दक्षिण के राज्य कर्नाटक में इसी साल डेढ़ महीने पहले 29 मार्च 2023 को निर्वाचन आयोग ने जब विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान किया था तब केंद्र में भाजपा हाईकमान ने सोचा भी नहीं होगा कि हमसे एक राज्य और फिसल जाएगा। दक्षिण का सबसे मजबूत किला माने जाने वाला कर्नाटक लोकसभा चुनाव से 1 साल पहले भाजपा को गहरे जख्म दे गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पूरा जिम्मा संभाल रखा था। पीएम मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह जेपी नड्डा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ताबड़तोड़ चुनावी जनसभाएं की। लेकिन भाजपा राज्य के लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी। वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का खूब जादू चला। निकाय चुनाव में भाजपा प्रदेश में सभी 17 मेयर सीटों पर जीत की ओर बढ़ रही है। कर्नाटक में भाजपा को मिली हार के जख्म उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में प्रचंड जीत ने जरूर कम कर दिए हैं।
पीएम मोदी की पूरी ताकत झोंकने के बाद कर्नाटक में हार भाजपा के लिए बड़ी चिंता की बात है। इस विधानसभा चुनाव में बजरंगबली का मुद्दा भाजपा और कांग्रेस के बीच जोर शोर से गरमाया रहा। आखिरकार जनता ने कांग्रेस को अपना जनाधार दे दिया। अपने गृह राज्य में कांग्रेस की शानदार जीत पर मल्लिकार्जुन खरगे गांधी परिवार की उम्मीद पर खरे उतरे हैं। इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, कांग्रेस 68 सीटों पर जीती है और 68 पर आगे है यानी कुल 136 सीटें। भाजपा को 30 पर जीत मिली है और 34 सीटों पर आगे है यानी कुल 64 सीटें। जेडीएस 12 सीटें जीती है और 8 पर आगे है, कुल 20 सीटें। अन्य 3 सीटों पर जीती और 1 पर आगे है यानी कुल 4 सीटें। बता दें कि कर्नाटक में 224 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव कराए गए। बेंगलुरु से दिल्ली तक कांग्रेस खेमे में जश्न का माहौल है। कांग्रेस के सभी नेता चैनलों और ट्वीट के माध्यम से कर्नाटक की शानदार जीत पर खुशियां मना रहे हैं। इस साल कर्नाटक के बाद अब पांच अन्य राज्यों में चुनाव होने हैं। इनमें राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम और तेलंगाना शामिल है। इसके अलावा अगले साल यानी 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। इसके बाद सात राज्यों में चुनाव होने हैं। कुल मिलाकर अगले दो सालों में लोकसभा के साथ-साथ 13 बड़े राज्यों के चुनाव होने हैं। इनमें कई दक्षिण के राज्य भी हैं। इसलिए भाजपा के लिए कर्नाटक की हार को बड़ा झटका माना जा रहा है। वहीं, मुश्किलों में घिरी कांग्रेस के लिए जीवनदान साबित हुई। कर्नाटक में कांग्रेस की बंपर जीत के बाद पार्टी नेता राहुल गांधी ने मीडियाकर्मियों से बात की उन्होने जीत के बाद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को बधाई दी। राहुल ने कहा कि इन चुनावों में हमें जीत दिलाने के लिए कर्नाटक की जनता को शुक्रिया। कर्नाटक में नफरत का बाजार बंद हुआ। राजनीति गलियारों और चैनलों में कर्नाटक विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के परिणाम छाए हुए हैं। जहां दक्षिण के राज्य कर्नाटक में भाजपा विधानसभा चुनाव के परिणामों में पीछे चल रही है 28 जुलाई साल 2021 यानी करीब 22 महीने पहले जब भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने बासवराज बोम्मई के हाथ में कर्नाटक की कमान सौंपी थी। तो उन्हें 2023 के चुनावों में गुजरात जैसे चमत्कार की उम्मीद थी।
