उत्तर प्रदेश में नगर निगम चुनाव को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है। सर्वोच्च अदालत ने
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद माना जा रहा है कि यूपी निकाय चुनाव कम से कम 3 महीने नहीं हो सकेंगे। इस तीन महीने के समय में पिछड़ा वर्ग के लिए बनाया गया आयोग अपनी रिपोर्ट फाइल करेगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद यूपी के योगी सरकार को बड़ी राहत मिली है। इस दौरान कोई बड़ा नीतिगत फैसला नहीं लिया जा सकेगा। बता दें कि सर्वोच्च अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें उत्तर प्रदेश को अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण के बिना शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया गया था। यूपी निकाय चुनाव के लिए दिसंबर में योगी सरकार ने ओबीसी आरक्षण की अधिसूचना जारी की थी। हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए योगी सरकार से सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुसार ओबीसी आरक्षण सूची बनाने के लिए कहा था। अदालत ने यूपी सरकार को यह भी सलाह दी थी कि वह चाहे तो बगैर ओबीसी आरक्षण निकाय चुनाव करवा सकती है। इसके बाद योगी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।कोर्ट के फैसले पर सीएम योगी का बयान भी सामने आया है, उन्होंने कहा, माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव के संबंध में दिए गए आदेश का हम स्वागत करते हैं। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई समय सीमा के अंतर्गत ओबीसी आरक्षण लागू करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार निकाय चुनाव संपन्न कराने में सहयोग करेगी। वहीं यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट किया है। इसमें उन्होंने लिखा है, नगर निकाय चुनाव में हाईकोर्ट के पिछड़ा वर्ग को आरक्षण के बिना चुनाव कराने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है, रोक के आदेश का स्वागत करता हूं। सपा मुखिया श्री अखिलेश यादव जी एंड कंपनी जो स्वयं पिछड़ो के विरोधी हैं उनको करारा जवाब है।