकुंठ कहे जाने वाले भगवान विष्णु की देवडोली शीतकाल के दौरान पांडुकेश्वर स्तिथ योग ध्यान बदरी मंदिर में प्रवास करती है। इसके साथ ही हर साल अप्रैल- मई महीने में पूरे विधिविधान के साथ ब्रह्म मूहर्त में बदरी विशाल के कपाट खोले जाते हैं।
विवेक नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा, ‘सपा को फिर 5 से ज्यादा सीटे ना मिले, इसका पूरा इंतजाम करते मौर्य जी!’ कन्हैया अग्रवाल ने लिखा, ‘सत्ता के लालच में कितना गिरोगे? बीजेपी को गाली देनी है तो दो, RSS को कोसना है कोसो लेकिन आम लोगों की आस्था से तो मत खिलवाड़ करो!’ गोपाल नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा, ‘अखिलेश यादव जी ये नेता आपकी पार्टी को काफी नुकसान पहुंचाएगा। सभी भी समय है, संज्ञान लीजिये।’ एक अन्य ने लिखा, ‘सबकी आस्था है, किसी दूसरे की आस्था के साथ खिलवाड़ करने से पहले सबको सोचना चाहिए। क्योंकि किसी की भी आस्था के साथ खिलवाड़ तो कोई भी कर सकता है।’