15 जून को राजधानी दिल्ली में टीएमसी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्षी दलों के साथ राष्ट्रपति चुनाव को लेकर लंबी बैठक की थी। इस बैठक में एनसीपी के वरिष्ठ नेता शरद पवार, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और गोपाल कृष्ण गांधी को विपक्ष राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में उतारने की चर्चा थी। लेकिन तीनों नेताओं ने राष्ट्रपति चुनाव से अपने आप को किनारे कर लिया।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष की ओर से संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के नाम पर सहमति बनी। संयुक्त बयान में कहा गया कि यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति चुनाव के लिए सर्वसम्मति से विपक्षी दलों का उम्मीदवार चुना गया।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने विपक्ष की बैठक के बाद इस बात की घोषणा करते हुए कहा, ‘हमने (विपक्षी दलों ने) सर्वसम्मति से फैसला किया है कि यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के आम उम्मीदवार होंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता रहे यशवंत सिन्हा पिछले साल तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे। सिन्हा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभा चुके हैं, लेकिन बाद में बीजेपी के नए नेतृत्व से मतभेदों के चलते साल 2018 में उन्होंने भाजपा छोड़ दी। पिछले कुछ सालों में वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन के धुर विरोधी रहे हैं। मौजूदा समय में यशवंत सिन्हा तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सभा सांसद हैं।इस बैठक में शामिल होने से पहले यशवंत सिन्हा ने ट्वीट किया कि टीएमसी में उन्होंने मुझे जो सम्मान और प्रतिष्ठा दी, उसके लिए मैं ममता बनर्जी का आभारी हूं। अब एक समय आ गया है, जब एक बड़े राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए मुझे पार्टी से हटकर विपक्षी एकता के लिए काम करना चाहिए। मुझे यकीन है कि पार्टी मेरे इस कदम को स्वीकार करेगी। बता दें कि अगले माह 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं।