Uttarakhand Panchayat chunav : पंचायत चुनाव नतीजों ने भाजपा-कांग्रेस की "जमीनी हकीकत" उजागर की - Daily Lok Manch PM Modi USA Visit New York Yoga Day
August 2, 2025
Daily Lok Manch
उत्तराखंड

Uttarakhand Panchayat chunav : पंचायत चुनाव नतीजों ने भाजपा-कांग्रेस की “जमीनी हकीकत” उजागर की

उत्तराखंड के 12 जिलों में संपन्न हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के नतीजों ने राज्य की सियासी तस्वीर को नया रंग दे दिया है। हरिद्वार जिले को छोड़कर शेष जिलों में मतदान दो चरणों में 24 और 28 जुलाई को हुआ, जबकि मतगणना 31 जुलाई को हुई। कुल मिलाकर करीब 69 प्रतिशत मतदान हुआ और लगभग 32,580 उम्मीदवार मैदान में थे। यह चुनाव भले ही पार्टी चिह्न पर नहीं होते, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी भाजपा और कांग्रेस जैसे प्रमुख दलों की गहरी भागीदारी और अंदरखाने की रणनीति साफ नजर आई। भाजपा के लिए यह चुनाव एक मिली-जुली तस्वीर लेकर आया। कुछ जिलों में पार्टी समर्थित उम्मीदवारों ने जिला पंचायत और ग्राम प्रधान पदों पर प्रभावी प्रदर्शन किया, जिससे यह संकेत मिला कि ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की योजनाएं और संगठनात्मक ताकत अब भी असरदार है। खासकर देहरादून और उधमसिंह नगर जैसे क्षेत्रों में पार्टी को अच्छा समर्थन मिला। हालांकि कई पारंपरिक गढ़ों में भाजपा को अप्रत्याशित झटके भी लगे हैं, जिससे यह सवाल खड़ा हुआ है कि क्या विकास योजनाओं की पहुंच हर गांव तक समान रूप से हो पाई है। यह नतीजे आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए एक चेतावनी भी हैं कि हर क्षेत्र में संगठन की जमीनी पकड़ को और मजबूत करने की आवश्यकता है। दूसरी ओर कांग्रेस के लिए ये चुनाव हल्की उम्मीद की किरण लेकर आए। टिहरी, पौड़ी और चंपावत जैसे कुछ जिलों में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की, जहां पार्टी ने स्थानीय मुद्दों पर फोकस करते हुए डोर-टू-डोर संपर्क साधा। हालांकि कांग्रेस का प्रदर्शन राज्यभर में कोई बड़ी लहर जैसा नहीं रहा, लेकिन यह साफ दिखा कि पार्टी का संगठन अब धीरे-धीरे ग्रामीण इलाकों में फिर से सक्रिय हो रहा है। कांग्रेस के लिए यह नतीजे संकेत हैं कि यदि वह अब भी गांव स्तर पर स्थायी रणनीति अपनाए और स्थानीय नेतृत्व को मजबूती दे, तो आगामी चुनावों में वह चुनौती खड़ी कर सकती है। इस चुनाव की सबसे बड़ी कहानी बनी निर्दलीय उम्मीदवारों की मजबूत उपस्थिति। कई जिलों में भाजपा और कांग्रेस दोनों को पीछे छोड़ते हुए निर्दलीयों ने ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत पदों पर कब्जा जमाया। खासकर रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी जैसे जिलों में ऐसे उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की जो केवल अपने काम, छवि और सामाजिक जुड़ाव के बल पर मैदान में उतरे थे। पिथौरागढ़ के क्वीरी जिमियां गांव से 22 वर्षीय ईशा ने ग्राम प्रधान बनकर युवा नेतृत्व की नई मिसाल कायम की, जबकि सीला दुगड्डा सीट से सीमा भंडारी ने भाजपा और कांग्रेस दोनों के मुस्लिम उम्मीदवारों को हराकर नया संदेश दिया कि ग्रामीण जनता अब केवल पार्टी नहीं, उम्मीदवार का चेहरा और काम देख रही है। इस बार चुनाव में महिला और युवा उम्मीदवारों ने भी उल्लेखनीय भागीदारी निभाई। देहरादून की माहेश्वरी देवी और आंचल पुंडीर, चमोली की प्रियंका नेगी और साक्षी जैसी प्रत्याशियों ने प्रधान पदों पर जीत दर्ज की। इन नतीजों से स्पष्ट होता है कि ग्रामीण राजनीति में अब महिलाओं और युवाओं की भूमिका निर्णायक बन रही है। मतदाताओं की सोच बदल रही है और वे अब अपेक्षित बदलाव को मौका देना चाहते हैं। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के यह नतीजे केवल गांवों की सरकार तय नहीं करते, बल्कि यह उस व्यापक राजनीतिक दिशा की झलक भी हैं जो आने वाले समय में राज्य की राजनीति को प्रभावित करेगी। भाजपा को जहां अपनी सरकारी योजनाओं की जमीनी सच्चाई की समीक्षा करनी होगी, वहीं कांग्रेस के पास यह अवसर है कि वह इन्हीं पंचायतों के सहारे अपनी खोई हुई जमीन दोबारा हासिल करे। और सबसे बड़ी बात, निर्दलीयों की बढ़ती स्वीकार्यता यह संदेश देती है कि गांव अब खुद सोचने और अपने भविष्य का निर्णय लेने की स्थिति में आ चुके हैं, यह लोकतंत्र के लिए सबसे सुखद संकेत है।





