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इसी महीने 15-16 नवंबर को इंडोनेशिया के बाली शहर में जी-20 शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस समिट में भारत, अमेरिका, चाइना, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा समेत तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्ष पहुंचे थे। जी-20 शिखर सम्मेलन से मेजबान इंडोनेशिया उत्साहित बना हुआ था। इस समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भाग लेने पहुंचे थे। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने पीएम मोदी को अगले साल 2022 में भारत की राजधानी दिल्ली में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए हस्तांतरित किया था। “16 नवंबर की शाम को पीएम मोदी इंडोनेशिया के बाली से स्वदेश लौटते समय ट्वीट करते हुए कहा था कि मेरी यह यात्रा बहुत ही सुखद रही”।
जी-20 शिखर सम्मेलन आयोजित होने से इंडोनेशिया दुनिया के मानचित्र में सुर्खियों में रहा। लेकिन 6 दिन बाद ही सोमवार, 21 नवंबर को इंडोनेशिया में एक बार फिर भूकंप के जबरदस्त झटकों ने भारी तबाही मचा दी। आज इंडोनेशिया के “जावा” शहर समेत कई जगहों पर भूकंप के तेज झटकों ने अभी तक करीब 50 लोगों की मौत हो चुकी है। 500 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। राजधानी जकार्ता में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए।
रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 5.6 बताई जा रही है। वहीं दूसरी ओर भूकंप के तेज झटकों की वजह से कई इमारतों में दरार पड़ गई। लोग घरों से निकलकर इधर-उधर भागने लगे। वहीं घायलों को उनके परिवारी जन अस्पताल पहुंचाने में जुड़ गए। सड़कों पर भूकंप की वजह से कई पेड़ धराशायी हो गए। रिपोर्ट के मुताबिक घायलों की हालत गंभीर बनी हुई है। राहत बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
3 दिन पहले शुक्रवार को इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। हालांकि इसमें किसी प्रकार की जान माल का नुकसान नहीं हुआ था। आज आए भूकंप के बाद इंडोनेशिया के कई छोटे-बड़े शहरों में बड़ी तबाही हुई है। बता दें कि पूरी दुनिया में इंडोनेशिया सबसे ज्यादा मुस्लिम संख्या वाला देश माना जाता है। यहां करीब 27 करोड़ की आबादी है। इसके साथ इस देश में कई ज्वालामुखी भी है, जिसकी वजह से भूकंप और सुनामी का बहुत अधिक खतरा बना रहता है।