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केंद्रीय शिक्षा मंत्री हो या कोई राज्य में शिक्षा मंत्री हो यह मंत्री पद बहुत ही सम्मानित माना जाता है। लेकिन बिहार के शिक्षा मंत्री और आरजेडी विधायक चंद्रशेखर के बेहूदा बयान पर पूरे देश भर में सियासी बवाल मच गया है। भाजपा समेत तमाम नेता उनसे इस्तीफा मांग रहे हैं। आइए जानते हैं बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने क्या कहा है जिस पर बवाल मचा पड़ा है। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने बुधवार 11 जनवरी को तुलसीदास की रामचरितमानस को “समाज में नफरत फैलाती है” कहकर विवाद खड़ा कर दिया। नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए मंत्री ने आगे कहा कि रामचरितमानस और मनुस्मृति समाज को विभाजित करने वाली पुस्तकें हैं। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के इस बेहूदा बयान के बाद भाजपा नेताओं ने कड़े शब्दों में निंदा की है। बक्सर से भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा, “ये अज्ञानी शिक्षा मंत्री है। इसने हजारों धर्मावलंबियों का अपमान किया है।
रामचरित मानस एक जीवन पद्धति है ऐसे शिक्षा मंत्री का तुरंत इस्तीफा होना चाहिए। बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने यह कहकर एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है कि हिंदू ग्रंथ रामचरितमानस को मनुस्मृति की तरह जलाया जाना चाहिए, क्योंकि यह समाज में जाति विभाजन को बढ़ावा देता है। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने पटना में नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह के दौरान यह टिप्पणी की। उन्होंने दावा किया कि रामचरितमानस के श्लोक ‘अधम जाति में विद्या पाये, भयातु यथा दूध पिलाये’ का अर्थ है ‘निम्न जाति के लोग शिक्षा प्राप्त करने के बाद ऐसे जहरीले हो जाते हैं जैसे दूध पीने के बाद सांप हो जाते हैं’। यह कविता का अक्सर जानबूझकर गलत व्याख्या किया गया अनुवाद है, क्योंकि जहरीला शब्द पद्य में दावा के रूप में प्रकट नहीं होता है। तात्पर्य यह है कि जिस प्रकार दूध पीकर सर्प सुख का अनुभव करता है, उसी प्रकार अपने को अधम जाति बताने वाला वक्ता भी शिक्षा पाकर प्रसन्न होता है।
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वहीं दूसरी ओर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान पर मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कड़ी आपत्ति जताई है। नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो.चंद्रशेखर धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस की चौपाई की गलत व्याख्या कर समाज को तोड़ने का काम कर रहे हैं, जो सही नहीं है। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने ट्वीट किया, ‘बिहार के शिक्षा मंत्री ने कहा ‘रामचरितमानस’ नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है। कुछ दिन पहले जगदानंद सिंह ने राम जन्मभूमि को ‘नफरत की जमीन’ बताया था। यह संयोग नहीं है। यह वोट बैंक का उद्योग है। कुमार विश्वास ने ट्वीट किया, आदरणीय नीतीश कुमार जी जी। भगवान शंकर के नाम को निरर्थक कर रहे आपके अशिक्षित शिक्षा मंत्री जी को शिक्षा की अत्यंत-अविलंब आवश्यकता है। आपका मेरे मन में अतीव आदर है। इसलिए इस दुष्कर कार्य के लिए स्वयं को प्रस्तुत कर रहा हूं। इन्हें अपने अपने राम सत्र में भेजें ताकि इनका मनस्ताप शांत हो। चिराग पासवान ने कहा है कि शिक्षा मंत्री का बयान समाज को बांटने वाला है और उन्हें तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए।
वहीं दूसरी ओर शिक्षा मत्री के विवादित बयान पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ बोलने से परहेज करते नजर आए। उन्होंने गुरुवार को कहा, हमको इसके बारे में कुछ मालूम नहीं है। हम देखेंगे तब ही कुछ कह पाएंगे। मुझे पता नहीं है। मैं उनसे पूछ लूंगा। बता दें कि मुख्यमंत्री गुरुवार को समाधान यात्रा के तहत दरभंगा पहुंच हैं।