चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन स्कंदमाता की पूजा के लिए समर्पित होता है। मां स्कंदमाता की आराधना से जीवन की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं । पहाड़ों पर रहने वाली मैया स्कंदमाता का सुमिरन करने से भगवान कार्तिकेय का भी आशीर्वाद मिलता है। स्कंदमाता की कृपा से सूनी गोद भर जाती है। स्कंदमाता की उपासना से परम शांति और सुख का अनुभव होता हैं।माता ने भगवान स्कंद को अपने गोद में लिया है, इसलिए माता के इस स्वरूप को स्कंदमाता कहा गया है। माता का यह स्वरूप मातृ शक्ति को परिभाषित करता है और बच्चों के प्रति मां की ममता को दर्शाता है। माता की चार भुजाएं हैं, दाहिनी और बाईं ओर ऊपर की दोनों भुजाओं में कमल पुष्प विराजमान है और नीचे की दोनों भुजाएं वर मुद्रा में है। माता का यह स्वरूप मोक्ष के द्वार खोलने वाला और परम सुखदायी है। सिंह पर सवार देवी भगवती का यह स्वरूप अत्यंत दयालु माना जाता है। स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं, विधिवत माता की पूजा अर्चना करने से साधक को अलौकिक तेज की प्राप्ति होती हैं। माता को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है। आज सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन है और रवि योग रात 07:40 बजे से लेकर अगले दिन सुबह 06:05 बजे तक है। ऐसे में आप आज सुबह से ही स्कंदमाता की पूजा कर सकते हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग में स्कंदमाता की पूजा करना अत्यधिक फलदायाी और कल्याणकारी है।
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