आज राजनीति के ऐसे धुरंधर और कद्दावर नेता की बात करेंगे जिन्होंने 60 साल के सियासी सफर में अपने दांवपेच से विरोधियों को कई बार चित कर दिया। उन्होंने महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक अपना सियासत में वर्चस्व भी कायम किया और सभी दलों में अपनी खास जगह भी बनाई। हम बात कर रहे हैं राजनीति के माहिर खिलाड़ी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार की। महाराष्ट्र में उनके समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता साहेब कहकर भी बुलाते हैं। राजनीति मैदान के कद्दावर खिलाड़ी सरकार ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उन्हें राजनीति में अपने ही भतीजे से सबसे बड़ी हार मिलेगी। 3 दिन पहले 2 जुलाई रविवार को भतीजे अजित पवार ने जब बगावत की तब चाचा शरद पवार ने सोचा होगा कि इस बार भी वह अपनी सियासी चालों से एनसीपी में सब कुछ ठीक कर लेंगे। लेकिन इस बार शरद पवार अपने भतीजे से ही मात खा गए। बुधवार 5 जुलाई को सुबह से ही शरद पवार और भतीजे उपमुख्यमंत्री अजित पवार की मीटिंग को लेकर पूरे महाराष्ट्र में हलचल मची रही। अजित पवार ने चाचा शरद पवार को एनसीपी से हटाते हुए खुद को नए राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया है। एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने मुंबई में 30 जून को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई थी, उसी में यह फैसला हुआ था। दोनों गुटों के नेता चुनाव आयोग पहुंचे। अजित पवार गुट ने आयोग में एनसीपी और उसके चुनाव चिन्ह घड़ी पर अपना दावा जताते हुए पत्र भेजा था। वहीं, शरद पवार गुट के नेता और महाराष्ट्र में पार्टी के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने 3 जुलाई को आयोग से अजित समेत 9 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की। मुंबई में अजित पवार ने बुधवार सुबह 11 बजे और शरद पवार ने दोपहर 1 बजे बैठक की। अजित पवार गुट लगातार दावा कर रहा है कि उनके पास 40 विधायकों का समर्थन है। आज मीटिंग में 31 विधायकों ने उनका समर्थन किया। दोनों गुटों ने आज अलग अलग बैठक बुलाई। अजित पवार की बैठक में 31 विधायक और 4 एमएलसी पहुंचे। बैठक को संबोधित करते हुए अजित पवार ने माना कि उन्होंने जितने विधायकों के समर्थन का दावा किया था, उतने इस बैठक में नहीं पहुंचे। उन्होंने कहा कि कई विधायक आज यहां नहीं हैं। कुछ अस्पताल गए हैं। कुछ पहुंच नहीं सके हैं। कुछ विधायक वाई बी चव्हाण सेंटर में हैं। लेकिन सभी मेरे संपर्क में हैं। एनसीपी के नाम व निशान पर दावे को लेकर अजित और शरद पवार दोनों गुट चुनाव आयोग पहुंच गए हैं। पहले शरद पवार गुट ने अर्जी लगाई थी। इसमें कहा गया कि कोई भी एनसीपी पर अपने आधिपत्य का दावा आयोग के सामने करे तो आयोग शरद पवार पक्ष को भी जरूर सुने। इसके कुछ घंटों बाद अजित पवार गुट ने चालीस से अधिक विधायकों के शपथ पत्र के साथ पार्टी पर दावा ठोका। अजित पवार गुट ने चालीस से ज्यादा विधायकों/सांसदों और एमएलसी के हलफनामे के साथ पार्टी पर अपना दावा किया है। हालांकि, बुधवार को उनकी मीटिंग में 31 ही विधायक पहुंचे थे।अजित पवार गुट ने चुनाव आयोग के सामने बड़ा दावा किया है। इसमें शरद पवार की जगह अजित पवार को एनसीपी का अध्यक्ष बनाने का दावा किया गया है।
अजित पवार ने कहा शरद पवार की उम्र ज्यादा हो गई है। राज्य सरकार के कर्मचारी 58 साल में, केंद्र के 60 साल में, भाजपा में 75 साल में रिटायर्ड हो जाते हैं, लेकिन आप 83 साल के हैं। अब आप आशीर्वाद दीजिए। अजित पवार की बैठक खत्म होने के बाद शरद पावर ने अपने गुट वाले पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। अजित पवार पर इशारे में बात करते हुए शरद पवार ने कहा कि अगर आप किसी चीज से खुश नहीं थे तो बातचीत से रास्ता निकालना चाहिए था। उन्होंने आगे अजित को नसीहत देते हुए कहा कि अगर कोई गलत काम किया तो वह सजा भुगतने को तैयार रहें। पवार ने आगे कहा कि हम सरकार का हिस्सा नहीं हैं, लोगों के बीच हैं। शरद पवार के बाद अजित पवार ने एनसीपी पर दावा ठोकते हुए जयंत पाटिल को एनसीपी के महाराष्ट्र अध्यक्ष पद से हटाने का एलान किया। इसके साथ ही अजित पवार ने सुनील तटकरे को एनसीपी के नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया। उन्होंने कहा कि जयंत पाटिल को तुरंत सुनील तटकरे को कार्यभार सौंप देना चाहिए। महाराष्ट्र के राजनीतिक ड्रामा के बीच शरद पवार ने अब दिल्ली में एनसीपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। ये मीटिंग दोपहर 3 बजे होगी। पवार गुरुवार सुबह दिल्ली जाएंगे।
एनसीपी के कई विधायक असमंजस में, अजित के साथ जाएं या शरद पवार के साथ रहें–
अजित पवार गुट भले ही 40 विधायकों के समर्थन की बात कर रहा है, लेकिन पार्टी के विधायक तीन गुटों में बंट गए हैं। एक गुट अजित, तो दूसरा गुट शरद पवार के साथ है। जबकि विधायकों का एक धड़ा ऐसा भी है जो अभी अगर-मगर की स्थिति में फंसा हुआ है और ये फैसला नहीं कर पा रहा है कि जाएं तो जाएं कहां? अजित के साथ जाएं या शरद पवार के साथ रहें?बताया जा रहा है कि अजित के पास अभी 24 विधायकों का समर्थन है। जबकि शरद पवार के समर्थन में 14 विधायक हैं। जबकि 15 विधायक ऐसे हैं, जो अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं। यानी किसी भी गुट में जाने का फैसला नहीं किया।
288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में एनसीपी के 53 विधायक हैं। अजित पवार के साथ 8 विधायकों ने मंत्रिपद की शपथ ली। अजित पवार के साथ मंत्री पद की शपथ लेने वाले विधायक – धनंजय मुंडे (परली), छगन भुजबल (येओला), दिलीप वाल्से पाटिल (अंबेगांव), अदिति तटकरे (श्रीवर्धन), हसन मुश्रिफ (कागल), अनिल पाटिल (अमलनेर), धर्मरावबाबा अत्राम (अहेरी), संजय बनसोडे (उद्गीत)। अजित पवार ने तीन साल और 7 महीने में अपने चाचा और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से दूसरी बार बगावत की है। अजित पवार ने 23 नवंबर 2019 की तरह ही 2 जुलाई 2023 को राजभवन पहुंच अचानक डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली थी। पिछली बार शरद पवार ने तुरंत मोर्चा संभाल लिया था और भतीजे अजित की बगावत को 48 घंटे के भीतर विफल कर दिया था। इसके बाद अजित पवार को डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था और वे चाचा के खेमे में वापस लौट गए थे। लेकिन इस बार बगावत अपने अगले दौर में पहुंच गए है।