इस बार उत्तर प्रदेश चुनाव में प्रतापगढ़ की कुंडा विधानसभा से विधायक और पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया चुनावी समर में अलग-थलग पड़ गए हैं। जहां भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी छोटे-छोटे दलों से गठबंधन कर रही है वहीं राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल के साथ अभी तक किसी बड़ी पार्टी का गठबंधन नहीं हो पाया है। इसकी बड़ी वजह यह रही कि राजा भैया अभी तक सपा से अपनी पार्टी का गठबंधन चाहते थे लेकिन ऐन मौके पर अखिलेश यादव ने राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल के साथ गठबंधन करने को लेकर स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया था। बता दें कि 22 नवंबर को मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन के दो दिन बाद राजा भैया ने उनसे मुलाकात की थी। तब माना जा रहा था कि सपा के साथ उनकी पार्टी का गठबंधन हो सकता है। लेकिन अखिलेश ने राजा भैया की पार्टी के साथ गठबंधन करने से मना कर दिया। उसके बाद राजा भैया ने भाजपा के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया। लेकिन भाजपा आलाकमान की ओर से इस गठबंधन पर भी बात नहीं बन पाई है। हालांकि अभी भी राजा भैया भाजपा के साथ चुनाव लड़ने की उम्मीद बनाए हुए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राजा भैया की करीबी जगजाहिर है। अगर भाजपा के साथ बात नहीं बनती है तो राजा भैया की पार्टी विधानसभा चुनाव मैदान में अकेले ही ताल ठोकने जा रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता शैलेन्द्र कुमार अब भी गठबंधन की संभावनाएं जाहिर कर रहे हैं। इसके साथ ही शैलेन्द्र ने ये भी कहा कि अगर उनकी पार्टी का कहीं सम्मानजनक तरीके से समझौता नहीं हो पाया तो भी पार्टी अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी। जनसत्ता दल इन चुनावों में 100 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ सकती है। फिलहाल इस चुनाव में राजा भैया अलग-थलग पड़ते हुए नजर आ रहे हैं।