मिशन 2027 के लिए शीर्ष नेतृत्व ने सीएम धामी- महेंद्र भट्ट की जोड़ी पर लगाई मुहर
July 5, 2025
Daily Lok Manch
उत्तराखंड

Uttarakhand Politics : मिशन 2027 के लिए शीर्ष नेतृत्व ने सीएम धामी और महेंद्र भट्ट की जोड़ी पर लगाई “मुहर”

 

उत्तराखंड भौगोलिक और राजनीतिक दृष्टि से छोटा राज्य है। आमतौर पर यहां राजनीतिक हलचलें कम देखने को मिलती है। लेकिन यह भी सही है उत्तराखंड की शांत राजनीति में जब-जब गर्माहट आती है तो इसकी धमक दिल्ली तक पहुंचती रही है । उत्तराखंड भाजपा में तीन दिन (1 से 4 जुलाई ) “रिकॉर्ड बने, परंपराएं टूटी और मिशन 2027” भी रेखांकित कर शीर्ष नेतृत्व ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की जोड़ी पर अंतिम मुहर लगा दी। हालांकि राजनीति अनिश्चितताओं से भरी है, कब और क्या नया होने वाला है सियासत के जानकार भी नहीं समझ पाए । मुख्यमंत्री धामी और महेंद्र भट्ट के चेहरे की मुस्कान, आत्मविश्वास बता गया कि हाईकमान (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) ने उन्हें उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटने के लिए हरी झंडी दे दी है। उत्तराखंड एक ऐसा प्रदेश है जहां पर मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश अध्यक्ष भी अपना पूरा कार्यकाल (सीएम के रूप में एनडी तिवारी को छोड़कर) नहीं कर पाए हैं। भाजपा आलाकमान ने महेंद्र भट्ट को पिछले साल अप्रैल 2024 में राज्यसभा सांसद बनाया था तभी से उनके प्रदेश अध्यक्ष छोड़ने की अटकलें चल रही थी। (भाजपा की गाइडलाइन के अनुसार एक व्यक्ति दो पदों पर नहीं रह सकता ।) लेकिन पार्टी नेतृत्व ने भट्ट पर एक बार फिर भरोसा जताया और अपने मिथक को तोड़ते हुए उनको प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान सौंप दी। उत्तराखंड में पार्टी की कमान किसको मिलेगी कई दिनों से अटकलों का बाजार गर्म था । सियासी बाजार में चर्चा थी कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लिए कोई नया चेहरा सामने लाएगी । लेकिन ऐसा नहीं हुआ। राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट मंगलवार (1 जुलाई, 2025) को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उत्तराखंड इकाई के अध्यक्ष के रूप में फिर से चुने गए। वे राज्य में भाजपा के एकमात्र नेता हैं, जिन्होंने राज्य के गठन के बाद से लगातार दो बार इस पद को संभाला है। हालांकि, उनकी जीत पहले से तय थी, क्योंकि वे इस पद के लिए नामांकन दाखिल करने वाले एकमात्र उम्मीदवार थे। उत्तराखंड में ठाकुर मुख्यमंत्री और ब्राह्मण अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने राजनीतिक समीकरण साधने की कोशिश की है। उत्तराखंड बीजेपी की दोबारा कमान मिलने पर महेंद्र भट्ट ने शीर्ष नेतृत्व का आभार जताया और साल 2027 विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कमर कस ली है। अब बात करते हैं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की। शुक्रवार, 4 जुलाई को सीएम धामी ने अपने कार्यकाल के 4 साल पूरे कर लिए । इस मौके पर मुख्यमंत्री धामी ने भी सोशल मीडिया पर खुशी का इजहार किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश की जनता का आभार जताया। 4 साल पहले 4 जुलाई साल 2021 को पुष्कर सिंह धामी पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। हालांकि, धामी को 2021 में जब पहली बार मुख्यमंत्री बनाया गया था तो उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनके जैसे साधारण कार्यकर्ता को इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को राज्य के 25 साल के अस्तित्व में सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले भाजपा मुख्यमंत्री के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर ली। मुख्यमंत्री धामी ने अपने दोनों कार्यकाल को मिलाकर 4 साल पूरी किए हैं। भाजपा ने राज्य में चले आ रहे कई मिथक और धारणा को तोड़ा है। साल 2022 के फरवरी महीने में हुए विधानसभा चुनाव में मिली हार के बावजूद धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। चुनावी हार के बाद शीर्ष नेतृत्व ने कमान उनके हाथ से वापस नहीं ली। कहीं न कहीं धामी पार्टी हाई कमान की कसौटी पर खरे साबित हुए हैं। सीएम धामी से पहले कांग्रेस के नरेंद्र तिवारी ही लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे। यह रिकॉर्ड अभी भी दिवंगत कांग्रेस के दिग्गज पंडित नारायण दत्त तिवारी के नाम है, जिन्होंने पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था। 4 साल के कार्यकाल में सीएम धामी की उपलब्धि का श्रेय उनके नेतृत्व में लिए गए दर्जनों जन-कल्याणकारी निर्णयों को दिया, जिनमें कठोर नकल विरोधी कानून, भूमि कानून, धर्मांतरण विरोधी कानून और समान नागरिक संहिता शामिल हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए उनके चार साल की यात्रा सुखद है। मुख्यमंत्री और प्रदेश नेतृत्व ने मिलकर 2027 में विधानसभा के चुनाव का खाका भी तैयार कर लिया है। सरकार की योजनाओं और कामकाज को लेकर विपक्ष भी उतना आक्रामक नहीं दिखता है जिससे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मजबूती के साथ सरकार चलाते हुए आगे बढ़ रहे हैं।

