(Gyanvapi case big decision) : वाराणसी स्थित ज्ञानवापी केस मामले में आज जिला अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया। सुबह से ही इस मामले को लेकर पूरे देश भर की निगाहें लगी हुई थी। वाराणसी जिला अदालत में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के लोग मौजूद रहे। सोमवार दोपहर दो बज कर 15 मिनट पर अदालत ने इस केस को सुनने योग्य बताया। वाराणसी के श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने श्रृंगार गौरी में पूजा के अधिकार की मांग को लेकर दायर याचिका को सुनवाई के योग्य माना है। हिंदू पक्ष की ओर से ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी समेत अन्य धार्मिक स्थलों पर नियमित पूजा अर्चना करने की अनुमति दिए जाने की मांग की गई थी। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में पोषणीय नहीं होने की दलील देते हुए इस केस को खारिज करने की मांग की थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 07 नियम 11 के तहत इस मामले में सुनवाई हो सकती है। कोर्ट ने श्रृंगार गौरी में पूजा के अधिकार की मांग को लेकर दायर याचिका को सुनवाई के योग्य माना है। ।वाराणसी के ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी विवाद में आगे सुनवाई जारी रहेगी। वाराणसी जिला कोर्ट ने कहा कि यह केस सुनने लायक है। विश्व वैदिक सतानत संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन ने जानकारी दी है कि कोर्ट ने हिंदू पक्ष की दलीलें मानी हैं और मुस्लिम पक्ष की आपत्तियों को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने 22 सितंबर को इस मामले की अगली सुनवाई करने की बात कही है। आपको बता दें कि अगस्त 2021 में 5 महिलाओं ने श्रृंगार गौरी में पूजन और विग्रहों की सुरक्षा को लेकर याचिका डाली थी। इस पर सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी का सर्वे कराने का आदेश दिया था। हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला। जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि ये एक फव्वारा है। इसके बाद हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी। सेशन कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को जिला जज को ट्रांसफर कर दिया था। साथ ही कोर्ट ने कहा था कि वजू की व्यवस्था की जाएगी। इसके साथ ही शिवलिंग का एरिया सील रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज अजय कृष्ण ने सुनवाई की थी और 24 अगस्त को इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था।
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