केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को दिल्ली अध्यादेश से जुड़े विधेयक को मंजूरी दे दी है। यह बिल दिल्ली में ग्रुप-ए अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए एक प्राधिकरण के निर्माण के लिए जारी अध्यादेश की जगह लेगा। इस अध्यादेश को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट मीटिंग में पेश किया गया। यहां इसे बिल के रूप में पेश करने की मंजूरी मिल गई। मानसून सत्र में ही इस बिल को संसद में पेश किया जा सकता है। बता दें कि अध्यादेश राष्ट्रपति द्वारा केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश पर लाया जाता है। अगर संसद नहीं चल रही, उस दौरान सरकार कोई नया कानून बनाना चाहती है तो इसे अध्यादेश के रूप में लाया जाता है, लेकिन इस अध्यादेश को छह महीने के अंदर कानून की शक्ल देनी होती है जिसके लिए इसे अगले ही सत्र में संसद में पेश करना होता है।
प्रस्ताव पारित करने के लिए 50 सांसदों की जरूरत
सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को नियम 198 के तहत लोकसभा में पेश किया जा सकता है। इस अविश्वास प्रस्ताव को पेश करने के लिए ही करीब 50 विपक्षी सांसदों का समर्थन होना जरूरी है। लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव एक अहम कदम माना जाता है। अगर संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाए और सदन के 51% सांसद अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करते हैं, तो यह पारित हो जाता है और माना जाता है कि सरकार ने बहुमत खो दिया है और उसे पद से इस्तीफा देना होगा। सरकार को या तो विश्वास मत लाकर सदन में अपना बहुमत साबित करना होता है या विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद सरकार से बहुमत साबित करने के लिए कह सकता है।