लेकिन आज को जो नतीजे आ रहे हैं, उसे साफ है कि दक्षिण का द्वारा भाजपा के हाथ से निकल गया है। और एक बार फिर कांग्रेस के हाथ में सत्ता पहुंचने जा रही है। रुझानों से साफ है कि कर्नाटक में भाजपा को बोम्मई प्रयोग नहीं चला है। एक और राज्य के नतीजों को देखा जाय तो उससे साफ पता चलता है कि भाजपा के लिए कर्नाटक में कमजोर नेतृत्व नुकसानदायक साबित हो रहा है। आज ही के दिन उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। और वहां भाजपा योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में एक तरफा जीत हासिल करती दिख रही है। ऐसे में इन 2 राज्यों के नतीजे भाजपा के लिए 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव और उससे पहले 4 प्रमुख राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनावों के लिए अहम सबक साबित होंगे। बीजेपी ने कर्नाटक में बोम्मई को सत्ता येदियुरप्पा जैसा कद्दावार नेता के हाथ से कमान लेकर सौंपी थी। लेकिन उनके सत्ता संभालने के बाद पार्टी में एकजुटता की जगह अंतर्कलह बढ़ता गया। लिंगायत नेता जगदीश शेट्टार जैसे नेता ने पार्टी का साथ छोड़ दिया। उसके अलावा टिकटों के बंटवारे को लेकर भी असंतोष दिखने लगा। इसके साथ ही कांग्रेस भ्रष्टाचार के मुद्दे को भुनाती दिखी। इस दौरान बोम्मई कांग्रेस का मजबूती से काउंटर अटैक नहीं कर पाए। जिसका खामियाजा पार्टी को उनके नेतृत्व में चुनाव में उठाना पड़ा है। भाजपा को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना जैसे अहम विधानसभा चुनावों को लेकर खास रणनीति बनानी होगी। क्योंकि 2024 के लोक सभा चुनावों से पहले भाजपा की अग्नि परीक्षा होगी। इसमें जहां छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है, वहीं तेलंगाना में टीआरएस की सरकार है। जबकि मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है।
कर्नाटक में भाजपा ने हार स्वीकार की, कांग्रेसी नेताओं में जश्न का माहौल–
कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बननी तय है। अब तक की काउंटिंग में पार्टी 130 सीटें जीतते दिख रही है। प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार इसकी भविष्यवाणी पहले ही कर चुके थे। कर्नाटक में भाजपा ने हार स्वीकार कर ली है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि पूरे नतीजे आने के बाद हम समीक्षा करेंगे और लोकसभा चुनाव में दमदार वापसी करेंगे। पार्टी को बहुमत मिलने के बाद कर्नाटक कांग्रेस चीफ डीके शिवकुमार रो पड़े। उन्होंने कहा, “मैंने राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी को जीत का आश्वासन दिया था। मैं भूल नहीं सकता जब सोनिया गांधी मुझसे जेल में मिलने आई थीं, तब मैंने पद पर रहने के बजाय जेल में रहना चुना, पार्टी को मुझ पर भरोसा था।”

