UKSSSC VPDO EXAM SPAM : सीएम धामी का एक्शन : भर्ती घोटाले में एसटीएफ ने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व चेयरमैन समेत तीन अधिकारियों को किया गिरफ्तार - Daily Lok Manch PM Modi USA Visit New York Yoga Day
October 18, 2024
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UKSSSC VPDO EXAM SPAM : सीएम धामी का एक्शन : भर्ती घोटाले में एसटीएफ ने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व चेयरमैन समेत तीन अधिकारियों को किया गिरफ्तार

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग और विधानसभा में हुई भर्ती घोटाले का मामला शांत भी नहीं हो पाया था कि शनिवार को एक और 6 साल पहले हुई यूकेएसएसएससी द्वारा आयोजित ग्राम पंचायत विकास अधिकारी भर्ती घोटाला में बड़ी कार्रवाई की गई है। सीएम धामी के निर्देश पर एसटीएफ ने बड़ी कार्रवाई करते हुए साल 2016 में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी भर्ती घोटाले में आयोग के तीन पूर्व अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। ‌एसटीएफ ने आयोग के तीन पूर्व अधिकारी आरबीएस रावत पूर्व चेयरमैन, सचिव मनोहर कन्याल, पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को किया गया है. यह इस भर्ती परीक्षा प्रकरण में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। बता दें कि 2016 वीपीडीओ भर्ती के मामले में लंबे समय से जांच चल रही थी। लेकिन मुख्यमंत्री धामी के कड़े रुख के बाद जांच एजेंसियों ने भी तेजी दिखाई। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 6 मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी चयन परीक्षा करवाई गई। यह परीक्षा प्रदेश के सभी 13 जिलों के 236 परीक्षा केंद्रों में संचालित की गई। इस परीक्षा में कुल 87,196 परीक्षार्थियों ने परीक्षा में भाग लिया। वहीं, 30 मार्च 2016 को परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया था। वहीं, इस परीक्षा में धांधली की विभिन्न शिकायतों के आधार पर उत्तराखंड शासन द्वारा तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 2017 में जांच समिति गठित की गई थी। इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने इस परीक्षा परिणाम को अनियमितताओं के पुष्टि के बाद निरस्त करने के आदेश दिये थे। जिसके बाद इस परीक्षा धांधली की जांच 2019 में विजिलेंस को सौंपी गई। जिसके बाद इस मामले में विजिलेंस की ओर से आरोपियों पर मुकदमा दर्ज करने के लिए शासन से अनुमति मांगी गई थी। शासन से अनुमति मिलने के बाद विजिलेंस द्वारा इस मामले में मुकदमा दर्ज किया गया। वहीं, 2020 से 2022 तक इस मामले की जांच विजिलेंस ही कर रही थी। इस भर्ती में धांधली के खिलाफ लगातार उठ रहे सवालों के बाद अगस्त महीने में मुख्यमंत्री के आदेश पर यह जांच एसटीएफ को सौंपी गई। जिसके बाद से एसटीएफ इस मामले की जांच कर रही थी। राज्य में भर्ती परीक्षाओं में हुई धांधलियों पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के जीरो टॉलरेंस के सिद्धांत का पालन करते हुए उत्तराखंड एसटीएफ ने बड़ी कार्रवाई की है। यह भर्ती परीक्षा प्रकरण में अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही है । 2016 के मामले में लंबे समय से जांच चल रही थी लेकिन मुख्यमन्त्री के कड़े रुख के बाद जांच एजेंसियों ने भी तेेजी दिखाई। मुख्यमंत्री धामी पिछले कई अवसरों पर बार बार कह रहे हैं कि वो अपने युवा भाई बहनों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे, सरकारी नौकरियों की भर्ती में भ्रष्टाचार का जो दीमक लगा है उसे वे जड़ से मिटा देंगे। इस क्रम में वीपीडीओ भर्ती में 6 वर्ष बाद विधिसम्मत कार्यवाही कर सीएम ने एक बड़ी लकीर खींच दी है। मुख्यमंत्री धामी ने एसटीएफ की कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि जांच एजेंसिया अपना काम कर रही हैं। उत्तराखंड के युवा का हक मारने वाले किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा। सरकार ये सुनिश्चित कर रही है कि भविष्य की सभी भर्ती परीक्षाएं स्वच्छ और पारदर्शी हो। आज की कार्रवाई इस बात की मिसाल है कि भविष्य में कोई इन परीक्षाओं में गड़बड़ी करने की हिम्मत न कर सके ।

CM Dhami tweet

यूकेएसएसएससी ने 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी परीक्षा कराई थी—

