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आज बात करेंगे समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य यानी एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्या की। स्वामी प्रसाद मौर्या साल 2017 से 2022 तक योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। साल 2022 यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने भाजपा छोड़ दी थी और समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था। मौर्या को पूरी उम्मीद थी कि प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार आ जाएगी। लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया और एक बार फिर से यूपी में भाजपा की सरकार आ गई। साल 2022 में स्वामी प्रसाद मौर्या विधानसभा चुनाव भी हार गए थे। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्हें एमएलसी बनवा दिया है। फिलहाल इनके पास कोई काम नहीं है। जब किसी के पास कोई काम नहीं रहता तब वह ऐसे ही फिजूल की बयानबाजी करते हुए नजर आते हैं। रविवार 22 जनवरी को उनके बेतुके बयान से भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी समेत तमाम हिंदू संगठनों ने कड़ी आलोचना की है। स्वामी प्रसाद मौर्या को अब गोस्वामी तुलसीदास के लिखित रामचरितमानस में ही अपना सियासी भविष्य समझ में आया है। समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने समाचार चैनल आज समेत तमाम चैनलों को रामचरितमानस पर बेतुका बयान दिया है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस में सब बकवास है। क्या यही धर्म है, ऐसे धर्म का सत्यानाश हो। रामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर मुझे आपत्ति है। तुलसीदास ने शुद्र को अधम जाति का कहा है।
समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को बैन करने की मांग की। स्वामी प्रसाद ने कहा, ‘रामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर मुझे आपत्ति है। तुलसीदास की रामायण में कुछ ऐसे अंश हैं, जिन पर हमें आपत्ति है। किसी भी धर्म में किसी को गाली देने का हक नहीं है। तुलसीदास की रामायण में चौपाई है। इसमें वह शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं। धर्म के नाम पर विशेष जाति का अपमान किया गया। रामचरितमानस को पूरी तरह बैन कर देना चाहिए। रामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर मुझे आपत्ति है। ब्राह्मण भले ही लंपट, दुराचारी, अनपढ़ और गंवार हो, लेकिन वह ब्राह्मण है तो उसे पूजनीय बताया गया है, लेकिन शूद्र कितना भी ज्ञानी, विद्वान या फिर ज्ञाता हो, उसका सम्मान मत करिए। क्या यही धर्म है? अगर सरकार तुलसीदास की रामचरितमानस को प्रतिबंधित नहीं कर सकती तो उन श्लोकों को रामचरितमानस से निकालना चाहिए। वहीं दूसरी ओर
स्वामी प्रसाद ने आगे तंज कसते हुए कहा कि अगर बाबा के ही पास सारी बीमारियों का इलाज है तो सरकार ने बेकार में ही अस्पताल और मेडिकल कॉलेज चला रही है।
ऐसे बाबा पर सरकार को नज़र रखने की जरुरत है। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के नागपुर में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का दरबार लगा था जिसमें अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति ने उनपर जादू-टोना और अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाया गया था। एकतरफ जहां कई लोग धीरेंद्र शास्त्री का विरोध कर रहे थे तो उनके समर्थन में भी कई लोग खुलकर सामने आए जिनमें योग गुरु बाबा रामदेव भी शामिल हैं।