क्षत्रिय कुल में जन्मे राजकुमार सिद्धार्थ ने राज सिंहासन छोड़ संन्यासी बनकर लोगों की सेवा की और विश्व में ज्ञान का प्रकाश फैलाया - Daily Lok Manch PM Modi USA Visit New York Yoga Day
December 12, 2024
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राष्ट्रीय

क्षत्रिय कुल में जन्मे राजकुमार सिद्धार्थ ने राज सिंहासन छोड़ संन्यासी बनकर लोगों की सेवा की और विश्व में ज्ञान का प्रकाश फैलाया

पं. शंभू नाथ गौतम

आज बुद्ध पूर्णिमा पर भगवान गौतम बुद्ध की जयंती धूमधाम के साथ मनाई जा रही है। ‌ इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गौतम बुद्ध के जन्म स्थान नेपाल के लुंबिनी पहुंचे हैं। गौतम बुद्ध ने पूरी दुनिया में शांति का संदेश दिया। ‌बता दें कि गौतम बुद्ध का जन्म कपिलवस्तु के राजा शुद्धोधन के घर लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व हुआ था। ‌माता-पिता ने इनका नाम राजा सिद्धार्थ रखा। लेकिन सिद्धार्थ को बाल्यावस्था से ही गरीबों असहाय और दीन दुखियों की सेवा करने में रुचि थी। ‌बचपन में ही वह ज्ञान के मार्ग पर निकल पड़े। ‌ राजमहल और सुख सुविधाओं को छोड़कर राजा सिद्धार्थ ने संन्यासी बन कर अपना पूरा जीवन व्यतीत किया। आगे चलकर राजा सिद्धार्थ गौतम के नाम से जाने जाने लगे। इन्होंने कई देशों में अपना ज्ञान का प्रकाश फैलाया। ‌ इसके साथ बौद्ध धर्म चलाया ‌‌। आज वैशाख की पूर्णिमा का पर्व पूरे देश भर में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। वैशाख की पूर्णिमा पर भारत  समेत कई देशों में बुद्ध जयंती मनाई जाती है। आज के दिन ही बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार बताया गया है। बौद्ध धर्म के साथ-साथ हिंदू धर्म में भी भगवान बुद्ध को पूजा जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। बुद्ध पूर्णिमा हिंदू और बौद्ध धर्म दोनों का ही एक बड़ा त्योहार है। भगवान बुद्ध को श्री हरि विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है इसलिए हिंदू भी इस दिन को सिद्ध विनायक पूर्णिमा या सत्य विनायक पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं। देश नहीं विदेश में भी बुद्ध जयंती को अलग-अलग तरीके से मनाई जाती है। बता दें कि भगवान बुद्ध ने ही बौद्ध धर्म की स्‍थापना की और पूरी दुनिया को सत्‍य, शांति, मानवता की सेवा करने का संदेश दिया। उन्‍होंने पंचशील उपदेश दिए। ये पंचशील हैं, हिंसा न करना, चोरी न करना, व्यभिचार न करना, झूठ न बोलना और नशा न करना। नेपाल के साथ चीन, जापान, थाईलैंड, सिंगापुर कंबोडिया, भारत आदि देशों में भगवान बुद्ध की जयंती मनाई जाती है। भारत में सारनाथ, कुशीनगर और बोधगया में गौतम बुद्ध की जयंती धूमधाम के साथ मनाई जा रही है। ‌‌‌‌ गौतम बुद्ध का  निर्वाण 483 ईसा पूर्व में हुआ था।

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