सीएम धामी ने अपने 4 साल के कार्यकाल की गिनाई उपलब्धियां–

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शुक्रवार को हरिद्वार पहुंचे और मां गंगा का पूजन किया। अपने कार्यकाल के 4 साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया पर भी अपनी उपलब्धियों का बखान किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाइयों-बहनों, जहां इन 4 वर्षों में समान नागरिक संहिता, सख्त नकल विरोधी कानून, सख्त धर्मांतरण कानून, दंगारोधी कानून लागू कर सुशासन के संकल्प को पूरा किया है वहीं लैंड जिहाद, लव जिहाद, अवैध मदरसों व अतिक्रमण पर निरंतर कार्रवाई और सख्त भू-कानून लागू कर देवभूमि के मूल स्वरूप की रक्षा हेतु अपनी प्रतिबद्धता को साबित किया है। इन 4 वर्षों में एक ओर जहां प्रदेश सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति में देश का अग्रणी राज्य बना है वहीं दूसरी ओर कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करने के लिए इकोलॉजी, इकॉनमी और टेक्नोलॉजी के बेहतर समन्वय से रोड, रेल और रोपवे निर्माण के क्षेत्र में भी नया कीर्तिमान स्थापित हुआ है। सीएम हेल्पलाइन 1905 और 1064 विजिलेंस ऐप से सदैव आम जनमानस के विश्वास को जीतने का प्रयास किया है और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत मगरमच्छ जैसे भ्रष्टाचारियों को सलाखों के पीछे भेजकर एक सख्त संदेश भी दिया। युवा साथियों को इन 4 वर्षों में पूर्ण पारदर्शिता के साथ 23000 से भी अधिक सरकारी नौकरी दी है और महिलाओं को 30% क्षैतिज आरक्षण देकर उनकी सशक्त भागीदारी भी सुनिश्चित की है। यही कारण है कि आज प्रदेश में बेरोजगारी दर तेजी से घटी है जो कि राष्ट्रीय औसत से भी कम है। धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहित करने वाली नीतियों के फलस्वरुप प्रत्येक वर्ष रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु चारधाम यात्रा एवं कांवड़ यात्रा में देवभूमि उत्तराखंड पधार रहे हैं। आपके आशीर्वाद और आदरणीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों के पुनर्विकास, साहसिक पर्यटन को बढ़ावा, स्थानीय उत्पादों का बढ़ चढ़कर प्रचार-प्रसार, होम स्टे योजना के माध्यम से स्वरोजगार, छात्रवृत्ति योजनाएँ, खेल और खिलाड़ियों के लिये बेहतर सुविधाएं, किसान कल्याण, सैनिक कल्याण और स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुए अभूतपूर्व कार्य आज देवभूमि उत्तराखंड के विकास का नया अध्याय लिख रहे हैं। प्रदेश में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देते हुए रिकॉर्ड 3.5 लाख करोड़ के एमओयू साइन किए और अभी तक 1 लाख करोड़ के निवेश की ग्राउंडिंग कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। विकसित भारत-2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगामी वर्षों में देवभूमि उन्नति और प्रगति के क्षेत्र में नये सोपान गढ़ने को तैयार है। देवभूमि उत्तराखंड की सेवा का अवसर प्रदान करने के लिए देवतुल्य जनता और केंद्रीय नेतृत्व का हार्दिक आभार। उत्तराखंड में अब तक भाजपा के मुख्यमंत्रियों ऐसा रहा है कार्यकाल। नित्यानंद स्वामी 9 नवंबर 2000 से 29 अक्टूबर 2001 तक। भगत सिंह कोश्यारी 30 अक्टूबर 2001 से 1 मार्च 2002 तक । भुवन चंद खंडूरी 7 मार्च 2007 से 26 जून 2009 तक। रमेश पोखरियाल निशंक 27 जून 2009 से 10 सितंबर 2011 तक। भुवन चंद खंडूरी 11 सितंबर 2011 से 13 मार्च 2012 तक। त्रिवेंद्र सिंह रावत 18 मार्च 2017 से 10 मार्च 2021 तक । तीरथ सिंह रावत 10 मार्च 2021 से 3 जुलाई 2021 तक। पुष्कर सिंह धामी 4 जुलाई 2021 से जारी है।

