निर्वाचन आयोग ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए उन पर की गईं ‘पनौती’, ‘जेबकतरे’ और बड़े-बड़े उद्योगपतियों की कर्ज माफी संबंधी टिप्पणियों के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुरुवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया। आयोग ने उनसे शनिवार शाम तक जवाब देने को कहा है।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ निर्वाचन आयोग का दरवाजा खटखटाया था और कहा था कि ‘एक वरिष्ठ नेता’ द्वारा इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है।
निर्वाचन आयोग ने गांधी को याद दिलाया कि आदर्श चुनाव आचार संहिता नेताओं को राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ असत्यापित आरोप लगाने से रोकती है।
कांग्रेस नेता ने राजस्थान में हाल की रैलियों में प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए ‘पनौती’, जेबकतरे व अन्य टिप्पणियां की थी। आयोग को दिए अपने ज्ञापन में भाजपा ने कहा था कि पिछले नौ वर्षों में उद्योगपतियों को 14,00,000 करोड़ रुपये की छूट देने के आरोप तथ्यों पर आधारित नहीं हैं।
आयोग के नोटिस में कहा गया है कि ‘पनौती’ शब्द प्रथम दृष्टया भ्रष्ट गतिविधियों से निपटने वाले जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 पर रोक की समानता में आता है।
नोटिस में राहुल गांधी को याद दिलाया गया है कि धारा 123 की उपधारा (ii) के खंड 2 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो किसी उम्मीदवार या निर्वाचक को यह विश्वास दिलाने के लिए प्रेरित करता है या प्रयास करता है कि वह, या कोई भी व्यक्ति जिसमें वह रुचि रखता है, दैवीय नाराजगी या आध्यात्मिक निंदा का पात्र बन जाएगा या बना जाएगा, उसे ऐसे उम्मीदवार या निर्वाचक के चुनावी अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में हस्तक्षेप करने वाला माना जाएगा।
राहुल गांधी ने अहमदाबाद में विश्व कप क्रिकेट के फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया से भारत की हार के बाद राजस्थान में एक चुनावी भाषण में मोदी के खिलाफ ‘पनौती’ शब्द का इस्तेमाल किया था। आम तौर पर पनौती शब्द ऐसे व्यक्ति के लिए इंगित किया जाता है जो बुरी किस्मत लाता है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने बुधवार को एक चुनावी भाषण के दौरान मोदी पर निशाना साधते हुए ‘जेबकतरे’ वाली टिप्पणी की थी और आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री लोगों का ध्यान भटकाते हैं जबकि उद्योगपति गौतम अडाणी उनकी (लोगों की) जेब से पैसे निकालते हैं।