भाजपा ने विकास को बताया विजेता, कांग्रेस ने बदलाव को माना संकेत–




उत्तराखंड की त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 में भाजपा और कांग्रेस दोनों नेताओं ने जीत का दावा किया और अपनी-अपनी सफलता के स्वर गूंजाए। भाजपा के लिए यह परिणाम आत्मविश्वास बढ़ाने वाला रहा, जबकि कांग्रेस ने हार के बावजूद राष्ट्रीय पार्टी पर निशाना साधा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विजयी उम्मीदवारों को बधाई देते हुए कहा कि जनता ने पार्टी की योजनाओं और विकास कार्यों पर भरोसा जताया है। उन्होंने मतदाताओं को ग्रामीण विकास में सक्रिय योगदान देने के लिए भी धन्यवाद दिया। भाजपा मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह ने दावा किया कि पार्टी ने पंचायत चुनावों में व्यापक जीत दर्ज की है, और जनता ने भाजपा सरकार के कामकाज पर भरोसा दिखाया । कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने कहा कि लोगों ने भाजपा की नीतियों, विशेषकर महिला सुरक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा से निराश होकर कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों को समर्थन दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा चुनाव लड़ने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है, लेकिन जनता ने उसे नकार दिया। कांग्रेस का कहना था कि गांव स्तर पर उनकी रणनीति ने असर दिखाया है, और यह आगामी विधानसभा चुनावों में एक मजबूत आधार तैयार करता है । इसके अलावा, कई भाजपा नेताओं को इस चुनाव में व्यक्तिगत स्तर पर झटका लगा। एक भाजपा विधायक के बेटे संतोष कुमार नौगांव सीट से हार गए, वहीं उनकी पत्नी पूजा देवी भी डूंगरलेख सीट हार बैठी। भाजपा के कई अन्य दिग्गज नेताओं के परिवारों को भी करारी हार का सामना करना पड़ा, जिससे पार्टी के लिए यह स्थिति चिंताजनक है ।निर्दलीयों की बड़ी उपस्थिति ने चुनावी समीकरण ही बदल दिए। कई वरिष्ठ नेता-परिवारों को सहयोग मिलने के बावजूद जनता ने स्थानीय, काम वाले उम्मीदवारों को ही चुना। सीमा भंडारी (सीला दुगड्डा सीट), लच्छू भाई (बीडीसी सदस्य), पिथौरागढ़ की युवा प्रधान प्रियंका नेगी जैसी जीतों को कांग्रेस ने लोकतंत्र की जीत बताया, जबकि भाजपा ने उनका स्वागत करते हुए जनता की बदलती प्राथमिकताओं को स्वीकार किया । इस पूरे चुनाव ने दिखाया कि ग्रामीण मतदाता अब सिर्फ दलों तक सीमित नहीं हैं, वे उम्मीदवार की छवि, कामकाज और स्थानीय जुड़ाव पर भरोसा करते हैं। भाजपा ने दावा किया कि उसका ग्रासरूट प्रभाव साफ दिखा, वहीं कांग्रेस ने कहा कि उसका संगठन धीरे-धीरे गांवों तक पहुंच रहा है और यह सफलता सिर्फ शुरुआत है।

Related posts

सीएम धामी ने बॉलीवुड के दो प्रसिद्ध गायक कलाकारों से भेंट की 

admin

पर्यटन मंत्री की पहल, उत्तराखंड में चार धाम श्रद्धालुओं के लिए पहली बार शुरू की गई यह बड़ी योजना

admin

नेताओं ने खूब खेली होली, किसी ने ढोल बजाया तो किसी ने ठुमके लगाए, देखें तस्वीरें

admin

Leave a Comment