मणिपुर में जारी अशांति के बीच, कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने रविवार को भाजपा के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे एक आधिकारिक पत्र में एनपीपी ने कहा’ ‘मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में मणिपुर सरकार राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से विफल रही है। एनपीपी ने यह चौंकाने वाला फैसला तब लिया, जब राज्य में पिछले साल मई से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच जातीय संघर्ष जारी है। महिलाओं और बच्चों की लाशों की बरामदगी के बाद विरोध प्रदर्शन चल रहा है। मणिपुर का विधानसभा का कंपोजिशन इस प्रकार है। राज्य में कुल विधानसभा सदस्यों की संख्या 60 है। एनडीए के कुल विधायकों की संख्या 53 है। इनमें बीजेपी के विधायकों की संख्या 37 है, जबकि एनपीएफ के 5, जेडयू के एक और निर्दलीय तीन विधायकों का समर्थन प्राप्त है। एपीपी के सात विधायक भी एनडीए का समर्थन कर रहे थे, लेकिन उन्होंने नड्डा को पत्र लिखकर समर्थन वापसी का ऐलान कर दिया है। दूसरी ओर, विपक्षी पार्टियों में कांग्रेस के पांच और केपीए के दो विधायक हैं।
मणिपुर के इंफाल में शनिवार को हिंसा की आग फिर भड़क गई। प्रदर्शनकारी जिरिबाम जिले में 3 लोगों की मौत के सिलसिले में न्याय की मांग करते हुए दो मंत्रियों और तीन विधायकों के घर में घुस गए। पुलिस ने यह जानकारी दी। विधायकों के घरों पर भीड़ के घुस जाने के बाद इंफाल पश्चिम (जिला) प्रशासन को जिले में अनिश्चित काल के लिए निषेधाज्ञा लगानी पड़ी। इंफाल पश्चिम के डीएम टी किरण कुमार की ओर से जारी किए गए आदेशानुसार शनिवार को दोपहर साढ़े चार बजे कर्फ्यू लगा दिया गया। यह कदम कानून और व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के कारण उठाया गया है। इससे पहले तीन लोगों की हत्या के विरोध में हुए ताजा प्रदर्शनों के बाद इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई थीं।