आज गृह मंत्री अमित शाह पुलिस विभाग को अधिकार और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण विधेयक लोकसभा में पेश करने जा रहे हैं। देश में आज भी कई एक्ट अंग्रेज जमाने से चले आ रहे हैं। इस बिल को पिछले दिनों केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दी गई थी। अमित शाह सोमवार को संसद में क्रिमिनल प्रोसीजर बिल (दंड प्रक्रिया पहचान विधेयक) पेश करेंगे। बिल का लक्ष्य पुलिस को ये अनुमति देना है कि वो अपराधिक मामलों के दोषियों और अन्य व्यक्तियों की पहचान का रिकॉर्ड रख सकता है। लोकसभा में यह बिल पास होते ही पुलिस की कार्यप्रणाली से जुड़ा आइडेंटिफिकेशन ऑफ प्रिजनर्स एक्ट 1920 खत्म हो जाएगा। विधेयक पुलिस को धारा 53 में संदर्भित उंगली के निशान, हथेली के निशान, पदचिह्न छाप, तस्वीरें, आईरिस और रेटिना स्कैन, भौतिक, जैविक नमूने और उनके विश्लेषण, हस्ताक्षर, लिखावट या किसी अन्य परीक्षा सहित व्यवहार संबंधी विशेषताओं को एकत्र करने की अनुमति देता है। मौजूदा कानून में, यह एक मजिस्ट्रेट के आदेश पर उंगली और पदचिह्न के निशान लेने और सीमित श्रेणी के दोषी और गैर-दोषी व्यक्तियों और तस्वीरों के लिए अनुमति देने तक ही सीमित है।
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