हिंदुत्व के मुद्दे पर कमजोर होना उद्धव ठाकरे को पड़ा भारी, नए सियासी खेल को नहीं समझ सके - Daily Lok Manch PM Modi USA Visit New York Yoga Day
February 3, 2025
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राष्ट्रीय

हिंदुत्व के मुद्दे पर कमजोर होना उद्धव ठाकरे को पड़ा भारी, नए सियासी खेल को नहीं समझ सके

(Maharashtra political crisis live update) हिंदुत्व सम्राट कहे जाने वाले बाला साहब ठाकरे ने 19 जून 1966 को शिवसेना की स्थापना की थी। शिवसेना बनाने के पीछे बाला साहब ठाकरे का उद्देश्य हिंदुत्व की विचारधारा थी। बाल ठाकरे जब तक जीवित रहे तब तक उन्होंने हिंदुत्व के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया। वह कभी भी राजनीति में सक्रिय रूप से नहीं रहे न उन्होंने कोई चुनाव लड़ा। महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना दोनों ही हिंदुत्व के मुद्दे पर आगे बढ़ते गए। साल 1995 में शिवसेना महाराष्ट्र की सत्ता पर पहली बार काबिज हुई थी। भाजपा और शिवसेना दोनों एक समान विचारधारा के साथ सियासी सफर शुरू किया। लेकिन सत्ता के चक्कर में दोनों की दोस्ती टूट गई। साल 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव बाद भाजपा और शिवसेना की 25 साल पुरानी दोस्ती खत्म हो गई। बाला साहब ठाकरे के पुत्र उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बन गए। उसके बाद उद्धव हिंदू विचारधारा से दूर होने लगे। यहीं से शिवसेना के भीतर विरोध के स्वर भी शुरू हो गए। ढाई साल सरकार चलाने के बाद उद्धव ठाकरे की कुर्सी खतरे में है। बाला साहब के पुत्र और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सत्ता के लालच में नए सियासी माहौल को समझ नहीं पाए। शिवसेना के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को बगावत का बिगुल फूंक दिया है। अभी कुछ समय पहले तक शिंदे और मुख्यमंत्री ठाकरे के सबसे खास हुआ करते थे। लेकिन अब हिंदुत्व के मुद्दे पर वह कोई समझौता करने के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं। कल से एकनाथ शिंदे जो बयान दे रहे हैं उससे साफ संकेत है कि वह अब भाजपा के साथ अपनी सियासी पारी खेलने के लिए तैयार है। बताया जा रहा है कि एकनाथ शिंदे के इस प्लान पर भाजपा के कई दिग्गज नेताओं ने उनकी मदद की। पिछले 24 घंटे में एकनाथ शिंदे कई बार मीडिया के सामने हिंदुत्व के मुद्दे पर उद्धव ठाकरे कमजोर पड़ने को लेकर आरोप लगा रहे हैं। अब एकनाथ शिंदे और उनके शिवसेना के विधायक भाजपा शासित राज्य असम के गुवाहाटी में डेरा जमाए हुए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि शिवसेना में इतनी बड़ी बगावत हो गई उद्धव ठाकरे को इसकी भनक भी नहीं लगी। शिवसेना के अलावा सांसद और वरिष्ठ नेता संजय राउत पिछले 3 सालों से लगातार बयान दे रहे थे कि महाराष्ट्र में भाजपा कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसा हाल नहीं कर पाएगी। सूरत से गुवाहाटी पहुंचकर एकनाथ शिंदे ने दावा किया है कि उनके साथ 46 विधायक हैं। इसमें शिवसेना और निर्दलीय विधायक सब शामिल हैं। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे एनसीपी-कांग्रेस वाले गठबंधन से नाराज हैं। फिलहाल जो महाराष्ट्र में सियासी हालात हैं उससे माना जा रहा है कि उद्धव ठाकरे सरकार का जाना लगभग तय है। महाराष्ट्र सरकार शायद आखिरी सांसें गिन रही है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकर ने अपने ट्विटर बायो से मंत्री पद हटा लिया। उद्धव ठाकरे सीएम पद से इस्तीफा दे सकते हैं। वहीं ठाकरे और राज्यपाल कोश्यारी को कोविड भी हो गया है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि बिना भाजपा के सहयोग किए एकनाथ शिंदे शिवसेना से बगावत नहीं कर सकते हैं। मंगलवार से शिवसेना से बगावत करने वाले शिंदे बार-बार हिंदुत्व का मुद्दा उठा रहे हैं। इसका साफ संकेत है कि वह अब आगे की सियासी पारी भारतीय जनता पार्टी के साथ खेलना चाहते हैं।

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