कांग्रेस ने कल यानी रविवार को विधायक दल की बैठक बुलाई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा,’कर्नाटक की जनता ने हमें भारी बहुमत दिया है. वह इसके लिए कर्नाटक के लोगों को धन्यवाद देते हैं। हाथ जोड़कर उन्हें नमस्कार करते हैं। हमारे काम उनके विश्वास के साथ न्याय करेगा। हम सभी 5 गारंटियों को पूरा करेंगे।’कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, मोदी जी ने तानाशाही कर भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने पर राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कर दी थी। आज उसी भ्रष्टाचार के चलते कर्नाटक की जनता ने उन्हें राज्य से निकाल दिया। इससे साबित हो गया है सत्ताधारी नहीं आम जनता तय करती है कि सत्ता किसके हाथ में जाएगी। केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने कहा, लोकतंत्र में हार-जीत बड़ी बात नहीं है। हमने अपनी हार स्वीकार की है। हम विपक्ष के नाते लड़ेंगे और हमारा लक्ष्य है कि 2024 में लोकसभा चुनाव में हम सारी सीटें जीतें। कांग्रेस अध्यक्ष जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा, जैसे-जैसे कर्नाटक चुनाव का परिणाम अंतिम रूप ले रहा है, वैसे-वैसे स्पष्ट होता जा रहा है कि कांग्रेस जीत गई है और प्रधानमंत्री हार गए हैं।
बीजेपी ने अपने चुनाव अभियान को पीएम और राज्य को उनका ‘आशीर्वाद’ मिलने को लेकर जनमत संग्रह बना लिया था। इसे स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया गया है। उन्होंने कहा, कांग्रेस पार्टी ने यह चुनाव आजीविका और खाद्य सुरक्षा, महंगाई, किसान संकट, बिजली आपूर्ति, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के स्थानीय मुद्दों पर लड़ा। प्रधानमंत्री ने विभाजनकारी रणनीति अपनाई और ध्रुवीकरण का प्रयास किया। कर्नाटक ने बेंगलुरु में एक इंजन के लिए वोट किया है, जो आर्थिक विकास को सामाजिक सद्भाव के साथ जोड़ेगा। बेंगलुरु स्थित पार्टी कार्यालय के बाहर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने जश्न मनाया। उधर, कांग्रेस के कई बड़े नेता कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार से मिलने पहुंचने लगे हैं।

कर्नाटक चुनाव में भ्रष्टाचार और भाजपा की गुटबाजी हार का बड़ा कारण रहा–
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार का मुद्दा हावी रहा। चुनाव से कुछ समय पहले ही भाजपा के एक विधायक के बेटे को रंगे हाथों घूस लेते हुए पकड़ा गया था। इसके चलते भाजपा विधायक को भी जेल जाना पड़ा। एक ठेकेदार ने भाजपा सरकार पर 40 प्रतिशत कमिशनखोरी का आरोप लगाते हुए फांसी लगा ली थी। कांग्रेस ने इस मुद्दे को पूरे चुनाव में जोरशोर से उठाया। राहुल गांधी से लेकर मल्लिकार्जुन खरगे और प्रियंका गांधी तक ने इस मुद्दे को खूब भुनाया। जनता के बीच भाजपा की छवि धुमिल हुई और पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। इस वक्त दक्षिण बनाम उत्तर की बड़ी लड़ाई चल रही है। भाजपा राष्ट्रीय पार्टी है और मौजूदा समय केंद्र की सत्ता में है। ऐसे में भाजपा नेताओं ने हिंदी बनाम कन्नड़ की लड़ाई में मौन रखना ठीक समझा। वहीं, कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने मुखर होकर इस मुद्दे को कर्नाटक में उठाया। नंदिनी दूध का मसला इसका उदाहरण है। कांग्रेस ने नंदिनी दूध के मुद्दे को खूब प्रचारित किया। एक तरह से ये साबित करने की कोशिश की है कि भाजपा उत्तर भारतीय कंपनियों को बढ़ावा दे रही है, जबकि दक्षिण के लोगों को किनारे लगाया जा रहा है। कर्नाटक चुनाव में भाजपा ने चार प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण खत्म करके लिंगायत और अन्य वर्ग में बांट दिया। पार्टी को इससे फायदे की उम्मीद थी, लेकिन ऐन वक्त में कांग्रेस ने बड़ा पासा फेंक दिया। