उत्तराखंड में 29 नवंबर से लेकर 5 दिसंबर तक विधानसभा का शीतकालीन सत्र आयोजित हो रहा है। पहले दिन मंगलवार को विधानसभा में धर्मांतरण कानून पर विधेयक पेश किया गया। अब वह दिन दूर नहीं जब राज्य में धर्मांतरण कानून जल्द ही लागू हो जाएगा। इसी को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को एक बार फिर से धर्मांतरण कानून पर बयान दिया है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में इस कानून से प्रदेश में सौहार्द्रपूर्ण माहौल बनेगा। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण कानून से सभी को अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक आजादी का अधिकार मिलेगा। सीएम धामी ने कहा कि प्रदेश में धर्मांतरण कानून के अस्तित्व में आते ही ये अब संज्ञेय व गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आ जाएगा। उत्तराखंड में यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करता है तो उसे दो महीने पहले जिलाधिकारी को अर्जी देनी होगी। धर्म परिवर्तन करने की अर्जी देने के 21 दिन के भीतर संबंधित व्यक्ति को डीएम के समक्ष पेश होना पड़ेगा। इसके अलावा जबरन धर्मांतरण की शिकायत कोई भी व्यक्ति दर्ज कर सकता है। प्रदेश में जबरन धर्मांतरण के मामलों को रोकने के लिए सरकार ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2022 को सदन पटल पर रखा है। इस विधेयक में जबरन धर्मांतरण पर सख्त सजा और जुर्माने का प्रावधान किया जा रहा है। इस कानून अस्तित्व में आते ही जबरन धर्मांतरण गैर जमानती अपराध होगा। सामूहिक धर्मांतरण में दोष साबित होने पर 3 से 10 साल की सजा और 50 हजार जुर्माना किया जाएगा, जबकि एक व्यक्ति के धर्मांतरण पर 2 से 7 साल की सजा 25 हजार जुर्माना होगा।