बता दे कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की परीक्षा 6 मार्च 2016 को समस्त 13 जनपदों के 236 परीक्षा केंद्रों में संचालित कराई थी। ‌ इस परीक्षा में कुल 87196 परीक्षार्थियों द्वारा प्रतियोगी परीक्षा में भाग लिया गया था। 30 मार्च 2016 को परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया था।‌ परीक्षा में धांधली के मद्देनजर विभिन्न शिकायतों के आधार पर उत्तराखंड शासन द्वारा तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति वर्ष 2017 में गठित की गई थी जांच समिति द्वारा प्रेषित आख्या के आधार पर सम्यक विचारों प्रांत एवं माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों के क्रम में उक्त परीक्षा में अनियमितताओं की पुष्टि होने के कारण उक्त परीक्षा परिणाम को निरस्त किया गया। वर्ष 2019 में सचिव कार्मिक एवं सतर्कता अनुभाग के निर्देशानुसार उक्त परीक्षा में हुई अनियमितताओं के संबंध में जांच सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर देहरादून को प्राप्त हुई वर्ष 2020 में सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर देहरादून द्वारा खुली जांच में पुष्टि होने पर उक्त परीक्षा में हुई। अनियमितताओं की पुष्टि होने पर सतर्कता अधिष्ठान देहरादून में मुकदमाअपराध संख्या 01/20 धारा 420/468/467/120B ipc व धारा 13 (1) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अभियोग शासन की अनुमति उपरांत पंजीकृत कराया गया। अभियोग पंजीकृत होने के बाद वर्ष 2020 से वर्ष 2022 तक उक्त प्रकरण की विवेचना सतर्कता अधिष्ठान देहरादून द्वारा की जा रही थी । वर्ष 2022 माह अगस्त में माननीय मुख्यमंत्री के निर्देश अनुसार उक्त प्रकरण की विवेचना एसटीएफ को स्थानांतरित हुई। एसटीएफ द्वारा विवेचना को आगे बढ़ाते हुए साक्ष्य संकलन की कार्रवाई की गई। पूर्व में जांच कमेटी द्वारा उक्त परीक्षा से संबंधित ओएमआर शीट को FSL भेजा गया था एवं FSL से उक्त OMR शीट में छेड़छाड़ होने की पुष्टि हुई थी।‌ विवेचना के दौरान यह भी पाया गया कि उक्त परीक्षा से संबंधित ओएमआर स्कैनिंग/फाइनल रिजल्ट बनाए जाने का का कार्य तत्कालीन सचिव मनोहर सिंह कन्याल के घर पर हुआ था। विवेचना के दौरान अभी तक दो दर्जन से अधिक अभ्यर्थी चिन्हित किए गए हैं और उनके बयान एसटीएफ द्वारा दर्ज किए गए। विवेचना के दौरान कई अहम गवाहों के बयान न्यायालय में भी कराए जा चुके हैं जो केस की अहम साक्ष्य है। विवेचना के दौरान पूर्व में तीन अभियुक्त 1 मुकेश कुमार शर्मा 2 मुकेश कुमार 3 राजेश पाल को एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है। एसटीएफ ने पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर शनिवार को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ रघुवीर सिंह रावत पुत्र स्वर्गीय दुर्गा सिंह रावत निवासी 188/1ऑफिसर सोसायटी वसंत विहार देहरादून, आयोग के पूर्व सचिव मनोहर सिंह कन्याल पुत्र प्रताप सिंह कन्याल निवासी वन 169/2 वन विहार शिमला बाईपास देहरादून वर्तमान पद- संयुक्त सचिव लेखा सचिवालय देहरादून और पूर्व परीक्षा नियंत्रक यूकेएसएसएसी राजेंद्र सिंह पोखरिया पुत्र स्वर्गीय प्रेम सिंह पोखरिया निवासी 1/29 कृष्ण पुरम माजरी माफी आईआईपी मोहकमपुर देहरादून को पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर गिरफ्तार किया गया है ।वहीं यूकेएसएसएससी की ओर से पिछले सात सालों में करवाई गई भर्तियों में गड़बड़ी के मामले में आयोग के सचिव संतोष बड़ौनी, पूर्व परीक्षा नियंत्रक नारायण सिंह डांगी व तीन अनुभाग अधिकारियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। जांच के बाद विजिलेंस ने शासन को पत्र लिखकर पांचों अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की शासन से अनुमति मांगी है। इस मामले में कई अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई जा रही है। विजिलेंस अधिकारियों के अनुसार इन सात सालों में आयोग की ओर से 88 परीक्षाएं आयोजित करवाई गई हैं। यह परीक्षाएं आरएमएस टेक्नो सोल्यूशंस की ओर से करवाई गई हैं। कंपनी का रिकॉर्ड खराब होने के बावजूद भी आयोग के अधिकारियों ने किसी कंपनी से 88 परीक्षाएं करवा दीं। अनियमितता पाए जाने पर अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी है।

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