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में आरक्षण का दायरा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 फीसदी करने का एलान कर दिया। इसने भाजपा के हिंदुत्व को पीछे छोड़ दिया। आरक्षण के वादे ने कांग्रेस को बड़ा फायदा पहुंचाया। लिंगायत वोटर्स से लेकर ओबीसी और दलित वोटर्स तक ने कांग्रेस का साथ दिया।पार्टी आंतरिक कलह से जूझ रही थी। ऐसे समय टिकट बंटवारे को लेकर भी बड़ी गड़बड़ी हुई। पार्टी के कई दिग्गज नेताओं का टिकट काटना भाजपा को भारी पड़ा। पार्टी नेताओं की बगावत ने भी कई सीटों पर भाजपा को नुकसान पहुंचाया है। इसके साथ भाजपा की राज्य में आंतरिक गुटबाजी भी हार का बड़ा कारण बनी। भाजपा में आंतरिक कलह की खबरें सामने आ चुकी थीं। कर्नाटक भाजपा में कई धड़े बन चुके थे। एक मुख्यमंत्री पद से हटाए गए बीएस येदियुरप्पा का गुट था, दूसरा मौजूदा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई का, तीसरा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष और चौथा भाजपा प्रदेश नलिन कुमार कटील का था। फिलहाल भाजपा खेमे में मायूसी का माहौल है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ा हुआ था। इसका बड़ा कारण यह है कि पीएम मोदी ने राज्य में तूफानी दौरे किए और ताबड़तोड़ चुनावी रैली जनसभाएं की। कर्नाटक में 38 सालों का नहीं बदला ट्रेंड, पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने के लिए कांग्रेस तैयार–
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव की मतगणना जारी है। रुझानों में कांग्रेस पार्टी राज्य में सरकार बनाती हुई दिख रही है। कर्नाटक विधानसभा की सभी 224 सीटों पर रुझान आ गए हैं। कर्नाटक में बीते 38 सालों का ट्रेंड बदलता नहीं दिख रहा है। ट्रेंड के अनुसार एक बार फिर राज्य में सरकार बदलती रही है। रुझानों में कांग्रेस ने बड़ी बढ़त बनाते हुए बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। भाजपा सरकार के कई कैबिनेट मंत्री पीछे चल रहे हैं। बेंगलुरु में भी भाजपा पिछड़ गई है। वहीं, जेडीएस केवल 24 सीटों पर आगे है। इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, कांग्रेस 130, भाजपा 65, जेडीएस 20 और अन्य 7 सीटों पर आगे है। यानी कांग्रेस अभी बहुमत के आंकड़े 113 के पार चल रही है। कांग्रेस को 42.9%, भाजपा को 36.2% और जेडीएस को 13% वोट मिलते दिख रहे हैं। कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को बेंगलुरु पहुंचने को कहा है। उधर, जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि भाजपा या कांग्रेस किसी भी पार्टी ने उनसे संपर्क नहीं किया है। एग्जिट पोल्स की बात करें तो 10 में से 5 में हंग असेंबली की भविष्यवाणी की गई है। चार में कांग्रेस को तो एक में भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी बताया गया है।राज्य में 38 साल से सत्ता रिपीट नहीं हुई है। आखिरी बार 1985 में रामकृष्ण हेगड़े के नेतृत्व वाली जनता पार्टी ने सत्ता में रहते हुए चुनाव जीता था। वहीं, पिछले पांच चुनाव (1999, 2004, 2008, 2013 और 2018) में से सिर्फ दो बार (1999, 2013) सिंगल पार्टी को बहुमत मिला। भाजपा 2004, 2008, 2018 में सबसे बड़ी पार्टी बनी। उसने बाहरी सपोर्ट से सरकार बनाई। 10 मई को 224 सीटों के लिए 2,615 उम्मीदवारों के लिए 5.13 करोड़ मतदाताओं ने वोट डाले। चुनाव आयोग के मुताबिक, कर्नाटक में 73.19% मतदान हुआ है। यह 1957 के बाद राज्य के चुनावी इतिहास में सबसे ज्यादा है। 