Uttrakhand UKSSSC Paper leak पेपर लीक खत्म करने को सीएम धामी का "निर्णायक मिशन" - Daily Lok Manch PM Modi USA Visit New York Yoga Day
September 27, 2025
Daily Lok Manch
उत्तराखंड

Uttrakhand UKSSSC Paper leak पेपर लीक खत्म करने को सीएम धामी का “निर्णायक मिशन”

 

आपदा से कराहती देवभूमि में राहत-बचाव और पुनर्वास में पूरी तरह व्यस्त धामी सरकार और प्रशासन के सामने 21 सितंबर को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का पेपर लीक कांड एक गंभीर चुनौती बनकर सामने आया। पेपर लीक कांड ने न केवल हजारों अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में डाल दिया है, बल्कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की स्वच्छ छवि और सरकार की साख पर भी करारा धक्का लगाया । सीएम धामी ने इस चुनौती को “पेपर जिहाद” करार देते हुए अब निर्णायक मिशन का एलान किया है। लेकिन इस घटना ने यह भी साफ कर दिया है कि सिस्टम की दीवारें अभी उतनी मजबूत नहीं हुई हैं जितनी जनता अपेक्षा कर रही थी। यही वजह है कि विपक्ष ने इसे सरकार की छवि पर धब्बा बताया और अब यह मुद्दा दिल्ली भी पहुंचा । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पेपर लीक की हर पिछली घटना पर त्वरित कार्रवाई की थी और दावा किया था कि उत्तराखंड से नकल माफिया की जड़ें काट दी गई हैं। लेकिन 21 सितंबर की घटना ने उन तमाम दावों को सवालों के घेरे में ला दिया है।

यह सिर्फ एक परीक्षा का मामला नहीं रहा, बल्कि सरकार की साख और भरोसे का संकट बन गया है। जिस समय धामी सरकार आपदा प्रबंधन में जुटी थी, ठीक उसी दौरान इस तरह की वारदात होना जनता के लिए यह संदेश देता है कि माफिया अब भी सक्रिय हैं और सिस्टम को भीतर से खोखला कर रहे हैं। धामी सरकार ने इस मसले को हल्के में न लेने का एलान किया है। मुख्यमंत्री ने तुरंत मुख्य सचिव आनंद वर्धन, पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ, देहरादून के तेजतर्रार डीएम सविन बंसल ऐ एसएसपी अजय सिंह को निर्देश दिए हैं कि पूरे नेटवर्क को उजागर कर कठोर कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री को भरोसा है कि इन वरिष्ठ अफसरों का अनुभव और ईमानदारी इस संगठित गिरोह की कमर तोड़ने में मदद करेगी। लेकिन सवाल यह भी है कि जब इतने सख्त आदेश पहले से लागू थे, तब यह घटना कैसे हो गई? यही वजह है कि आलोचकों का कहना है कि सिस्टम में कहीं न कहीं बड़ी चूक हुई है। पेपर लीक कांड की आंच अब राज्य की सीमाओं से निकलकर दिल्ली तक पहुंच गई है।राजनीतिक रूप से भी इस मसले ने तूल पकड़ लिया है। विपक्ष लगातार सरकार पर हमला बोल रहा है और मांग कर रहा है कि दोषियों को केवल पकड़ा ही न जाए, बल्कि कठोर सजा भी मिले ताकि भविष्य में कोई इस तरह की हिमाकत न कर सके। एसआईटी की गठन, तकनीकी निगरानी, कड़े प्रशासनिक नियंत्रण और दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई को लेकर सीएम धामी ने आश्वासन दिया है।

युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों का जेल ही ठिकाना बनेगा : सीएम धामी 

