तमिलनाडु में हेलीकॉप्टर दुर्घटना के बाद बुधवार दोपहर से पूरा देश वासी जनरल बिपिन रावत को लेकर बेचैन था। आखिरकार बुरी खबर आ ही गई है। जनरल बिपिन रावत नहीं रहे। वे देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, यानी सीडीएस थे। तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार दोपहर करीब 12 बजकर 20 मिनट पर उनका हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। उसमें जनरल रावत की पत्नी मधुलिका रावत समेत सेना के 14 लोग सवार थे। इस हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई है ।रक्षा सूत्रों के मुताबिक जनरल रावत की मौत की खबर की पुष्टि के बाद प्रधानमंत्री ने सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी, यानी सीसीएस की शाम 6.30 बजे बैठक बुलाई है। इसके बाद मौत की औपचारिक घोषणा की जा सकती है। इससे पहले हादसे के बाद सभी घायलों को गंभीर हालत में वेलिंगटन के मिलिट्री अस्पताल ले जाया गया था। जहां से करीब साढ़े पांच घंटे तक खबर आती रही कि जनरल रावत और उनकी पत्नी समेत कई जवान बुरी तरह घायल हैं। लेकिन फिर बारी-बारी से मौत की खबर आने लगी।
सीडीएस बिपिन रावत का सफर 5 मिनट में होने वाला था पूरा, उससे पहले हो गई अनहोनी–
बता दें कि चीफ डिफेंस स्टाफ प्रमुख जनरल बिपिन रावत का सफर 5 मिनट में पूरा होने वाला था। लेकिन उससे पहले हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। आइए जानते हैं आज सुबह पूरा घटनाक्रम। बता दें कि एक स्पेशल एयरक्राफ्ट के जरिए बुधवार सुबह करीब 9 बजे जनरल रावत और उनकी पत्नी समेत नौ लोग दिल्ली से रवाना हुए और करीब 11 बजकर 35 मिनट पर तमिलनाडु के एयरफोर्स स्टेशन सुलूर पहुंचे। करीब 10 मिनट बाद 11 बजकर 45 मिनट पर एयरफोर्स स्टेशन सुलूर से दिल्ली से आए 9 लोग और पांच क्रू के सदस्य यानी कुल 14 लोग वेलिंगटन आर्मी कैंप के लिए हेलिकॉप्टर से रवाना हुए। दोपहर करीब 12 बजकर 20 मिनट पर नंचापा चातरम के कट्टेरिया इलाके में 14 लोगों से भरा हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ। हेलिकॉप्टर ने एयरफोर्स स्टेशन सुलूर से उड़ान भरने के बाद करीब 94 किलोमीटर का सफर तय किया था जब वो और कट्टेरिया इलाके में क्रैश हो गया। दुर्घटनास्थल और हेलिकॉप्टर की मंजिल में सिर्फ करीब 16 किलोमीटर का फासला बचा था। यानी वेलिंगटन आर्मी कैंप से 16 किलोमीटर पहले ही जनरल रावत का हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया। बड़ी बात ये है कि जनरल बिपिन रावत का हेलिकॉप्टर अगर पांच मिनट और उड़ता तो वो अपनी मंज़िल पर पहुंच जाता, लेकिन रास्ते में ही अनहोनी हो गई। जनरल बिपिन रावत देश के पहले सीडीएस हैं। आर्मी चीफ के पद से 31 दिसंबर 2019 को रिटायर होने के बाद बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बने थे। वह 31 दिसंबर 2016 को आर्मी चीफ बनाए गए थे। जनरल रावत को पूर्वी सेक्टर में एलओसी, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में काम करने का लंबा अनुभव था। अशांत इलाकों में काम करने के अनुभव को देखते हुए मोदी सरकार ने दिसंबर 2016 में जनरल रावत को दो वरिष्ठ अफसरों पर तरजीह देते हुए आर्मी चीफ बनाया था। बता दें कि बिपिन रावत उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के निवासी हैं।