2018 में भाजपा ने 104, कांग्रेस ने 78 और जेडीएस ने 37 सीटें जीती थीं। किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। भाजपा से येदियुरप्पा ने 17 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन सदन में बहुमत साबित न कर पाने की वजह से 23 मई को इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार बनी। 14 महीने बाद कर्नाटक की सियासत ने फिर करवट ली। कांग्रेस और JDS के कुछ विधायकों की बगावत के बाद कुमारस्वामी को कुर्सी छोड़नी पड़ी। इन बागियों को येदियुरप्पा ने भाजपा में मिलाया और 26 जुलाई 2019 को 119 विधायकों के समर्थन के साथ वे फिर मुख्यमंत्री बने, लेकिन 2 साल बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। भाजपा ने बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, “राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कर्नाटक में जो माहौल दिखा था आज उसी का नतीजा कर्नाटक के चुनाव परिणाम में स्पष्ट दिख रहा है। यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं ने शानदार कैंपेन किया। कर्नाटक ने सांप्रदायिक राजनीति को नकार कर विकास की राजनीति को चुना है। आने वाले राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना विधानसभा चुनाव में भी इसकी पुनरावृत्ति होगी। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, ‘अभी तक जो ख़बर है कांग्रेस का बहुत अच्छा प्रदर्शन है। निश्चित तौर पर कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनेगी। बीजेपी का प्रयास रहेगा कि अन्य पार्टियों से मिलकर खरीद फरोख्त करें। कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर में मिठाई बांटी। उन्होंने कहा, इस चुनाव में पीएम मोदी को आगे रखकर वोट मांगा गया था, यह मोदी की हार है। बजरंग बली की गदा भ्रष्टाचारियों के सिर पर पड़ी। कांग्रेस नेता अलका लांबा ने राहुल गांधी की गदा लिए फोटो शेयर की है। यह फोटो भारत जोड़ो यात्रा के दौरान की है। कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा, मैंने पहले ही कहा था कि अगर मोदी भी आ गए, तो कुछ नहीं होगा। देखिए यही हुआ। हम 120 सीटों पर आगे चल रहे हैं। ऐसी ही हमें उम्मीद थी कि हमें बहुमत मिलेगा।

यूपी निकाय चुनाव में सीएम योगी का चला जादू, सभी 17 सीटों पर भाजपा की लीड–
उत्तर प्रदेश के 17 नगर निगमों के नतीजे आ गए हैं। सभी सीटों पर बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया है। सपा, बसपा और कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला। उत्तर प्रदेश में हुए निकाय चुनाव की मतगणना शनिवार सुबह शुरू हुई। वोटों की गिनती शुरू होते ही भाजपा ने लीड बनानी शुरू कर दी । बीजेपी इतिहास रचने की ओर बढ़ रही है। वहीं समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस की बुरी हार भी है। आगरा में भाजपा की मेयर प्रत्याशी हेमलता दिवाकर जीत गईं हैं। बसपा प्रत्याशी डॉ. लता वाल्मीकि को हराया है। मेरठ में भाजपा मेयर प्रत्याशी हरिकांत अहलूवालिया ने जीत दर्ज की है। हरिकांत ने सपा की सीमा को हराया है। मुरादाबाद से बीजेपी के विनोद अग्रवाल जीत गए हैं। उन्हें 1,21,415 वोट मिले हैं। 