पूरी दुनिया नई-नई तकनीक (टेक्नोलॉजी) के क्षेत्र में हर दिन रफ्तार के साथ आगे बढ़ रही है। इसको अगर हम सरल भाषा में कहे तो मौजूदा समय पूरा डिजिटल पर आधारित हो गया है। सभी क्षेत्रों में “डिजिटलाइजेशन” तेजी के साथ होता जा रहा है। डिजिटल युग की रफ्तार में जो अपने आप को ढाल नहीं पाएगा या समझ नहीं पाएगा, वह पीछे भी रह जाएगा। विश्व के साथ भारत भी तेजी के साथ डिजिटल होता जा रहा है। “अगर हम बात करें कुछ समय से तो सबसे अधिक रुपयों के लेन-देन और ट्रांजैक्शन पूरी तरह से डिजिटलाइजेशन होता जा रहा है। बैंकों के बाद एटीएम-क्रेडिट कार्ड से रुपए का लेनदेन शुरू हुआ उसके बाद फोन पे, गूगल पे पेटीएम,अमेजॉन पे व्हाट्सएप पे आदि पर भी देशवासी लेनदेन कर रहे हैं।
भारत में लेन-देन को लेकर एक और डिजिटल युग की शुरुआत होने जा रही है। आज से देश में डिजिटल करेंसी यानी वर्चुअल करेंसी की शुरुआत होने जा रही है। इसका होल्सेल ट्रांजैक्शन में इसका इस्तेमाल होगा। हालांकि, अभी इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। आरबीआई ने सोमवार को बयान में कहा पायलट परीक्षण के तहत सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन का निपटान किया जाएगा। अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, भुगतान प्रणाली को अधिक सक्षम बनाने और धन शोधन को रोकने में मदद मिलेगी। डिजिटल रूपी का इस्तेमाल सरकारी सिक्टोरिटीज के सेटलमेंट के लिए होगा। ग्राहक इस डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल सरकारी सिक्योरिटी में लेनदेन के लिए कर सकते हैं। आपको बता दें कि डिजिटल रूपी मौजूदा करेंसी नोट की व्यवस्था को खत्म करने के लिए नहीं आ रहा है। बल्कि लोगों को लेनदेन में एक और ऑप्शन देगा। करेंसी नोट वाली व्यवस्था और डिजिटल रुपी वाली व्यवस्था दोनों चलेंगी। इससे कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा। डिजिटल रुपी कुछ इस तरह से लाया जाएगा कि बिना इंटरनेट के भी इसका पेमेंट किया जा सकेगा। मकसद ये भी होगा कि ऐसे लोग जिनके पास बैंक खाता नहीं है वो भी इसका इस्तेमाल कर सकें। इस प्रोजेक्ट में हिस्सा लेने के लिए 9 बैंको की पहचान की गई है। इसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB), यूनियन बैंक, HDFC बैंक, ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC बैंक शामिल होंगे। बता दें, CBDC केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए गए मुद्रा नोटों का एक डिजिटल रूप है। दुनिया भर के अधिकांश केंद्रीय बैंक इस समय सीबीडीसी जारी करने की तरीकों पर विचार कर रहे हैं और इसे जारी करने के तरीके हर देश की विशिष्ट जरूरतों के अनुसार अलग-अलग हैं। बता दें कि भारत सरकार ने आम बजट में वित्त वर्ष 2022-23 से डिजिटल रुपया पेश करने की घोषणा की थी। आपको बता दें कि ब्लॉकचेन तकनीक से निर्मित डिजिटल करेंसी को अन्य क्रिप्टो एसेट्स की तरह एक डिजिटल वॉलेट से दूसरे में ट्रांसफर किया जाएगा। पैसे ट्रांसफर करने के लिए प्राप्तकर्ता के वॉलेट अड्रेस में पंच करना होगा। यह आज के यूपीआई ट्रांजेक्शन (UPI Transaction) की तरह ही होगा, जहां पैसे का मूल्य किसी के वॉलेट या बैंक अकाउंट से दूसरे में ट्रांसफर करते हैं ।
डिजिटल करेंसी आने के बाद आपको कैश रखने की नहीं पड़ेगी जरूरत–
देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत नहीं होगी। इसे आप अपने मोबाइल वॉलेट में रख सकेंगे और इस डिजिटल करेंसी के सर्कुलेशन पर पूरी तरह से रिजर्व बैंक का नियंत्रण रहेगा। डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी। डिजिटल रुपी या डिजिटल करेंसी भी उसी डिजिटल इकोनॉमी का अगला कदम होगा। जिस तरह मोबाइल वॉलेट से सेकंडों में ट्रांजैक्शन होता है, ठीक उसी तरह डिजिटल रुपी से भी काम होगा। इससे कैश का झंझट कम होगा जिसका बड़ा सकारात्मक असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखी जाएगी।डिजिटल रुपी (Digital Rupee) का इस्तेमाल बड़े पेमेंट और सेटलमेंट के लिए किया जाएगा। रिजर्व बैंक के मुताबिक, इसका इस्तेमाल सरकारी सिक्योरिटीज यानि सरकारी बॉन्ड की खरीद बिक्री पर होने वाले निपटारे की रकम के तौर पर होगा। रिजर्व बैंक ने ये भी कहा है कि महीने भर के भीतर रिटेल ट्रांजैक्शन के लिए भी इसको इस्तेमाल लाया जाएगा।
डिजिटल RUPEE की खासियत–
– CBDC देश का डिजिटल टोकन होगा।
– बिजनेस में पैसों के लेनदेन का काम हो जाएगा आसान।
– चेक, बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन का झंझट नहीं रहेगा।
– मोबाइल से कुछ सेकेंड में पैसे ट्रांसफर होंगे।
– नकली करेंसी की समस्या से छुटकारा मिलेगा।
– पेपर नोट की प्रिटिंग का खर्च बचेगा।
– डिजिटल करेंसी जारी होने के बाद हमेशा बनी रहेगी।
– CBDC को डैमेज नहीं किया जा सकेगा।
डिजिटल करेंसी 3 प्रकार की होती है–
1. क्रिप्टोकरेंसी:- यह डिजिटल करेंसी है जो नेटवर्क में लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करती है। इसपर किसी भी देश की सरकार का नियंत्रण नहीं होता है। बिटकॉइन और एथेरियम इसके उदाहरण हैं।
2. वर्चुअल करेंसी: वर्चुअल करेंसी डेवलपर्स या प्रक्रिया में शामिल विभिन्न हितधारकों से मिलकर एक संगठन द्वारा नियंत्रित अनियमित डिजिटल करेंसी है।
3. सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी): सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी किसी देश के सेंट्रल बैंक द्वारा जारी की जाती हैं। आरबीआई ने इस करेंसी को ही जारी करने की बात कही है।