मुख्यमंत्री धामी ने इस पूरे कांड को “पेपर जिहाद” बताते हुए साफ किया है कि अब कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी। यह सिर्फ कानून-व्यवस्था की चुनौती नहीं बल्कि युवाओं की मेहनत और भविष्य की रक्षा का सवाल है। उत्तराखंड में नकल और पेपर माफियाओं के दिन लद चुके हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों को अब जेल ही ठिकाना बनेगा। एसआईटी की तेज जांच से हर गुनहगार को बेनकाब कर सख्त सजा दी जाएगी। सीएम धामी युवाओं को न्याय और पारदर्शिता देने के अपने वादे पर अडिग हैं। धामी सरकार का लक्ष्य अब सिर्फ दोषियों को पकड़ना नहीं, बल्कि परीक्षा प्रणाली को पूरी तरह पारदर्शी, सुरक्षित और अभेद्य बनाना है। मुख्यमंत्री ने इस विशेष जांच टीम को सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की देखरेख में काम करने का आदेश दिया है, ताकि निष्पक्षता पर कोई सवाल न उठ सके। इस टीम के साथ-साथ मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक भी सीधे रिपोर्ट ली है। प्रदेश के मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने कहा है कि पेपर लीक मामले की जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई गई है, और वह इस जांच को एक महीने के अंदर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी होगी, और यदि कोई अधिकारी दोषी पाया गया, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पेपर लीक ने न केवल युवाओं के सपनों को तोड़ा है बल्कि धामी सरकार की छवि पर भी गहरी चोट पहुंचाई है। इस पेपर लीक कांड में कई सवाल अब तक अनसुलझे हैं, जिनका जवाब किसी के पास नहीं है। इनमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि मोबाइल एक्जाम सेंटर के भीतर कैसे पहुंचा।आयोग का दावा था कि परीक्षा केंद्रों पर अभ्यर्थियों की कड़ी तलाशी हो रही थी। नियम स्पष्ट थे कि एडमिट कार्ड, पेन, पैसे और गाड़ी की चाबी के अलावा कुछ भी अंदर नहीं ले जाने दिया जाएगा। अंगूठी और चेन तक बाहर रखवाई जा रही थी। फिर भी हरिद्वार के बहादरपुर जट गांव स्थित आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज से पेपर मोबाइल के जरिए बाहर भेजा गया। सबसे बड़ा सवाल यही है जब इतनी सख्ती थी, तो मोबाइल सेंटर के भीतर कैसे पहुंच गया? अब सबकी नजरें मुख्यमंत्री और उनके शासन पर हैं। क्या विशेष जांच टीम की पड़ताल और कठोर कार्रवाई से जनता का भरोसा लौटेगा, या फिर यह मुद्दा धामी सरकार की राजनीति और साख के लिए संकट बन जाएगा, यही आने वाला समय तय करेगा।

धामी सरकार ने पेपर लीक मामले में सेक्टर मजिस्ट्रेट और प्रोफेसर को किया सस्पेंड–

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर लीक मामले में प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कई अधिकारियों और कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है। हरिद्वार में तैनात सेक्टर मजिस्ट्रेट केएन तिवारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया। इसके अलावा, टिहरी के अगरोड़ा कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन को भी पेपर हल कर भेजने में संलिप्त पाए जाने के कारण निलंबित किया गया। वहीं बहादुरपुर जट स्थित एग्जाम सेंटर पर ड्यूटी में तैनात एक दारोगा और एक कांस्टेबल को पहले ही सस्पेंड किया जा चुका है। एसएसपी हरिद्वार ने आरोपी दरोगा रोहित कुमार और कांस्टेबल ब्रह्मदत्त जोशी को निलंबित किया और मामले की जांच सीओ रुड़की को सौंपी है। (यूकेएसएसएससी) की स्नातक स्तरीय परीक्षा का प्रश्नपत्र कथित रूप से लीक होने का मामला 21 सितंबर को हरिद्वार के आदर्श बाल इंटर कॉलेज से सामने आया था। इस मामले में मुख्य आरोपी खालिद मलिक और उसकी बहन साबिया को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के अनुसार, खालिद ने हरिद्वार के बहादुरपुर जट गांव में स्थित परीक्षा केंद्र से प्रश्नपत्र की फोटो लेकर अपनी बहन साबिया को भेजी। साबिया ने इन प्रश्नों को टिहरी की एक सहायक प्रोफेसर सुमन तक पहुंचाया, जिन्होंने इन उत्तरों को हल कर अभ्यर्थियों के लिए उपलब्ध कराए। हालांकि, सुमन को कुछ संदिग्ध गतिविधियों पर शक हुआ। उन्होंने इन स्क्रीनशॉट्स की जानकारी एक अन्य व्यक्ति से साझा की। उस व्यक्ति ने इसे सीधे पुलिस या किसी सक्षम अधिकारी को नहीं दिया, बल्कि सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। इसके चलते प्रश्नपत्र तेजी से फैल गया। राज्य सरकार ने इस यूकेएसएसएससी पेपर लीक कांड की जांच के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में एक विशेष अन्वेषण दल (एसआईटी) गठित किया है। एसआईटी मामले की विस्तृत जांच कर रही है ताकि परीक्षा प्रक्रिया में शामिल सभी दोषियों और लापरवाह कर्मचारियों की पहचान की जा सके।

पेपर लीक कांड के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भाजपा पर तीखा हमला बोला–

