राजनीति में कहा जाता है कोई भी स्थाई दोस्त और दुश्मन नहीं होता है। समय, परिस्थिति और अपने फायदे के लिए नेता एक-दूसरे से हाथ मिलाने में देर नहीं लगाते। यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर सबसे अधिक निशाना भाजपा को बनाए हुए थे। राजभर प्रचार के दौरान योगी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए दंभ भर रहे थे। लेकिन भाजपा ने यूपी में प्रचंड जीत हासिल की। अब एक बार फिर ओमप्रकाश राजभर और भाजपा करीब आते दिख रहे हैं। यूपी में नई सरकार के गठन को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी है। 25 मार्च शाम 4 बजे योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। यूपी में इस बार योगी मंत्रिमंडल का गठन पूरी तरह से साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को पर्यवेक्षक के रूप में जिम्मेदारी दी गई है। अब एक बार फिर से भाजपा और सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की ‘दोस्ती’ की शुरुआत हो चुकी है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि इस बार विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल के गाजीपुर, जौनपुर, बलिया, आजमगढ़ और मऊ में ओमप्रकाश राजभर की वजह से भाजपा को बहुत नुकसान उठाना पड़ा है। इन जिलों में राजभर ने सपा के साथ गठबंधन करके भाजपा को करारी चोट दी है। बता दें कि साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा और राजभर की पार्टी सुभासपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में भाजपा को पूर्वांचल में कई सीटें जीतने में सफलता मिली थी। योगी सरकार में ओमप्रकाश राजभर को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। लेकिन दो साल बाद ही गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजभर को अपने मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया था। इस विधानसभा चुनाव में राजभर ने सपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा। और अपनी पार्टी को छह सीटों पर सफलता दिलाई। ओमप्रकाश राजभर गाजीपुर की जहूराबाद विधानसभा सीट से चुनाव जीत गए । ओमप्रकाश राजभर की ओबीसी (पिछड़ा वर्ग) में अच्छी पकड़ बताई जाती है। बता दें कि 10 मार्च चुनाव नतीजों के बाद से ही ओमप्रकाश की सपा में रहने को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई थी। राजभर फिर से एनडीए में वापसी को तैयार हैं। पिछले दिनों राजभर इस सिलसिले में गृह मंत्री अमित शाह के साथ ही केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और संगठन मंत्री सुनील बंसल से मुलाकात भी कर चुके हैं। माना जा रहा है कि ओमप्रकाश राजभर को सुभासपा के कोटे से योगी मंत्रिमंडल में मंत्री भी बनाया जा सकता है । भाजपा वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर योगी मंत्रिमंडल का गठन करने में जुटी हुई है। जिस तरह पूर्वांचल के कई जिलों में सुभासपा ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है, उसे देखते हुए लगता है कि बीजेपी उन्हें लोकसभा चुनाव से पहले अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है। इस बार के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने राजभर को गठबंधन से जोड़ने की कोशिश की थी। कई बड़े नेताओं ने उनसे मुलाकात और फोन पर बात की, लेकिन बात नहीं बनी और राजभर ने सपा के साथ गठबंधन कर लिया। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने उन्हें 18 सीटें दीं। सुभासपा ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की। जिसमें गाजीपुर की जहूराबाद और जखनिया, बलिया की बेल्थरा रोड, मऊ सदर, जौनपुर की जफराबाद और बस्ती की महादेवा सीट शामिल है। सपा-सुभासपा के गठबंधन के चलते बीजेपी का आजमगढ़ और गाजीपुर में खाता भी नहीं खुला। ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी फिर से भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल हो सकती है। हालांकि अभी तक दोनों ओर से आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
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