महेंद्र भट्ट 2022 में भी उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष बने थे–

भारतीय जनता पार्टी हाईकमान ने महेंद्र भट्ट को 2022 में उत्तराखंड भाजपा का अध्यक्ष बनाया था। उन्हें एक बार फिर भाजपा ने अध्यक्ष बनाया है। भट्ट दो बार के विधायक हैं और एबीवीपी से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। महेंद्र भट्ट को एक बार फिर से उत्तराखंड भाजपा संगठन प्रदेश अध्यक्ष का मुखिया इसलिए बनाया गया क्योंकि इसके पीछे निकाय चुनावों में पार्टी की बंपर जीत, विधानसभा चुनाव में दोबारा से बीजेपी की जीत, पूर्व में त्रिस्तरीय पंचायत में बीजेपी की जीत, इसके अलावा लोकसभा चुनाव में पांचों सीटे बीजेपी की जीत । यह सभी चुनाव ऐसे थे जिसमें भाजपा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर महेंद्र भट्ट ने पार्टी संगठन को बंपर जीत दिलवाई है और यही वजह है कि एक बार फिर से महेंद्र भट्ट को प्रदेश अध्यक्ष निर्विरोध चुना गया है। चमोली के मूल निवासी और नंदप्रयाग और बद्रीनाथ से दो बार विधायक रहे भट्ट ने कहा कि वह राज्य में पार्टी को मजबूत करने के लिए काम करना जारी रखेंगे। उन्होंने सबसे पहले 2022 में मदन कौशिक की जगह उत्तराखंड में भाजपा के अध्यक्ष का पद संभाला था। राजनीतिक पर्यवेक्षक भट्ट को भाजपा के उत्तराखंड अध्यक्ष के रूप में फिर से चुने जाने को पार्टी के ब्राह्मण वोट बैंक को खुश करने के फैसले के रूप में देखते हैं, जो लंबे समय से पार्टी के मुख्यमंत्रियों की पसंद पर आपत्ति जताते रहे हैं। 2017 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से राज्य में तीन मुख्यमंत्री हुए हैं, वे सभी ठाकुर हैं। इस बार भी भगवा पार्टी ने ठाकुर समुदाय से मुख्यमंत्री और ब्राह्मण समुदाय से राज्य इकाई का अध्यक्ष चुना है, ताकि राज्य में आधे से ज्यादा मतदाता इन दो समुदायों को खुश कर सकें।

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