उत्तराखंड में 21 सितंबर को हुई अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा के पेपर लीक कांड के बाद, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने भाजपा को “पेपर चोर” करार देते हुए आरोप लगाया कि पार्टी ने युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। राहुल गांधी ने कहा, आज भाजपा का दूसरा नाम ‘पेपर चोर’ है। देशभर में बार-बार हो रहे पेपर लीक ने लाखों मेहनती युवाओं के सपनों और मेहनत को चुराया है। उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड में हुई यह घटना इसका ताजा उदाहरण है, जहां लाखों युवाओं ने दिन-रात मेहनत की, लेकिन भाजपा ने उनकी मेहनत को चोरी करके नष्ट कर दिया। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार युवाओं की बेरोजगारी पर ध्यान नहीं दे रही है, बल्कि केवल सत्ता बनाए रखने में लगी है। उन्होंने कहा, हम लगातार मांग कर रहे हैं कि पेपर लीक रोकने के लिए एक मजबूत और पारदर्शी व्यवस्था बनाई जाए, लेकिन सरकार इस पर आंखें मूंदे बैठी है। राहुल गांधी ने कहा कि बेरोजगारी आज देश की सबसे बड़ी समस्या है, जो “वोट चोरी” से जुड़ी हुई है। राहुल गांधी ने कहा, पेपर चोर जानते हैं कि अगर युवाओं को नौकरियां नहीं मिलतीं, तो वे चुनावों में वोट चुराकर सत्ता में बने रहेंगे। राहुल गांधी ने युवाओं से अपील की कि वे इस संघर्ष में उनके साथ खड़े रहें और इसे केवल नौकरी की लड़ाई नहीं, बल्कि न्याय और लोकतंत्र की लड़ाई मानें। उन्होंने “पेपर चोर, गद्दी छोड़” का नया नारा भी दिया। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने राज्य में आयोजित उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय पटवारी भर्ती परीक्षा में एक बार फिर सामने आए पेपर लीक मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह वर्षों से सरकारी नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे लाखों युवाओं के भविष्य के साथ धामी सरकार का एक और बड़ा धोखा है। करन माहरा ने कहा कि धामी सरकार ने उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश 2023 जारी कर इसे देश का सबसे सख्त नकल-विरोधी कानून बताया था। सरकार ने दावा किया था कि युवाओं के हितों की रक्षा के लिए वह नकल माफिया को जड़ से समाप्त करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और पेपर लीक जैसी घटनाओं को रोकते हुए पारदर्शी भर्तियां सुनिश्चित की जाएंगी। करन माहरा ने यह भी सवाल उठाया कि भाजपा नेताओं का पाला हुआ नकल माफिया हाकम सिंह बार-बार युवाओं के भविष्य से किसकी शह पर खेल रहा है? कौन है हाकम सिंह का ‘हाकिम’ जो इस नकल माफिया का ‘गॉडफादर’ बनकर निरंतर इस नेटवर्क को फलने-फूलने दे रहा है? करन माहरा ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस पार्टी उत्तराखंड के युवाओं के साथ इस तरह का खिलवाड़ किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पूरे प्रदेश में इसका पुरजोर विरोध करेगी और युवाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेगी।

पेपर लीक पर धामी सरकार के खिलाफ देहरादून में युवाओं ने किया प्रदर्शन–

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद राजधानी देहरादून में सैकड़ों युवाओं ने सड़कों पर उतरकर धामी सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी युवाओं ने सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए नारेबाजी की और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की। राजधानी के गांधी पार्क से घंटाघर तक निकाले गए जुलूस में शामिल अभ्यर्थियों और बेरोजगार युवाओं ने कहा कि उन्होंने सालों मेहनत की, रात-दिन पढ़ाई की, लेकिन पेपर लीक की वजह से उनकी मेहनत पर पानी फिर गया।प्रदर्शन के दौरान कई बार पुलिस और युवाओं के बीच नोकझोंक भी हुई। युवाओं ने विधानसभा घेरने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। युवाओं का कहना था कि सरकार हर बार “कड़े कदम” उठाने का दावा करती है, लेकिन नकल माफिया बार-बार सक्रिय होकर भर्ती परीक्षाओं को कलंकित कर रहे हैं। विपक्षी दलों ने युवाओं के समर्थन में उतरते हुए धामी सरकार पर तीखे सवाल उठाए हैं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि सरकार नकल माफियाओं पर सिर्फ दिखावटी कार्रवाई करती है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि इस पूरे घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या उच्च न्यायालय की निगरानी में कराई जाए। युवाओं का आरोप है कि जब मुख्यमंत्री धामी खुद इस मामले को “पेपर जिहाद” कह चुके हैं, तब सरकार को यह भी बताना चाहिए कि आखिर माफिया किसकी शह पर बार-बार सक्रिय हो जाते हैं। देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की और भरोसा दिलाया कि मामले की विशेष जांच टीम काम कर रही है और एक महीने के भीतर जांच पूरी करने का प्रयास होगा। वहीं उत्तराखंड सरकार ने पेपर लीक केस की जांच के लिए एसआईटी बनाई है। लेकिन युवाओं का कहना है कि एसआईटी का रिकॉर्ड भरोसेमंद नहीं है। पिछले 9 बड़े मामलों में से 8 में न तो दोषियों को सजा हुई और न ही जांच पूरी हुई।

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