3589 वोटों से कांग्रेस के हाजी रिजवान कुरैशी को हराया है। लखनऊ में भाजपा मेयर प्रत्याशी सुषमा खर्कवाल जीत गईं हैं। उन्होंने सपा प्रत्याशी वंदना मिश्रा को हराया है। प्रयागराज में बीजेपी प्रत्याशी उमेश चन्द्र गणेश केसरवानी 1 लाख 29 हजार 394 मतों से सपा प्रत्याशी अजय कुमार श्रीवास्तव को हराया है। अजय कुमार को 1 लाख 62 हजार 42 मत मिले। यहां कुल 494344 वोट पड़े थे। गाजियाबाद से भाजपा मेयर प्रत्याशी सुनीता दयाल 2 लाख 87 हजार वोटों से जीत गई हैं। अलीगढ़ से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी प्रशांत सिंघल की जीत। सिंघल को 60902 वोट मिले हैं। समर्थकों ने जय जय श्री राम और वंदे मातरम के नारे लगाए। कानपुर में भाजपा प्रत्याशी प्रमिला पांडे ने सपा की वंदना वाजपेई को हरा दिया है। फिरोजाबाद में भाजपा प्रत्याशी कामिनी राठौर ने सपा प्रत्याशी मशरूम फातिमा को 26961 वोटों से हरा दिया है। बरेली महापौर सीट पर डॉ. उमेश गौतम दूसरी बार भाजपा के मेयर चुने गए हैं। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. आईएस तोमर को हरा दिया है। शाहजहांपुर से भाजपा प्रत्याशी अर्चना वर्मा 30256 वोट से जीत गई हैं। अर्चना को 80740 वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस को 50484, सपा को 20144 और बसपा को 5573 वोट मिले हैं। गोरखपुर में भाजपा प्रत्याशी डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव ने 67,026 वोटों से सपा प्रत्याशी काजल निषाद को हरा दिया है। मंगलेश श्रीवास्तव को 2,14,983 और काजल निषाद को 1,47,957 वोट मिले हैं। झांसी में भाजपा के मेयर प्रत्याशी बिहारीलाल ने 80 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की। दूसरे नंबर पर कांग्रेस के अरविंद कुमार बबलू हैं। अयोध्या में भाजपा प्रत्याशी गिरिश पति तिवारी ने सपा को हराया है। मथुरा से भाजपा मेयर प्रत्याशी विनोद अग्रवाल जीत गए हैं। दूसरे नंबर पर सपा रही।वाराणसी में भाजपा के मेयर प्रत्याशी अशोक तिवारी ने जीत हासिल की है। अशोक तिवारी ने सपा के ओमप्रकाश सिंह को बड़े अंतर से हराया है।सहारनपुर में भाजपा के डॉ. अजय सिंह ने बसपा की खदीजा मसूद को 8850 वोटों से हराया है। वहीं नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी ने 199 सीटों में से 99 पर बढ़त बनाई हुई है। सपा और निर्दलीय में टक्कर चल रही है। सपा 37 सीटों तो निर्दलीय 39 सीटों पर लीड कर रहे हैं। इसी तरह नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी 544 सीटों में से 181 सीटों पर बीजेपी लीड कर रही है, जबकि निर्दलीय 159 सीटों और सपा 76 सीटों पर आगे है। यूपी नगर निकाय चुनाव में 17 मेयर, 1420 पार्षद, नगर पालिका परिषदों के 199 अध्यक्ष, नगर पालिका परिषदों के 5327 सदस्य, नगर पंचायतों के 544 अध्यक्ष और नगर पंचायतों के 7178 सदस्यों के निर्वाचन के लिए दोनों चरणों में मतदान हुआ। चुनाव में 17 महापौर और 1,401 पार्षदों के चुनाव के लिए मतदान हुआ। बता दें कि यूपी में 17 नगर निगमों में मेयर पदों के लिए चुनाव हुआ था। इनमें आगरा, झांसी, शाहजहांपुर, फिरोजाबाद, सहारनपुर, मेरठ, लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद, वाराणसी, प्रयागराज, अलीगढ़, बरेली, मुरादाबाद, गोरखपुर, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन शामिल हैं। निकाय चुनाव के लिए दो चरणों में चार मई व 11 मई को मतदान हुआ था। नगर निगमों में ईवीएम व नगर पालिका एवं नगर पंचायतों में मतपत्रों के जरिए मतदान कराया गया था।