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July 3, 2025
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Chaitra Navratri 6th Day Lord Maa Katyayani : आज छठे दिन 4 शुभ योगों में करें मां कात्यायनी की आराधना, जानें पूजन विधि, उपाय और कथा

  • आज मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा करते हैं
  • आज चार शुभ योग आयुष्मान, सौभाग्य, अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग बने हैं
  • कात्यायन ऋषि के नाम से ही देवी का नाम मां कात्यायनी पड़ा

आज नवरात्रि का छठा दिन है। मां कात्यायनी की पूजा के दिन चार शुभ योग आयुष्मान योग, सौभाग्य योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बने हैं।

मां कात्यायनी पूजा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 27 मार्च सोमवार को शाम 05 बजकर 27 मिनट तक है। आज आयुष्मान योग प्रात: काल से देर रात 11 बजकर 20 मिनट तक है, उसके बाद से सौभाग्य योग शुरू होगा। आज सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन है. रवि योग सुबह 06 बजकर 18 मिनट से दोपहर 03 बजकर 27 मिनट तक है. अमृत सिद्धि योग योग दोपहर 03:27 बजे से कल सुबह 06 बजकर 16 मिनट तक है।

मां कात्यायनी की पूजा के लिए इस मंत्र का उच्चारण करें 👇

“कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।”

कात्यायनी नवदुर्गा या हिंदू देवी पार्वती (शक्ति) के नौ रूपों में छठवां रूप है। यह पार्वती जी का दूसरा नाम है, संस्कृत शब्दकोश में उमा, कात्यायनी, गौरी, काली, हैमावती, इस्वरी इन्ही के अन्य नाम हैं। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि की षष्ठी तिथि मां कात्यायनी की पूजा को समर्पित है। मां दुर्गा का यह छठा स्वरूप बहुत करुणामयी है। माना जाता है कि मां दुर्गा ने अपने भक्तों की तपस्या को सफल करने के लिए यह रूप धारण किया था।

पौराणिक कथा के अनुसार देवी दुर्गा ने महर्षी कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया था। महर्षी कात्यायन की पुत्री होने के कारण ही मां दुर्गा के इस रूप का नाम कात्यायनी रखा गया। इसके साथ ही आगे चलकर मां कात्यायनी ने दैत्य महिषासुर का वध किया तो उन्हें महिषासुर मर्दनी भी कहते हैं।

मान्यता है कि जो कोई सच्चे मन से और विधिवत मां कात्यायनी का पूजन करता है उसके सभी रोग, दुख और भय दूर हो जाते हैं। साथ ही देवी की आराधना से सभी वैवाहिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं मां कात्यायनी की पूजा विधि और मंत्र के बारे में…

कैसे करें पूजा –
गोधुली वेला (शाम) कात्यायनी की पूजा की जाती है। सबसे पहले फूलों से मां कात्यायनी को प्रणाम कर मंत्र का जाप करें। इसके अलावा इस दिन दुर्गा सप्तशती के 11वें अध्याय का पाठ करें। माता को पुष्प और जायफल अर्पित करें। देवी मां के साथ इस दिन भगवान शिव की भी पूजा की जाती है। पुराणों के मुताबिक इस दिन मां कात्यायनी की पूजा करने से गृहस्थ लोगों के जीवन में खुशहाली आती है। साथ ही विवाह के लिए प्रयत्नशील लोगों को भी शुभ फल प्राप्त होता है।

मां कात्यायनी को शहद तथा लाल रंग प्रिय है, इसलिए इस दिन लाल रंग वाले कपड़े पहने और माता को शहद का भोग लगाएं।

” विवाह में आ रही परेशानी को दूर करने के लिए करें माँ कात्यायनी की पूजा” गोधूलि वेला में पीले वस्त्र धारण करें। माँ के समक्ष दीपक जलायें और उन्हें पीले फूल अर्पित करें। इसके बाद 3 गाँठ हल्दी के चढ़ाएं। माँ कात्यायनी के मन्त्रों का जाप करें। पूजा के बाद हल्दी की गांठों को अपने पास सुरक्षित रख लें। मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा जो भी भक्त श्रद्धाभाव से करता है। उस पर मां की कृपा बरसती है और घर में धन धान्य, सुख-समृद्धि की कभी कमी नहीं रहती है।

मां कात्यायनी की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक वन में कत नाम के एक महर्षि थे। उनका एक पुत्र था जिसका नाम कात्य रखा गया। इसके पश्चात कात्य गोत्र में महर्षि कात्यायन ने जन्म लिया। उनकी कोई संतान नहीं थी। मां भगवती को पुत्री के रूप में पाने की इच्छा रखते हुए उन्होंने पराम्बा की कठोर तपस्या की। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें पुत्री का वरदान दिया। कुछ समय बीतने के बाद राक्षस महिषासुर का अत्याचार अत्यधिक बढ़ गया। तब त्रिदेवों के तेज से एक कन्या ने जन्म लिया और उसका वध कर दिया। कात्य गोत्र में जन्म लेने के कारण देवी का नाम कात्यायनी पड़ गया।

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